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दाहर और बाढ़ के फर्क के बीच पढ़ें ‘बाढ़, बांध और भींगी आंखों की अनकही दास्तान’
‘बागमती के किनारे बसे गांव में फिर बाढ़ का खौफ मंडरा रहा है। लोगों की आंखें भींगी है। फिर घर-द्वार छोड़ बांध पर पनाह लेने की नौबत आयेगी। बागमती के धार में फिर सपने बह जाएंगे। कभी दाहर से लेकर बाढ़ तक …