कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन पिछले कई महीनों से जारी है. किसान अभी भी दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. वहीं किसानों के आंदोलन को लेकर ब्रिटेन, कनाडा समेत कई देशों ने केंद्र सरकार की आलोचना भी की थी.
भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई
भारत में जारी किसान आंदोलन पर सोमवार को ब्रिटेन की संसद में चर्चा हुई। किसान आंदोलन का मुद्दा एक पिटीशन पर लाखों लोगों हस्ताक्षर होने ब्रिटिश संसद में उठाया गया। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। भारतीय हाईकमीशन द्वारा बयान में कहा गया कि ब्रिटिश संसद में बिना तथ्यों के गलत आरोपों के साथ दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के विषय में चर्चा की गई, जो निंदनीय है. वहीं, ब्रिटिश सरकार में मंत्री नाइजल एडम्स का कहना है कि ये भारत का घरेलू मामला है.
ब्रिटिश संसद में गलत तथ्यों पर आधारित थी बहस
वहीं भारत के घरेलू मामले में हस्तक्षेप को लेकर लंदन में भारतीय उच्चायोग ने किसानों आंदोलन के बीच शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन और प्रेस की स्वतंत्रता के मुद्दे को लेकर एक ‘ई-याचिका’ पर कुछ सांसदों के बीच हुई चर्चा की निंदा की है। भारतीय उच्चायोग ने बयान जारी कर कहा कि किसान आंदोलन को लेकर गलत तथ्यों पर आधारित बहस थी।
बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे
भारतीय उच्चायोग ने ब्रिटेन के संसद परिसर में हुई चर्चा की निंदा करते हुए कहा कि इस एक तरफा चर्चा में झूठे दावे किए गए हैं। उच्चायोग ने एक बयान में कहा कि बेहद अफसोस है कि एक संतुलित बहस के बजाय बिना किसी ठोस आधार के झूठे दावे किए गए। इसने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में से एक और उसके संस्थानों पर सवाल खड़े किए हैं।
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