पटना में डेंगू से हाहाकार रविवार को मिले डेंगू के 95 नए मामले ……………………….

बिहार की राजधानी पटना में डेंगू के प्रकोप से लोग परेशान हैं। हर इलाके में डेंगू पंख पसार चुका है। जिलाधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर सिंह ने डेंगू की रोकथाम के लिए सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों, रेफरल अस्पतालों तथा शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में रैपिड रिस्पॉन्स टीम को सक्रिय रखने का निर्देश दिया है। जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी से प्राप्त प्रतिवेदन के अनुसार डेंगू के रविवार को 95 मामले एवं इस वर्ष अभी तक 1939 मामले आए हैं। पूरे प्रदेश से डेंगू से बीमार होने के समाचार मिल रहे हैं।

डीएम ने निर्देश दिया कि फागिंग एवं टेमीफॉस का नियमित छिड़काव किया जाए। डीएम ने डेंगू एवं चिकनगुनिया, बुखार को देखते हुए राष्ट्रीय दिशा-निदेशों के अनुरूप कार्य करने का निदेश दिया है। उन्होंने सिविल सर्जन को कहा कि इन बीमारियों के लक्षणों एवं क्या करें, क्या ना करें का वृहत स्तर पर प्रचार प्रसार किया जाए।डीएम ने जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. सुभाष चन्द्र प्रसाद को सजग एवं सक्रिय रहने का निर्देश दिया है। डेंगू से बचाव हेतु जन-जागरूकता उत्पन्न करने के लिए वृहत प्रचार-प्रसार किया जाए। नगर निकायों को साफ-सफाई एवं जलजमाव रोकने पर विशेष ध्यान देने का निर्देश दिया गया। डीएम ने कहा कि स्वास्थ्य प्रशिक्षकों द्वारा पटना नगर निगम में फॉगिंग का निरंतर पर्यवेक्षण कराया जाए। डेंगू के सम्पुष्ट मरीज के आसपास 500 मीटर रेडियस में तुरंत टेक्निकल मालाथियोन की फॉगिंग कराना सुनिश्चित करें। पटना नगर अन्तर्गत जल-जमाव वालों स्थानों तथा डेंगू प्रतिवेदित मुहल्लों में टेमीफॅास का छिड़काव सघन रूप से कराएं।

गर्भवती महिलाएं बरतें सावधानी

पीएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूती रोग विभाग की डॉ. अमृता राय ने बताया कि डेंगू में तेज बुखार होता है। गर्भावस्था में तेज बुखार गर्भ को प्रभावित कर सकता है। गर्भावस्था की प्रारंभिक अवस्था में हाई फीवर होने से मिसकैरेज (गर्भपात) होने की आशंका बढ़ जाती है। वहीं लेट प्रेगनेंसी की अवस्था में तेज बुखार होने से पीड़ित प्री टर्म पेसेंट प्री टर्म लेबर में भी जा सकती हैं। डेंगू शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या को कम कर देता है और गर्भवती महिलाओं के शरीर में प्लेटलेट्स कम होने की वजह से ब्लीडिंग की समस्या भी बढ़ जाती है। मरीज को स्पाइनल एनेस्थीसिया भी नहीं पड़ सकता है। डेंगू से बुखार आने पर मां के साथ बच्चा भी प्रभावित हो सकता है। बुखार के कारण मरीज को डिहाइड्रेशन हो जाता है। इससे प्रसव के समय बच्चे की धड़कन बढ़-घट सकती है। प्रारंभिक गर्भावस्था में यदि किसी महिला को डेंगू होता है तो एन्टीबॉडी, प्लेसेंटा के माध्यम से बच्चे में चला जाता है जो हानिकारक हो सकता है।