बिहार भाजपा प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को पटना एम्स में कराया गया भर्ती, वे आ गए हैं स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम की चपेट में, इस दौरान वे किसी से नहीं मिलेंगे

भारतीय जनता पार्टी के बिहार के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल को पटना एम्स में भर्ती कराया गया है। खबर है कि बीजेपी अध्यक्ष को एक ऐसी दुर्लभ बीमारी हुई है, जिसके बारे में जानकार अपने शरीर के रोंगटे खड़े हो जायेंगे। इस बिमारी से पीड़ित मरीज को ऐसा लगता है, मानों किसी ने जिंदा शरीर में आग लगा दिया है। यह बिमारी काफी गंभीर और जानलेवा है।

गुरूवार को दोपहर में बिहार बीजेपी के अध्यक्ष संजय जायसवाल खुद अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लाइव आये और उन्होंने जो कुछ कहा वो काफी हैरान करने वाला है। दरअसल संजय जायसवाल ने यह जानकारी दी कि वे पटना एम्स में भर्ती हैं और अगले सात दिन तक वे पटना एम्स में ही एडमिट रहेंगे। इस दौरान वे किसी से मिलेंगे नहीं क्योंकि वे मिल भी नहीं सकते। संजय जायसवाल ने जानकारी दी कि 25 अगस्त को ही कोलकाता में उन्हें बुखार हो गया था। लेकिन वे खुद जलसंसाधन समिति के अध्यक्ष हैं। इसलिए वे कोलकाता और गुवाहाटी का काम निपटा कर पटना पहुंचे।

इसके बाद भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने जो बताया, वह काफी दुःखद और हैरान करने वाला है। संजय जायसवाल ने खुद जानकारी दी कि वे स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम की चपेट में आ गए हैं। एक ऐसी बिमारी जिसमें मनुष्य का शरीर ही उसके खिलाफ काम करने लगता है। शरीर के बाहरी हिस्से हों या आंख, नाक, कान, गला सब सूजने और फटने लगता है। इस बिमारी में शरीर के भीतर आंत में भी सूजन होता है और वह गलने लगता है। संजय जायसवाल ने कहा कि वे चाह कर भी किसी से नहीं मिल सकते हैं। लगभग एक सप्ताह वह पटना एम्स में रहेंगे और इसके बाद आगे देखेंगे कि क्या करना है।

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम क्या है?

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम यानी कि SJS काफी गंभीर प्रकार की बिमारी है. यह ऐसी दुर्लभ बीमारी है कि इसके काफी कम मामले देखे जाते हैं। स्टीवन्स-जॉनसन सिंड्रोम एक संक्रमण होता है, उसे देखकर ऐसा लगता है मानो किसी ने उसके शरीर को जला दिया हो। सबसे डरावनी बात ये है कि यह बिमारी अचानक से किसी को होती है और बड़ी तेजी से फैलती है। स्टीवन्स और जॉनसन नाम के दो डॉक्टरों ने इस इंफेक्शन का पता लगाया था। उनके ही नाम पर इस सिंड्रोम का नाम रखा गया है।

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं?

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम आमतौर पर बुखार के साथ शुरू होता है और ऐसा महसूस होता है जैसे आपको फ्लू हो गया है। जॉनसन स्टीवन सिंड्रोम मुख्य रूप से त्वचा, श्लेष्म झिल्ली, जननांगों और आंखों को प्रभावित करता है। त्वचा और श्लेष्म झिल्ली में घावों द्वारा विशेषता एक व्यवस्थित, गंभीर, और जीवन-धमकी विकार जो नेक्रोसिस का कारण बन सकता है। घाव शरीर में कहीं भी दिखाई दे सकते हैं लेकिन वे हथेलियों, तलवों, हाथों के डोरसम, और विस्तारक सतहों में अधिक सामान्य होते हैं। घाव केंद्र में वैसीक्युलर या नेक्रोटिक होते हैं, जो एरिथेमेटस जोन से घिरे होते हैं और शरीर की सतहों में से 10% से कम पर कब्जा करते हैं।

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम क्यों होता है?

एसजेएस मुख्य रूप से किसी प्रकार की दवा लेने से या किसी प्रकार के इन्फेक्शन के कारण होता है। दवा लेने के दौरान किसी प्रकार का रिएक्शन होना या दवाएं छोड़ने के बाद किसी प्रकार का रिएक्शन होने के कारण एसजेएस हो सकता है। कुछ मुख्य प्रकार की दवाएं जो स्टीवंस जॉन्सन सिंड्रोम का कारण बन सकती है जैसे गाउट का इलाज करने वाली दवाएं, मानसिक रोग व मिर्गी आदि की रोकथाम करने वाली दवाएं, दर्द निवारक दवाएं और इन्फेक्शन से लड़ने वाली दवाएं आदि। यदि एसजेएस का कारण किसी प्रकार की दवा का रिएक्शन है, तो उस दवा व उस जैसी अन्य दवाओं को छोड़कर इस रोग से बचाव किया जा सकता है।

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम का इलाज कैसे होता है?

स्टीवंस जॉनसन सिंड्रोम का इलाज करने के लिए मरीज को अस्पताल में भर्ती होना पड़ता है, इस दौरान अक्सर आईसीयू (गहन देखभाल प्रक्रिया) और बर्न यूनिट (त्वचा जलने पर इस्तेमाल की जाने वाली प्रक्रियाएं) आदि की आवश्यकता पड़ती है। यदि किसी प्रकार की दवा के कारण आपको ये समस्या हो रही है, तो डॉक्टर वे दवाएं बंद करवा देते हैं। इलाज के दौरान डॉक्टर आपके लक्षणों को शांत करने की कोशिश करते हैं और संक्रमण आदि फैलने से भी रोकते हैं। ऐसा करने से आपके ठीक होने की गति बढ़ जाती है।