क्या इन दिहाड़ी मजदूरों का नहीं है कोई माँ बाप, लगातार सरकारी दावे हो रहे फेल, राबड़ी का सरकार पर हमला कहा क्या इस देश में दो कानून हैं?

मुंबई के बांद्रा के बाद अब दिल्ली के यमुना घाट पर अचानक मजदूरों की भीड़ इक्ट्ठी हो गयी । यहां जमा प्रवासी मजदूर भी अपने घर जाने दिये जाने की इजाजत मांग रहे थे। सवाल खड़े करता है. कुछ ऐसी ही मांग मंगलवार को बांद्रा पहुंचे प्रवासी मजदूरों की भी थी। उनका भी कहना था की हमारे पास काम खत्म हो गया है। पैसे हैं नहीं वैसे में हम यहां रहकर क्या करेंगे।

बिहार सरकार, दिल्ली सरकार एवं अन्य सरकार लगातार दावा करती आई है कि सरकार द्वारा ऐसे लोगों के लिए पूरी व्यवस्था की गई है, जिन्हें खाने-पीने और रहने में तकलीफ हो रही है। यानी दिहाड़ी मजदूरों के लिए विभिन्न राज्य सरकार लगातार काम कर रही है। लेकिन महाराष्ट्र के बाद अब यमुना घाट पर दिखी ये तस्वीर केजरीवाल अन्य राज्य सरकार के भी दावों की पोल खोलती दिख रही है।

राजद का सरकार पर हमला

तेजस्वी यादव के बाद अब पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने भी प्रवासी बिहारी मजदूरों की हालत तो लेकर सरकार पर करारा हमला किया है राबड़ी देवी ने कहा है कि जब एक BJP सांसद की पहल पर दक्षिण भारत के हज़ारों लोगों को 25 बसों में सोशल डिस्टेसिंग के नियमों का उल्लघंन कर ठसाठस भरकर वाराणसी से महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश भेजा गया।

क्या इस देश में दो क़ानून है? गुजरात की भाजपा सरकार लॉकडाउन के बीच उत्तराखंड में फँसे हज़ारों गुजरातियों को आरामदायक बसों में बैठाकर गुजरात ले जा सकती है। यूपी सरकार अपने नागरिकों के लिए दिल्ली से 200 बसों का प्रबंध कर सकती है। राबड़ी ने एनडीए के सांसदों को भी कटघडे में खड़ा करते हुए कहा कि

 

तो क्या ड़बल इंजनधारी बिहार सरकार और बिहार NDA के 50 सांसद इतने नकारा, निकम्मे और निर्लज्ज है जो भूखे ग़रीब बिहारवासियों को अपने प्रदेश नहीं बुला सकते? जब वो ऐसा कर सकते है तो ये क्यों नहीं?‬ इस तर्कसंगत सवाल का जवाब तो देना होगा? क्या बिहार ही सब भुगतेगा और झेलेगा?

केजरीवाल ने फिर किया दावा: यमुना घाट पर इकट्ठा हुए मज़दूरों के रहने-खाने की व्यवस्था कर दी गई है-

इधर मामला मीडिया में आने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ट्वीट कर कहा कि
“यमुना घाट पर मजदूर इकट्ठा हुए. उनके लिए रहने और खाने की व्यवस्था कर दी है. उन्हें तुरंत शिफ्ट करने के आदेश दे दिए हैं. रहने और खाने की कोई कमी नहीं है. किसी को कोई भूखा या बेघर मिले तो हमें जरूर बताएं.”

 

” उन्होंने कहा, “लोग इतने गरीब हैं…कई लोगों को सरकारी इंतज़ाम का पता ही नहीं चलता…थैंक यू मीडिया…ऐसे गरीबों के बारे में हमें बताने के लिए…हर गरीब तक सरकारी इंतज़ाम पहुंचाएंगे।”

पर इन सब के बाद प्रवासी मजदूरों की जुटती भीड़ से यह साफ है कि देश में सरकारी दावों और वादों की सच्चाई कुछ और ही है।

बतादें ठीक ऐसा ही कुछ पहले हमें लॉकडाउन के ऐलान के बाद भी देखने को मिला था। जब दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर हजारों की संख्या में प्रवासी मजदूर जमा हो गए।