तेजस्वी का ट्वीट जनता का दर्द या केवल सियासत! जानिए लालू परिवार को जदयू ने क्यों बताया आपदा का ट्विटर फैमली

कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के बीच बिहार में नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी ने एक पत्र के जरिये मुख्‍यमंत्री के साथ ही पूरी सरकार के कामकाज पर तंज क्या कसा  सियासत शुरू हो गई है। हालांकि उन्‍होंने सरकार से अनुमति मांगी है कि राज्‍य के सभी विधायकों को और खुद उनको भी किसी भी अस्‍पताल के अंदर जाकर मरीजों की मदद करने की अनुमति दी जाए। इस पत्र में तेजस्‍वी ने कई गंभीर आरोप सरकार पर लगाए हैं, जिनके बारे में आप आगे जानेंगे। उन्होंने कहा कि है कि जब भी वे जनहित के मुद्दे लेकर सड़क पर उतरते हैं, उन पर महामारी अधिनियम के तहत कोई न कोई मुकदमा लाद ही दिया जाता है। पत्र के माध्‍यम से उन्‍होंने कहा है कि वे बिहार आकर लोगों की सेवा करने को तैयार हैं, बशर्ते सरकार उन पर कोई मुकदमा नहीं करे। तेजस्वी भाजपा-जदयू के नेताओं पर भी तंज़ कसने के साथ चार साल से किसी भी पत्र का जवाब नहीं देने का आरोप भी जड़ा। हालांकि वह एक दिन पहले वह फेसबुक लाइव के जरिये बिहार सरकार पर आरोपों की झड़ी लगाई थी और कोरोना से निपटने में फेल होने का आरोप लगाया था। साथही उन्‍होंने खुद के बिहार नहीं होने पर सफाई भी दी थी और कहा था कि पिता लालू प्रसाद यादव के बीमार होने के कारण वे अभी दिल्‍ली में हैं।

तेजस्वी यहाँ पर भी नहीं रुके, उन्होंने वीडियो ट्वीट कर लिखा कि अपने 1, पोलो रोड स्थित सरकारी आवास पर तमाम जरुरी मेडिकल दवाओं, आवश्यक उपकरणों तथा खाने-पीने की नि:शुल्क सुविधाओं से सुसज्जित राजद कोविड केयर की स्थापना कर नियमानुसार इसे सरकार द्वारा अपनाने का अनुरोध और सौंपने का निर्णय लिया है। इस संबंध में उन्‍होंने बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र लिख कर सरकार से इसके टेक-ओवर व संचालन का आग्रह किया है।

सुशील कुमार मोदी ने लालू परिवार के लिए कही यह बात

कहते है दिल्ली में सियासत भी बिहार यूपी के बिना अधूरी है, तेजस्वी लगातार ट्विट कर सरकार पर हमला करते रहे, इस पर उनके विरोधी हमलावर हो गए। कहते है बात यदि लालू यादव से तालुक रखती हो तो सुशील कुमार मोदी के आलोचना के बिना अधूरी है। भाजपा सांसद और प्रदेश के पूर्व उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने तेजस्वी की तीखी आलोचना करते हुए एक पर एक चार ट्वीट कर डाला।

एक ट्वीट में सुशील मोदी ने तेजस्वी की एमबीबीएस डॉक्टर बहनों पर भी टिप्पणी की। तेजस्वी पर हुए इस हमले से उनकी बहन रोहिणी आचार्य भड़क गईं और सुशील मोदी के ट्वीट पर उन्होंने उतने ही तीखे लहजे में पलटवार किया।

तेजस्वी पर हमलावर होते हुए सुशील मोदी ने एक ट्वीट कर लिखा कि तेजस्वी यादव के परिवार में दो बहनें एमबीबीएस डाक्टर हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में उनकी सेवाएँ क्यों नहीं ली गईं? यदि राजद नेतृत्व में गरीबों की सेवा के लिए तत्परता और गंभीरता होती, तो अस्पताल शुरू करने के लिए पहले सरकार से अनुमति ली जाती और उसके मानकों का पालन किया जाता। बिना डॉक्टर, उपकरण-स्वास्थ्यकर्मी के किसी परिसर में केवल कुछ बेड लगा देने से अस्पताल नहीं हो जाता। इससे केवल अस्पताल होने का नाटक किया जा सकता है।

जदयू ने बताया आपदा का ट्विटर फैमली

इसी क्रम में खबर सामने आ रही है कि जदयू ने लालू परिवार को गंभीरता से न लेते हुए आपदा का ट्विटर फैमली करार दे दिया है। दरअसल, जदयू के पूर्व मंत्री व पार्षद नीरज कुमार ने पूरे लालू परिवार पर हमला करते हुए उन्हें आपदा का ट्विटर फैमली बताया है।

उन्होंने ने कहा कि, लालू यादव सहित उनका पूरा परिवार केवल ट्वीट करने में लगे रहते हैं। उनकी राजनीति यहीं से होती है। इसके साथ ही नीरज कुमार ब्योरा देते हुए कहा कि, लालू परिवार 17 अप्रैल से 17 मई तक 737 ट्वीट और रीट्वीट किये हैं। सिर्फ 18 मई को 44 ट्वीट किया गया जबकि 19 मई से 20 मई दोपहर 1.30 बजे तक लालू परिवार में 125 ट्वीट कर डाले। अब तक लालू परिवार ने एक महीने के अंदर 906 ट्वीट और रीट्वीट किये हैं। इसके कुमार ने कई सवाल भी खड़े किये।

हमने जब जदयू के पूर्व मंत्री व पार्षद नीरज कुमार से बात की तब उन्होंने कहा आपदा अधिनियम 65 एवं 66 के तहत कोई भी निजी संपत्ति एवं संस्था का सरकार अधिग्रहण कर सकती है। ऐसे में तेजस्वी किस अधिकार के तहत सरकारी भवन को कोविड केयर सेंटर में बदल रहे है। उन्होंने यह भी कहा कि, तेजस्वी को सरकारी इमारत या सम्पति में किसने आरजेडी के नाम पर कोविड केयर सेंटर चलाने का अधिकार दिया। कोरोना वैश्विक आपदा है और आपदा का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए।

लेकिन बात यहाँ यह उठती है कि इस संबंध में तेजस्वी ने बिहार के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मंगल पांडेय को पत्र लिख कर सरकार से इसके टेक-ओवर व संचालन का आग्रह किया है। अब सवाल यह उठता है आखिर गलती कहाँ हुई और विरोधी क्यों आलोचना कर रहे हैं?

क्या है प्रक्रिया, कोविड केयर सेंटर या अस्पताल खोलने की

बिहार सरकार ने राज्य में 2015 में क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट को लागू कर रखा है। अस्पताल खोलने के लिए ढांचागत मंजूरी में कंप्लीशन प्रमाणपत्र, अग्निशमन सुरक्षा प्रमाणपत्र, पर्यावरण संबंधी मंजूरी, लिफ्ट लाइसेंस, पंजीकरण-प्रमाणन के साथ सेवा संबंधी मंजूरी में फार्मेसी, ब्लड बैंक, एंबुलेंस और कचरा प्रबंधन आदि की मंजूरी लेनी होती है। ऐसे में ऐसे तमाम नर्सिंग होम को इस एक्ट के अधीन जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार के तहत पंजीकरण कराना होता है। इसके बगैर यदि कोई नर्सिंग होम या क्लीनिक चलाती है तो वह अवैध मानी जाएगी। वहीं जिला रजिस्ट्रीकरण प्राधिकार में डीएम अध्यक्ष और सिविल सर्जन संयोजक होंगे। वहीं राज्य सरकार द्वारा तीन सदस्य नामित किए जाएंगे।

अब बात आती है कोविड केयर सेंटर खोलने की तो इसके लिए लिए WHO एवं स्वास्थ मंत्रालय, केंद्र सरकार की नियमावली है। अधिकारी जिसके निरिक्षण के बाद यह सुनिश्चित करते हैं कि WHO एवं स्वास्थ मंत्रालय, केंद्र सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मौजूदा संरचना है भी या नहीं। जिसके आधार पर ही अनुमति दी जाती है। गौरतलब है कि राजधानी पटना में 27 अप्रैल 2021 तक केवल 90 हस्पतालों को कोविड मरीजों के एलाज की अनुमति दी गयी थी। शायद इन्ही मजबूरियों के कारण राज्य के कई सारे अस्पताल को कोविड केयर सेंटर या कोविड अस्पताल में अभी तक नहीं बदला जा सका है।

हाँ यह बात ज़रूर है कि आवश्यकता होने पर इसे आइसोलेशन सेंटर बनाया जा सकता है। ठीक उसी तरह जैसे एम्बुलेंस में ऑक्सीजन एवं अन्य चीजों के साथ मरीजों को हस्पताल पहुँचने तक बेसिक सुविधा दी जाती है।

कोरोना मरीजों  के लिए कोविड केयर सेंटर खोलने का राजद का ऐलान खोखला

राज्य में राजद के नेताओं की दमदार उपस्थिति है। बात अगर मुजफ्फरपुर की करें तो एक नेता जी ने बड़े नेताजी से बातचीत के बाद जिले में पार्टी की तरफ से मरीजों की सेवा के लिए कोविड केयर सेंटर खोलने का एलान किया गया। अखबारों और इंटरनेट मीडिया पर जमकर वाहवाही लूटी। एक सप्ताह बीत गए, लेकिन न उनका कोविड केयर सेंटर खुला और न ही आने वाले समय में खुलता ही दिखाई दे रहा है। नेताजी अब परेशान हैं। करें तो क्या करें। पहली बार कुर्सी मिली है। हाईकमान के कहने पर कोविड सेंटर खोलने की घोषणा कर दी, लेकिन अब वह इस सवाल पर भागते नजर आ रहे हैं। न उनके पास सेंटर खोलने की सुविधा है और न ही किसी को देने लायक जवाब।

यह कहना गलत नहीं होगा कि आपदा के इस कठिन समय में नेता जी राजनीति की स्प्रे मशीन लेकर निकल रहे है। इस होड़ में जनता का भला हो या न हो। नेताजी का चेहरा जरूर चमक रहा है।