यदि आप कोरोना संक्रमित हुए हैं और यह लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर से करनी चाहिए बात, हो सकता है ब्लैक फंगस

अगर आप हाल ही में कोरोना संक्रमित होने के बाद ठीक हुए हैं या फिर आपका इलाज चल रहा है और आपको लगातार सिरदर्द या चेहरे के एक तरफ सूजन जैसे लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर से बात करनी चाहिए और साथ में ब्लैक फंगस का परीक्षण करवाना चाहिए। कोरोना की दूसरी लहर से निकलने से पहले ही देश अब म्यूकरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस की चपेट में भी आता जा रहा है। पिछले कुछ दिनों में ही इस बीमारी ने हजाारों लोगों को अपनी चपेट में लेते हुए तेज़ी से पैर पसारा है।

दरअसल एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, एम्स प्रमुख डॉ रणदीप गुलेरिया के अनुसार, यदि आपको मुंह के रंग बदलने और चेहरे के किसी भी हिस्से में सनसनी कम होना जैसे लक्षण भी महसूस करते हैं, तो भी आपको ब्लैक फंगस की जांच करानी चाहिए।

गुलेरिया ने कहा, ‘यदि आपकी नाक बंद हो रही है और जोर लग रहा है, तो यह शुरुआती संकेत हैं कि आपको ब्लैक फंगस को लेकर चिंता करनी चाहिए। इसके अलावा अगर आपको दांतों में ढीलापन महसूस हो रहा है, तो आपको डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।

ब्लैक फंगस की जांच करने के लिए साइनस का एक्स-रे या सीटी स्कैन किया जाता है। एक दूसरा नाक की एंडोस्कोपी के माध्यम से बायोप्सी करना है। उन्होंने बताया कि ब्लड टेस्टिंग के जरिये भी इसका पता लगाया जा सकता है।

डॉ गुलेरिया ने कहा कि भारत में ब्लैक फंगस के अधिक मामले सामने आ रहे हैं, हालांकि यह संक्रामक नहीं है, क्योंकि डायबिटीज और स्टेरॉयड का अधिक इस्तेमाल करने वाली बड़ी आबादी संक्रामक नहीं है। उन्होंने कहा, पहली लहर में भी म्यूकोर्मिकोसिस के मामले सामने आए, हालांकि स्टेरॉयड के अत्यधिक उपयोग के कारण दूसरी लहर के दौरान संख्या अधिक है।

भारत में कोरोना वायरस महामारी के बीच ‘ब्लैक फंगस’ का खतरा भी तेजी से बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में इस घातक वायरस के करीब सात हजार मामले हो गए हैं। इसे म्यूकोर्मिकोसिस भी कहा जाता है।

यह आमतौर पर उन रोगियों में देखा जा रहा है जिन्हें लंबे समय तक स्टेरॉयड दिया गया था, जो लंबे समय से अस्पताल में भर्ती थे, ऑक्सीजन या वेंटिलेटर पर थे, खराब स्वच्छता या जो डायबिटीज जैसी अन्य बीमारी के लिए दवा ले रहे हैं। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो यह संक्रमण घातक हो सकता है।

ब्लैक फंगस के लक्षण

ब्लैक फंगस के प्रमुख लक्षणों में मुंह से जुड़े लक्षण हैं। इनमें मुंह, जीभ, मसूड़ों का रंग बदलना, भरी हुई नाक, तेज दर्द, चेहरे की सूजन, आंखों के नीचे भारीपन, बेचैनी, बुखार और सिरदर्द शामिल हैं।

ब्लैक फंगस से बचने के उपाय

मौखिक स्वच्छता बनाए रखें
कोविड के ठीक होने के बाद, स्टेरॉयड और अन्य दवाओं का सेवन मुंह में बैक्टीरिया या फंगस को बढ़ने में सक्षम बनाता है और साइनस, फेफड़े और यहां तक कि मस्तिष्क में भी समस्या पैदा करता है। दिन में दो-तीन बार ब्रश करें. मुंह की सफाई करने से बहुत मदद मिल सकती है।

ब्रश बदलें

रोगियों के लिए बीमारी के प्रभाव से खुद को बचाने के लिए कोरोना वायरस से ठीक होने के बाद अच्छी मौखिक स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है। मरीजों को सलाह दी जाती है कि वे एक बार कोरोना वायरस की नेगेटिव रिपोर्ट आने के बाद अपना टूथब्रश बदल लें और नियमित रूप से अपना मुंह धोते रहें।

टूथब्रश और टंग क्लीनर को साफ रखें

बताया गया है कि कोरोना से ठीक हुए मरीज परिवार के दुसरे सदस्यों के ब्रश से अपना ब्रश अलग रखना चाहिए। इसके अलावा ब्रश और टंग क्लीनर को नियमित रूप से एंटीसेप्टिक माउथवॉश से साफ करने की सलाह दी जाती है।

इन लक्षणों पर रखें नजर

डॉक्टरों की सलाह है कि वे चेहरे के किसी भी हिस्से में सूजन, आंखों की रोशनी की समस्या या सिर के किसी एक हिस्से में दर्द जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें। अगर कोविड-19 से ठीक होने वाले व्यक्ति को इन समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो वो तत्काल ईएनटी स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।

एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया और एम्स के डॉक्टर पीयूष रंजन सहित कई विशेषज्ञों ने कहा है कि एक बार संक्रमित होने पर इस फंगल संक्रमण का जल्द पता लगने से मरीजों की जान बच सकती है।

उन्होंने कहा है कि लक्षणों को समझने के लिए कोरोना के मरीजों को दिन के उजाले में नाक, गाल और आंखों के आसपास चेहरे की सूजन, रंग बदलना, दर्द आदि के लिए पूरे चेहरे की जांच करनी चाहिए।

अगर दांतों का ढीला होना, मुंह के अंदर का हिस्सा काला होना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, तो उन्हें इसकी सूचना तुरंत डॉक्टर को देनी चाहिए । डॉक्टरों ने सलाह दी है कि कोविड-19 से ठीक होने के दौरान और बाद में ब्लड शुगर लेवल की भी जांच करते रहना चाहिए।

भारत में ब्लैक फंगस के किस राज्य में कितने मामले

मोटे अनुमानों के अनुसार, देश में ब्लैक फंगस के 8,000 से अधिक मामले हैं। ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में हैं यहां 2281 लोग ब्लैक फंगस की चपेट में आए हैं. इसके अलावा महाराष्ट्र में 2000 मामले, आंध्र प्रदेश में 910 मामले, मध्यप्रदेश में 720, राजस्थान में 700, कर्नाटक में 500, दिल्ली में 197, यूपी में 124, तेलंगाना में 350, हरियाणा में 250, पश्चिम बंगाल में 6 और बिहार में 56 मामले सामने आए हैं। शनिवार को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में एक अस्पताल में इलाज के दौरान एक 32 वर्षीय महिला की ‘ब्लैक फंगस’  से मौत हो गई।

इन राज्यों ने किया महामारी घोषित

कोरोना के मरीजों में ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए हरियाणा, मध्यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, यूपी, पंजाब, गुजरात, तमिलनाडु, राजस्थान, ओडिशा, बिहार, चंडीगढ़, उत्तराखंड, तेलांगना समेत करीब 14 राज्यों में इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया गया है।