राजधानी में साइबर ठगी के मामले बढ़ गए… हर दिन थानों में साइबर फ्रॉड के केस दर्ज हो रहे… कहीं ओटीपी पूछकर तो कहीं क्रेडिट कार्ड अपडेट के नाम पर शातिर ठग लाखों का चूना लगा रहे…

पिछले चार दिनों में ठगों ने अलग-अलग थाना क्षेत्र में 10 लोगों के खाते से आठ लाख रुपये पार कर दिए। इन सभी मामले में शिकायत पर पुलिस ने केस तो दर्ज कर ली लेकिन शातिर ठगों की गिरफ्तारी तो दूर, उनकी पहचान भी नहीं हो पा रही। अगले दिन फिर उसी थाने में साइबर ठगी की शिकायत पहुंच रही है।

क्रेडिट कार्ड अपडेट और केवाईसी के नाम पर ठगी कर रहे चोर… 

साइबर ठगों ने जक्कनपुर के मीठापुर निवासी संजीव अग्रवाल के क्रेडिट कार्ड से 50 हजार 387 रुपये निकाल लिए। पीड़ित ने जक्कनपुर थाने में केस दर्ज करवाया है। पीड़ित ने पुलिस को बताया कि एक्सिस बैंक की कर्मी बताकर नेहा सिंह नाम की एक युवती ने फोन किया। युवती ने क्रेडिट कार्ड के एक्टिवेशन की प्रक्रिया पूरी करने की बात कही। उसने बताया कि कार्ड एक्टिवेट नहीं करवाया तो कार्ड ब्लॉक हो जाएगा। युवती ने संजीव से ओटीपी पूछ लिया। इसके कुछ देर ही बाद संजीव के अकाउंट से 50 हजार 387 रुपये कट गए। ऐसा ही एक मामला कंकड़बाग के कुशेश्वर पांडेय से ओटीपी पूछकर शातिर ने उनके खाते से 93 हजार रुपये निकाल लिए। कुशेश्वर ने कंकड़बाग थाने में शिकायत दर्ज करवाए हैं।

इसके अलावा कंकड़बाग के अशोक नगर निवासी विजय कुमार के मोबाइल पर अंजान नंबर से फोन आया। कॉल करने वाले ने खुद को एसबीआइ क्रेडिट कार्ड के ऑफिस से फोन करने की बात कही। उसने केवाईसी करने के लिए लिंक भेजा और उसे नहीं भरने पर 24 सौ रुपये कटने की बात कहीं। अशोक शातिर ठग के झांसे में आ गए। लिंक पर क्लिक करने के कुछ देर बाद उनके खाते से छह बार में 99 हजार रुपये कट गए।

पिन कोड देखने के बाद बदल दिया एटीएम कार्ड…

कंकड़बाग थाना क्षेत्र के पोस्टल पार्क में रहकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले तारिक अनवर दो दिन पहले पोस्टल पार्क चौराहा के पास स्थित एटीएम से रुपये निकालने पहुंचे। तीन बार एटीएम कार्ड का प्रयोग किया, लेकिन रुपये नहीं निकले। इसी बीच पीछे खड़ा युवक बोला क्या हुआ? फिर उसने बिना कुछ पूछे छात्र के हाथ से एटीएम कार्ड लेकर मशीन में लगा दिया। फिर बोला रुपये नहीं है। इसके बाद छात्र अपने कमरे पर चला गया। कुछ देर बाद उसके मोबाइल पर खाते से 20 हजार रुपये कटने का मैसेज आया। जब पीड़ित ने कार्ड ब्लॉक कराने के लिए कस्टमर केयर के नंबर पर फोन किया, तब उससे आखिरी के चार अंक पूछे गए। जैसे ही उसने बताया तो पता चला वह कार्ड उसका नहीं है।