‘मन की बात’ में बोले पीएम मोदी- जल हमारे लिए जीवन और आस्था दोनों है

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के जरिए देश को संबोधित कर रहे हैं। यह उनके रेडियो कार्यक्रम का 74वां संबोधन है। इस दौरान वे देश में बढ़ते कोरोना के मामले एवं टीकाकरण के दूसरे चरण को लेकर चर्चा कर सकते हैं।

मेरे प्यारे देशवासियो, जब भी माघ महीने और इसके आध्यात्मिक सामाजिक महत्त्व की चर्चा होती है तो ये चर्चा एक नाम के बिना पूरी नहीं होती। ये नाम है संत रविदास जी का। ये मेरा सौभाग्य है कि मैं संत रविदास जी की जन्मस्थली वाराणसी से जुड़ा हुआ हूं।

मार्च महीने में ही 22 तारीख को ‘वर्ल्ड वाटर डे’

पीएम मोदी ने कहा-कुछ दिनों बाद मार्च महीने में ही 22 तारीख को ‘वर्ल्ड वाटर डे’ भी है। कल माघ पूर्णिमा का पर्व था। माघ महीना विशेष रूप से नदियों, सरोवरों और जलस्रोत्रों से जुड़ा हुआ माना जाता है। माघ महीने में किसी भी पवित्र जलाशय में स्नान को पवित्र माना जाता है।

मोदी ने कहा कि भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो. माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं . इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है. जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है

पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण पानी

मोदी ने कहा कि पानी, एक तरह से पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण है. कहा जाता है पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है. वैसे ही पानी का का स्पर्श, जीवन के लिये जरुरी है, विकास के लिये जरुरी है

जल शक्ति मंत्रालय शुरू करेगा ‘कैच द रेन’.

प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण पर जोर देते हुए कहा कि हमें जल संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझना चाहिए. उन्होंने बताया कि कुछ दिनों में जल शक्ति मंत्रालय एक अभियान शुरू करेगा ‘कैच द रेन’. इसका नारा है- कैच द रेन, मतलब जहां पानी गिरता है वहां इसे संरक्षित किया जायेगा और जब गिरता है तब ही उस संरक्षित किया जायेगा.

पीएम मोदी ने कहा कि आज ‘National Science Day’ भी है. आज का दिन भारत के महान वैज्ञानिक, डॉक्टर सी.वी. रमन जी द्वारा ‘Raman Effect’ की खोज गयी, इसलिए आज का दिन उन्हें समर्पित है

तमिल भाषा नहीं सिखने का मलाल

यह एक ऐसी सुंदर भाषा है, जो दुनिया भर में लोकप्रिय है। बहुत से लोगों ने मुझे तमिल लिटरेचर की क्वालिटी और इसमें लिखी गई कविताओं की गहराई के बारे में बहुत कुछ बताया है। दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया। मैंने इस सवाल पर विचार किया और खुद से कहा मेरी एक कमी ये रही कि मैं दुनिया की सबसे प्राचीन भाषा– तमिल सीखने के लिए बहुत प्रयास नहीं कर पाया, मैं तमिल नहीं सीख पाया।
कुछ दिन पहले हैदराबाद की अपर्णा रेड्डी जी ने मुझसे ऐसा ही एक सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि– आप इतने साल से पीएम हैं, इतने साल सीएम रहे, क्या आपको कभी लगता है कि कुछ कमी रह गई। अपर्णा जी का सवाल बहुत सहज है लेकिन उतना ही मुश्किल भी।