बिहार में पंचायत चुनाव को ले कर हरी झंडी दिख रही है। बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने पहली ईवीएम से होने जा रहे राज्य पंचायत चुनाव को लेकर फूल-प्रूफ व्यवस्था सुनिश्चित कर दी है। गौरतलब है कि, चुनाव आयोग की मंजूरी नहीं मिलने के कारण बिहार में पंचायत चुनाव का मामला अभी तक लटका हुआ था। बतादें कि बिहार सरकार ईवीएम के सहारे वोटिंग कराना चाह रही थी। वहीं चुनाव आयोग ने बिहार के पंचायत चुनाव में ईवीएम के प्रयोग की मंजूरी नहीं दी थी। लिहाज़ा इसके खिलाफ राज्य सरकार कोर्ट गई थी।
कई चरणों में होगा पंचायत चुनाव
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पूर्व में विभाग ने सैद्धांतिक सहमति दी थी। अब इसकी लिखित सूचना भी आयोग को दे दी गयी है। आयोग ने जिलों को भेजे दिशा-निर्देश में ईवीएम एसडीएमएम (सिक्योर्ड डिटैचेबुल मेमोरी मॉड्यूल) की ओर चुनाव मशीनरी का ध्यान आकृष्ट किया है। जिला निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि ईवीएम के एसडीएमएम में दर्ज मतों की गणना के पूर्व मतगणना मेज पर मौजूद एजेंटों को बाहरी स्ट्रीप सील, स्पेशल टैग, ग्रीन पेपर सील एवं अन्य महत्वपूर्ण सीलों को जांचने-परखने की छूट होगी। इसके अलावा मतदान केंद्रों पर पीठासीन पदाधिकारी द्वारा उस पर लगाई गई सीलों की जांच की जाएगी।
इस प्रकार, पहली बार राज्य के त्रि-स्तरीय पंचायतीराज व्यवस्था के तहत छह पदों के लिए चुनाव ईवीएम से ही कराए जाएंगे। इसमें वार्ड सदस्य, पंच, सरपंच, मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्यों को चुना जाएगा। वहीं इस बार, राज्य में नौ चरणों में चुनाव कराए जाने की संभावना है।
पंचायत चुनाव के लिए 90 हजार ईवीएम होंगे इस्तेमाल
सरकार ने पंचायत चुनाव के लिए 15 हजार कंट्रोल यूनिट और 90 हजार ईवीएम खरीदेगी। राज्य कैबिनेट ने पंचायत चुनाव के लिए 122 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है।
चुनाव अप्रैल व मई के बीच
हालांकि राज्य में बड़े पैमाने पर पंचायतों का पुनर्गठन भी हुआ है। कई पंचायतों को नगर निकायों में शामिल कर लिया गया है। खबर है कि पंचायतों में आरक्षण की पुरानी व्यवस्था को ही इस दफे भी लागू करने का फैसला लिया है यानी जो सीट जैसे पिछले दफे आरक्षित थी, इस दफे भी वैसे ही आरक्षित रहेगी। चुनाव अप्रैल व मई के बीच होने की संभावना है।
चुनाव आयोग की सहमति के बगैर ईवीएम का फंसा है पेंच
बिहार पंचायत चुनाव में विशेष प्रकार की मल्टी पोस्ट ईवीएम का इस्तेमाल होना है। बतादें बिहार में ऐसी ईवीएम का प्रयोग पहली बार होगा। इसके प्रयोग से पंचायत चुनाव के सभी छह पदों के लिए मतदान किया जा सकेगा। किन्तु इस ऐसी ईवीएम बिहार में उपलब्ध नहीं होना एक बड़ी समस्या है। राज्य निर्वाचन आयोग ने ऐसी ईवीएम की खरीद के लिए कई महीने पहले केंद्रीय निर्वाचन आयोग से अनुमति मांगी है। केंद्रीय निर्वाचन आयोग की चुप्पी से मामला फंसा हुआ है। इसकी वजह से चुनाव प्रक्रिया में देर होने के पूरे आसार हैं।
देरी होने से छिन जाएंगे मुखिया एवं सरपंच समेत इनके अधिकार
बिहार में पंचायत चुनाव में हो रही देरी की वजह से प्रदेश के पंचायती राज सरकार में कई संकट खड़े हो सकते हैं। ग्राम पंचायत के चुनाव अगर समय पर नहीं हुए तो पंचायतें अवक्रमित होंगी। इसके बाद पंचायती राज व्यवस्था के तहत होने वाले कार्य अफसरों के जिम्मे होंगे। जब तक नवनिर्वाचित प्रतिनिधियों का शपथ ग्रहण नहीं हो जाता, तब-तक अफसर ही योजनाओं का क्रियान्वयन कराएंगे। वहीं 15 जून से पहले नया निर्वाचन नहीं होने की स्थिति में मुखिया-प्रमुख आदि के अधिकार छिन जाएंगे। अफसरों को उनकी जिम्मेदारियां दी जाएंगी।
2016 में 28 फरवरी को जारी हुई थी अधिसूचना
वर्ष 2016 में हुए ग्राम पंचायत चुनाव में 28 फरवरी को अधिसूचना जारी हुई थी। पहले चरण के चुनाव के लिए दो मार्च को अभ्यर्थियों का नामांकन शुरू हो गया था।
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