पर्दे के पीछे के वो राजनेता, जिन्होंने सियासी पिच पर तेजस्वी यादव के लिए सजाई फिल्डिंग

बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इसका निर्णय तो कल तक हो हीं जाएगा। लेकिन अधिकांश एग्जिट पोल से जो निष्कर्ष निकल रहा है, उससे तो ये साफ है कि लालू प्रसाद के छोटे बेटे तेजस्वी यादव बिहार की सत्ता के सिंहासन विराजमान होते नजर आ रहे हैं। तेजस्वी क्रिकेट के मैदान पर भले ही कोई बड़ा करिश्मा न दिखा सके हों, लेकिन लालू यादव की गैरमौजूदगी में सियासी पिच पर उतरकर एक सफल राजनेता बनने का हुनर जरूर पेश कर दिया है। हम इस रिपोर्ट में बात कर रहे हैं सियासी पिच पर तेजस्वी यादव के लिए फिल्डिंग सजाने वाले उन राजनेताओं की, जिनके दम पर तेजस्वी यादव आज बड़ा स्कोर बनाते दिख रहे हैं।

जगदानंद सिंह

तेजस्वी यादव के पीछे 74 साल के बुजुर्ग नेता जगदानंद सिंह मजबूती से खड़े रहे. जगदानंद बिहार के गिने-चुने अनुभवी नेताओं में से एक हैं और लालू परिवार के वफादार भी माने जाते हैं. आरजेडी के संस्थापक सदस्य के साथ-साथ मौजूदा समय में बिहार में पार्टी की कमान उन्हीं के हाथों में है. उनकी राजनीतिक कौशल की पहचान 2009 के लोकसभा चुनाव में सबने देखी है, जब बक्सर से जगदा बाबू ने बीजेपी के कद्दावर नेता लालमुनि चौबे को धूल चटा दी थी. जगदानंद सिंह के सियासी फैसले इतने तार्किक और सटीक होते हैं कि उन पर किसी आम नेता या कार्यकर्ता के लिए बहस करना मुश्किल हो जाता है।

तेजस्वी को जगदानंद सिंह ने सीएम उम्मीदवार घोषित किया

बिहार चुनाव से पहले आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद ही उन्होंने तेवर दिखाने शुरू कर दिए थे. महागठबंधन की ओर से तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की घोषणा जगदानंद सिंह ने की. यही नहीं उन्होंने आरजेडी की ओर से इस मुद्दे पर सख्त स्टैंड रखने के साथ-साथ वामपंथी दलों के साथ गठबंधन की पठकथा भी लिखी. लालू की गैर मौजूदगी में बिहार के मतदाता 31 साल के तेजस्वी यादव के जिस आक्रामक तेवर को अनुभव कर रहे थे, उसके पीछे जगदानंद सिंह का दिमाग है. इसके अलावा प्रत्याशियों के चयन में भी जगदानंद सिंह ने अहम भूमिका अदा की.

मनोज झा

आरजेडी के राज्‍यसभा सांसद मनोज झा बिहार चुनाव में आरजेडी के राजनतीकि रणनीति बनाने वाले नेताओं में सामने आए हैं. उन्होंने पार्टी के जीत के लिए रणनीति बनाई, जिसे तेजस्‍वी यादव ने बखूबी तरीके से जमीन पर उतारा. मनोज झा का अपना सियासी कद है और एक समाजशास्त्री के तौर पर उन्होंने देश भर में अपनी अलग पहचान बनाई है. वे एक गंभीर रिसर्चर और सामाजिक न्याय के विषय की महारथी के तौर पर भी जाने जाते हैं. बिहार चुनाव में पार्टी की ओर से मीडिया में बात रखने और एनडीए को घेरने के लिए उसी तरह से आगे नजर आते थे, जैसे 2015 के चुनाव में नीतीश कुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके सवाल खड़े करते थे. इस बार यह भूमिका नीतीश के खिलाफ मनोज झा कर रहे थे.

राजनीति सहित अन्य विषयों पर बेबाक रखते हैं मनोज झा

वो राजनीतिक अर्थशास्त्र, सामाजिक आंदोलन, सांप्रदायिक संबंध और तनाव के विषय पर अपनी राय रखने के लिए देश भर में जाने जाते हैं. इतना ही नहीं देश में सामाजिक आंदोलनों में भी वो शामिल रहते हैं और अपनी बात को बेबाकी से रखते हैं. संसद से सड़क तक वो हर मामले पर संघर्ष करने वाले नेताओं के तौर पर गिने जाते हैं. दिल्ली में मनोज झा आरजेडी प्रमुख लालू यादव के दूत के तौर पर जाने जाते हैं और केंद्रीय राजनीति में पार्टी का चेहरा हैं. ऐसे में विपक्ष समेत तमाम दलों का वो समर्थन हासिल करने में कामयाब हो सकते हैं।

संजय यादव

हरियाणा के महेंद्रगढ़ से स्कूलिंग और दिल्ली से एमएससी और फिर एमबीए करने वाले संजय यादव आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार हैं. आरजेडी के ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रचार की कमान संभालने से पहले संजय यादव आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के साथ साय की तरह रहते हैं. वो पार्टी के लिए पर्दे के पीछे से रहकर काम करते हैं. इस बार के चुनाव में आरजेडी और तेजस्वी के सोशल मीडिया के अकाउंट से लेकर उनकी रैलियों की रूप रेखा सब कुछ संजय यादव तय करने का काम करते थे. हालांकि, संजय यादव 2015 के चुनाव में भी आरजेडी के लिए अहम भूमिका अदा करने वाले लोगों में शामिल थे. इस बार के चुनाव में युवा संवाद जैसे कार्यक्रम की पठकथा संजय ने ही लिखी थी, जिस पर आरजेडी ने एनडीए के घेरा रखा था।

आलोक कुमार मेहता

बिहार चुनाव में आरजेडी की जीत की पठकथा लिखने वाले रणनीतिकार नेताओं से एक आलोक कुमार मेहता हैं. आरजेडी के मौजूदा राष्ट्रीय प्रधान महासचिव और पार्टी संगठन को जमीनी स्तर पर सक्रिय करने में उनकी अहम भूमिका रही है. आलोक कुमार आरजेडी के प्रभारी और युवा राजद के राष्ट्रीय महासचिव भी रहे हैं. 2004 में लोकसभा सांसद रहे और 2015 में उजियारपुर से विधायक चुने गए थे और महागठबंधन की सरकार में सहकारिता विभाग के मंत्री के रूप में कार्य किया था, जिसके जरिए तेजस्वी के करीब आए और उनके भरोसेमंद बन गए.

डॉ. उर्मिला ठाकुर

आरजेडी महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष डॉ. उर्मिला ठाकुर भी ऐसे नेताओं में है, जिन्हें तेजस्वी यादव के करीबी नेताओं में गिना जाता है. महिलाओं के बीच आरजेडी के लिए जगह बनाने में उर्मिला ठाकुर ने अहम भूमिका अदा की है, जिसका चुनाव में असर होता दिख रहा है. एग्जिट पोल में भी 47 फीसदी महिलाओं ने तेजस्वी यादव को सीएम के रूप में अपनी पहली पसंद बताया है. इसके अलावा आरजेडी के युवा नौकरी संवाद के मंच पर तेजस्वी के साथ मजबूती से उर्मिला ठाकुर खड़ी रही हैं.