नीतीश सरकार का अनुकंपा बहाली को लेकर बड़ा फैसला, किये नियमों में बड़े बदलाव

बिहार सरकार ने अनुकंपा पर होने वाली नियुक्ति को लेकर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने अनुकंपा वाली बहाली पर अधिकतम संख्या की सीमा को समाप्त कर दिया है। फैसले के अनुसार, अब ऐसी बहाली जरूरत के हिसाब से की जाएगी। सामान्‍य प्रशासन विभाग द्वारा इससे संबंधित आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। गुरुवार को सरकार द्वारा लिया गया यह फैसला गजट में भी प्रकाशित कर दिया गया है। इसके पहले सरकारी सेवकों की मौत होने के बाद उनके आश्रितों को अनुकंपा (Compassionate) के आधार पर नौकरी मिलने में तमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ती थीं। विभिन्न विभाग इस कोटे से बहाली के लिए संख्या तो निर्धारित कर देते थे, लेकिन अगर निर्धारित संख्या से अधिक बहाली की नौबत आती थी तब ऐसी स्थिति में आश्रितों को लंबा इंतजार भी करना पड़ जाता था।

यही नहीं समाहरणालय लिपिकीय सेवा नियमावली सहित विभागों के नियंत्रण वाली लिपिकीय सेवा में अनुकंपा पर बहाली के लिए प्रावधान भी अलग-अलग तय किए गए थे। सरकार के पास यह मामला लंबे समय से विचाराधीन था कि सभी के लिए एक तरह का प्रावधान लागू किया जाए। सामान्‍य प्रशासन विभाग के आदेशानुसार लिपिकीय पदों पर अनुकंपा के माध्यम से होने वाली नियुक्ति में उपलब्ध पदों के प्रतिशत का बंधन पूरी तरीके से खत्म कर दिया गया है, जो नई व्यवस्था लागू की गई है, उसके अनुसार सेवाकाल में किसी कर्मचारी के निधन होने की हालत में उसके आश्रित को निम्न वर्गीय लिपिकीय सेवा में सीधे तौर पर नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए आयोग की सिफारिश की भी बाध्यता नहीं होगी. इस प्रक्रिया के तहत भरे जाने वाले पदों के बाद शेष पदों के लिए ही आयोग के पास रिक्तियां भेजी जाएगी।

पटना हाईकोर्ट की सलाह पर किया बदलावा

अप्रैल महीने में लापता सरकारी सेवकों के आश्रितों को राज्य सरकार द्वारा बड़ी राहत देने की बात सामने आई थी। अब वे अपने स्वजन के लापता होने की तारीख से 12 वर्ष बाद तक अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन कर सकते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसकी प्रति मुख्यालय के सभी विभागाध्यक्षों के अलावा प्रमंडलीय आयुक्तों को भी दी गई है। सरकार ने लापता सेवकों को नौकरी देने के मामले में यह बदलाव पटना हाईकोर्ट की सलाह पर किया है. यह प्रभावी भी हो गया है।