प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की ओर से जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर भारत की नीतियों का विरोध करना मलेशिया को महंगा पड़ रहा है. भारत ने पहले ही मलेशिया से पाम ऑयल के आयात पर रोक लगा दी है इसके साथ अब वहां से कई और वस्तुओं के आयात पर रोक लगाने की तैयारी हो रही है. अगर भारत ऐसा करता है तो मलेशयि को सालाना 11 अरब डॉलर से ज्यादा का झटका लग सकता है.
कैबिनेट सचिवालय ने वाणिज्य मंत्रालय को भेजे निर्देश में यह कहा है कि ’मलेशयि के प्रतिबंधकारी व्यापार दस्तूर पर कोई कदम उठाया जाए.’ यानी यह बताया जा रहा है कि मलेशयि के कई तरह के निर्यात से भारत के हितों को नुकसान हो रहा है.
किन वस्तुओं पर लग सकती है रोक ?
कैबिनेट सचिवालय की ओर से वाणिज्य मंत्रालय को भेजे गए निर्देश में यह गुंजाइश देखने को कहा गया है कि मलेशयि के कई बड़े आयात वस्तुओं पर किस तरह से रोक लगाई जा सकती है. इनमें कच्चा तेल, रिफाइंड पाम ऑयल, क्रूड पाम ऑयल, कॉपर एवं एल्युमिनियम वायर, माइक्रोप्रोसेसर और अन्य कंप्यूटर एवं टेलीकॉम उत्पाद, टर्बोजेट, एल्युमिनियम इग्नोट, एलएनजी आदि. ऐसा हुआ तो कारोबार के लिहाज से मलेशिया की कमर ही टूट सकती है.
मलेशिया पीएम के बयान के बाद सख्ती
जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद कश्मीर मुद्दे से लेकर नागरिकता कानून को लेकर भारत की तीखी आलोचना कर चुके हैं. महातिर ने नागरिकता कानून को लेकर कहा था कि यह पूरी तरह से अनुचित है. इसके अलावा भारत के भगोड़े इस्लामिक धर्मगुरु जाकिर नाइक को शरण देने से भी भारत नाराज है. इसको लेकर भारत सरकार ने मलेशिया पर सख्ती दिखायी है.
मलेशिया पर सख्ती से भारतीय कारोबारी को फायदा
भारत ने 2019 में मलेशिया से 44 लाख पाम ऑयल का आयात किया था. लेकिन भारत के इस निर्णय से देश के कारोबारियों होगा. इस व्यवसाय से जुड़े कारोबारियों को फायदा होगा. भारत दुनिया के सबसे बड़े खाद्य तेल उपभोक्ताओं में से है, और यहां हर साल प्रति व्यक्ति औसतन 20 किग्रा खाद्य तेल की खपत होती है.
मलेशिया को 11 अरब डॉलर का होगा नुकसान
अगर भारत सभी वस्तुओं के आयात पर रोक लगायी तो मलेशयि को हर साल करीब 11 अरब डॉलर के निर्यात का नुकसान हो सकता है. इसके अलावा सरकार ने मलेशिया से आने वाले रिफाइंड पॉम ऑयल पर पर भी 5 फीसदी का सेफगॉर्ड कर लगाया गया है जो मार्च, 2020 तक रहेगी. इसे अलावा इसे ’निषिद्ध’ श्रेणी में रखा गया है, यानी इसके आयात के लिए विदेश व्यापार महानिदेशालय से लाइसेंस लेना होगा.
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