केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज सुबह 8.00 बजे जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत में कोरोना वायरस के मामलों की संख्या पिछले 24 घंटों में बढ़कर 2,07,614 हो गई है। साथ ही देश में संक्रमण से अब तक 5815 लोगों की मौत हो चुकी है, देश के 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सामने आए मामलों में 101497 सक्रिय हैं। जबकि 100303 लोग ठीक/ डिस्चार्ज या माइग्रेट हुए हैं।
बिहार में कोरोना वायरस के 151 नए मामलों के साथ कुल मामले हुए 4096
बिहार में स्वास्थ विभाग के द्वारा कल शाम ट्विट कर जारी सुचना के अनुसार अपडेट में कोरोना वायरस के विभिन्न जिलों के 151 नए मामले सामने आए जिसके बाद संक्रमण के कुल मामलों की संख्या 4096 हो गई। बिहार में अभी तक इस संक्रमण से 1803 लोग ठीक हुए हैं और 25 लोगों की मौत हुई है जबकि सक्रिय मामलों की संख्या 2268 है। गौरतलब है कि अबतक बिहार में 3 मई 2020 के बाद आए प्रवासियों में COVID-19 पॉजिटिव संख्या 2903 है।
#BiharFightsCorona
2nd update of the day.
➡️47 more #COVID19 +ve cases in Bihar taking the total to 4096. The details are as following. We are ascertaining their trail of infection.#BiharHealthDept pic.twitter.com/WKj5wls9CI— Bihar Health Dept (@BiharHealthDept) June 2, 2020
बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक,आज नए मामलों में से मंगलवार को लखीसराय और पूर्णिया में कोरोना वायरस के सर्वाधिक 19-19 मरीज़ जबकि अररिया में 12, सिवान में 11 और भागलपुर व मधेपुरा में 8-8 कोरोना संक्रमित मरीज़ मिले। गौरतलब है कि अब तक कुल 81,413 से अधिक सैंपल्स की जाँच की जा चुकी है।
शख्स ने शादी के लिए रखे पैसों से की गरीब लोगों की मदद, स्वास्थ्य मंत्री ने की तारीफ
, पुणे में एक ऑटो रिक्शा चलाने वाले तीस वर्षीय अक्षय कोथावले ने जैसा उदाहरण पेश किया है, उसे लंबे समय तक संवेदना की मिसाल के तौर पर देखा जाएगा। यह किसी से छिपा नहीं है कि पूर्णबंदी की वजह से सारे उद्योग-धंधे ठप होने के बाद शहरों में मजदूर तबकों की रोजी-रोटी से लेकर रहने का ठिकाना तक छिन गया और कर्फ्यू जैसी स्थिति में भी उन्हें सड़क पर आने को मजबूर होना पड़ा। अपने गांव जाने के लिए जब कोई वाहन नहीं मिला तो उन्होंने सड़क के रास्ते पैदल ही चलना शुरू कर दिया, लेकिन तमाम लोगों के सामने कुछ ही दिन में भूख एक बड़ी चुनौती बन कर खड़ी हो गई।
घर और काम से लाचार लोगों के सड़क पर पैदल चलते हुए भूख से जूझने के हालात की बस कल्पना ही की जा सकती है। इसी त्रासद हालत को देख कर पुणे के इस ऑटो चालक ने अपने विवाह के लिए बचाए पैसे से सड़क पर मजदूरों को भोजन कराना शुरू कर दिया। यही नहीं, इसी दौरान बीमारी से जब उसके पिता की मौत हो गई, तब भी उसने लाचार लोगों की मदद का काम बंद नहीं किया। यह अपने आप में अनूठा उदाहरण है।
वहीं इसपर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने एक खबर शेयर कर लिखा है, “पुणे के ऑटो चालक अक्षय कोठावले ने अपने विवाह के लिए बचाए पैसों से लाचार लोगों की मदद कर उदाहरण पेश किया है…ऐसे लोग कोरोना काल के…नायक हैं।” उन्होंने कहा,
कोठावले जी ने जैसा उदाहरण पेश किया…उसे कोरोना काल के बाद भी…संवेदना की मिसाल के तौर पर याद किया जाएगा।
ऑटो रिक्शा चालक श्री अक्षय कोठावले जी ने जैसा उदाहरण पेश किया है उसे कोरोना काल के बाद भी संवेदना की मिसाल के तौर पर याद किया जाएगा।
अक्षय ने अपने विवाह के लिए बचाए पैसे से लाचार लोगों की मदद कर अनूठा उदाहरण पेश किया है।ऐसे लोग कोरोना काल के आदर्श और नायक हैं।#IndiaFightsCorona https://t.co/uP3xziGmqb
— Dr Harsh Vardhan (@drharshvardhan) June 2, 2020
खुद ही दुख में पड़े होने के बावजूद अपनी क्षमता भर मदद के लिए तैयार इस नौजवान की संवेदना को एक मिसाल के तौर पर देखा जा सकता है। ऐसे मददगार लोगों ने अपने सीमित संसाधनों में जगह-जगह जिस तरह भूख से दो-चार लोगों को भोजन मुहैया कराया, उससे न जाने के कितने लोगों की जान बच सकी।
सही है कि पूर्णबंदी से उपजे हालात में सरकार को मुख्य रूप से लाचारों की मदद करने का काम अपने हाथ में लेना चाहिए था। लेकिन लाचारगी की हालत में हजार-दो हजार किलोमीटर पैदल ही चल पड़े मजदूरों या गरीबों को रास्ते में अपने खर्च पर मदद करने वाले और भोजन मुहैया कराने वाले तमाम लोगों ने यह साबित किया है कि संकट के समय खुद को बचाना प्राथमिकता जरूर है, लेकिन हालात के मारे भूखे और लाचार लोगों की मदद करने की संवेदना अभी खत्म नहीं हुई है। संकट के आदर्श और नायक ऐसे मददगार लोग भी हैं।
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