पार्टी से निलंबन के बाद भी टुन्नाजी पांडे के तेवर शांत नहीं हुए, उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि सत्ता के लालच में “पृत पक्ष में विवाह रचाने वाले” आज मेरे पर टिप्पणी कर रहे हैं, याद रहे मेरा परिवार गुलामी और चमचागिरी किसी का नहीं करता, और चुनाव जीतकर प्रतिनिधि बना हूं किसी के रहमों करम और चापलूसी करके नहीं, मेरा गुनाह यह था कि मैंने किसी के दरबार में जी हुजूरी नहीं किया, अगर करता तो शायद मुझे भी मंत्री पद से नवाजा जाता, लेकिन मेरे खून में यह नहीं।
.गौरतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अपनी पार्टी के खिलाफ टिप्पणी करना भाजपा के विधान पार्षद टुन्नाजी पांडेय को महंगा पड़ा। उनकी पार्टी ने उन्हें निलंबित कर दिया। पिछले कुछ दिनों से टुन्नाजी पांडेय की बयानबाज़ी को लेकर बिहार भाजपा और जदयू में काफी तनातनी चल रही थी। भाजपा के एमएलसी ने मुख्यमंत्री पर जबरन सत्ता हथियाने का आरोप लगाते हुए उनके जेल जाने तक की बात कह दी थी। जदयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने इस मसले पर सीधे भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल से सवाल पूछा था, जबकि जदयू के प्रवक्ता और विधान पार्षद संजय सिंह ने कहा था कि मुख्यमंत्री अंगुली उठाने वाले की अंगुली तोड़ दी जाएगी।
नीतीश को लेकर भाजपा विधान पार्षद ने जो बयान दिया था, उसके बाद जदयू नाराज था और सहयोगी दल की नाराजगी को देखते हुए भाजपा ने आनन-फानन में टुन्नाजी पांडे के ऊपर कार्रवाई कर दी।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल की ओर से आज इस संबंध में एक चिट्ठी जारी कर इसकी घोषणा की गई। वहीं, भाजपा विधान पार्षद के ऊपर हुई कार्रवाई के बाद अब जदयू का मनोबल मज़बूत हुआ है।
भाजपा नेतृत्व के फैसले को जदयू ने अपने दबाव के कारण लिया गया फैसला बताते हुए कहा है कि टुन्ना जी पांडे के ऊपर कार्रवाई काफी पहले हो जाना चाहिए था। विधानसभा चुनाव में वह राजद के उम्मीदवार की मदद करते रहे, लेकिन भाजपा ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि हकीकत यह है कि टुन्ना जी पांडे को कान पकड़कर बाहर निकाल देना चाहिए था।
गौरतलब है कि पार्टी की अनुशासन समिति ने टुन्नाजी पांडेय को दस दिन से पहले इस नोटिस का जवाब देने को कहा था। पार्टी ने साफ कर दिया था कि यदि टुन्नाजी पांडेय का जवाब संतोषजनक नहीं होगा तो उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इसके बाद विधान पार्षद ने अपने रुख में नरमी लाने की बजाय और भी कडे़ बयान दिए और कहा कि पार्टी चाहे तो उनपर कार्रवाई कर सकती है।
पांडेय ने कहा था कि भाजपा में हैं तो राजद में क्यों जाएंगे?
भाजपा से मिली नोटिस और राजद में जाने की संभावनाओं पर सवालों का जवाब देते हुए टुन्नाजी पांडेय ने कहा था कि भाजपा में हैं तो राजद में क्यों जाएंगे?
लेकिन आज सुबह वे राजद के पूर्व सांसद और लालू प्रसाद यादव के करीबी रहे राष्ट्रीय जनता दल ( राजद ) के पूर्व सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन के घर गए थे। हालांकि टुन्नाजी पांडेय ने शहाबुद्दीन की मौत के लिए मुख्यमंत्री को जिम्मेदार ठहराया था।
मालूम हो कि उन्होंने कहा था कि नीतीश कुमार को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री कहे जाने के कारण ही राजद सांसद को तिहाड भेजा गया। अपने नेता के रूख को देखते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ने उनके निलंबन का आदेश जारी कर दिया। वहीं, प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय सिंह ने भाजपा विधान पार्षद टुन्नाजी पांडेय के लगातार आपत्तिजनक टिप्पणियों पर कडी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हम लोगों के पास भी जुबान है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार पर उंगली उठायी तो काट देंगे। बर्दाश्त की भी कोई सीमा होती है।
नीतीश पर की थी आपत्तिजनक टिप्पणी
उस सीमा को, लक्ष्मण रेखा को मत पार करो। ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा। कोई माई का लाल पैदा हुआ है जो नीतीश कुमार को जेल भेजवा दे? संजय सिंह ने कहा कि टु्न्नाजी पांडेय पहले तो शराब व्यवसायी थे। शराब बंद है तो इनके पेट में दर्द हो रहा है। नीतीश जी पर बार-बार आपत्तिजनक टिप्पणी कर रहे हैं. सिर के ऊपर से पानी गुजर रहा है।
कहते हैं जेल भेजवा देंगे। अरे कोई माई का लाल पैदा हुआ है जो नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा दे।
उन्होंने कहा कि हमलोग गूंगा नहीं हैं। जदयू के नेताओं को भी बयान देने आता है। हालांकि हमलोग ऐसे नेता की नोटिस नहीं लेते।
कौन है टुन्ना पांडेय? सब जानते हैं,
इनका भाई किस दल से एमएलए है?
एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार किया
गौरतलब है कि टुन्नाजी पांडेय शराब बंदी से पहले बिहार के बडे़ शराब व्यवसायी रहे हैं। ख़बरों के अनुसार, वह शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री से नाराज रहते हैं। गौरतलब है कि,उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त की राजद से नजदीकियां बढा दी थीं। वहीं, उन्होंने अपने भाई को राजद से विधानसभा के लिए टिकट दिलवाया और एनडीए उम्मीदवार के खिलाफ प्रचार किया।
इसके बावजूद भाजपा उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही थी। वे अपने बयान जारी करते वक्त अक्सर राजद के झंडे और बैनर के साथ दिखा करते थे। विधान परिषद में उनका कार्यकाल कुछ ही दिनों का बचा है। ऐसे कहा जा रहा है कि ताजा बयानबाजी के जरिये उन्होंने लालू से अपनी नजदीकी बढ़ाने की कोशिश की है।
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