पत्थलगड़ी में लाल हुआ झारखंड, विरोधी सात ग्रामीणों की हत्या

झारखंड के सोनुआ थाना क्षेत्र के बुरूगुलीकेरा में पत्थलगड़ी समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक झड़प में सात लोगों की हत्या की पुष्टि हुई है। पुलिस ने बुरूगुलीकेरा गांव से शवों को बरामद कर लिया है। शव बरामद होने की पुष्टि करते हुए एडीजे अभियान मुरारी लालमीणा ने बताया कि पत्थलगड़ी के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसक झड़प में सात लोगों की हत्या की सूचना पुलिस को मंगलवार को मिली थी। लेकिन काफी जंगली और दुरूह क्षेत्र होने के कारण बुधवार को पुलिस पहुंच पायी। घटना की जांच की जा रही है। उन्होंने यह साफ किया कि यह नक्सली घटना नहीं है। इधर जानकारी के अनुसार सोनुआ थाना क्षेत्र के बुरूगुलीकेरा गांव में पत्थलगड़ी समर्थकों ने गांव में घूम-घूमकर ग्रामीणों से दस्तावेज मांगकर जमा करने का काम कर रहे थे। इसी दौरान बीते 17 जनवरी को पत्थलगड़ी विरोधियों और समर्थकों के साथ मारपीट की घटना हुई थी। इसके बाद सोमवार की देर रात पत्थलगड़ी समर्थकों और विरोधियों के बीच फिर से हिंसक झड़प हुई जिसमें पत्थलगड़ी के विरोधी सात लोगों की हत्या कर दी गयी। यह भी बताया जा रहा है कि पत्थलगड़ी समर्थकों ने विरोध कर रहे सात लोगों को उठाकर जंगल की ओर ले गये। परिवार के घर वापस नहीं लौटने पर अगले दिन परिजनों ने थाने को इसकी सूचना दी। आज पुलिस ने शव बरामद किया है।

गर्म हुई झारखंड की सियासत

इधर इस घटना के बाद झारखंड के हेमंत सरकार पर विरोधियों ने जमकर हमला बोलना शुरू कर दिया है। भारतीय जनता पार्टी के साथ हीं विरोधी दलों ने सोरेन पर हमला बोलते हुए यह कहा है कि सरकार ने शपथ लेने के साथ हीं पत्थलगड़़ी समर्थकों का केस वापस लेने का आदेश जारी किया था। इससे पत्थलगड़ी समर्थकों का मनोबल बढ़ा है। यह घटना उसी का परिणाम है। आखिर मुख्यमंत्री संविधान के विरूद्ध काम करने वाले पत्थलगड़ी समर्थकों को संरक्षण क्यों दे रहे हैं ? भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुआ ने इस घटना की निंदा करते हुए मृतक परिवार के लोगों को पांच-पांच लाख रूपये का मुआवजा देने की मांग की है।

क्या है पत्थलगड़ी ?

पत्थलगड़ी आंदोलन के तहत आदिवासी समाज के लोग अपने इलाके में पत्थल गाड़कर सीमा तय करते हैं और उसे स्वायत क्षेत्र मानते हैं। संविधान के पांचवें अनुसूची में मिले अधिकारों के सिलसिले में झारखंड के खूंटी और पश्चिमी सिंधुओं के कुछ इलाकों में पत्थलगड़ी कर यहां की ग्राम सभाओं के सबसे शक्तिशाली होने का ऐलान किया गया था। इन ग्राम सभाओं के इजाजत के बिना यहां किसी भी बाहरी शख्स का प्रवेश प्रतिबंधित है। यहां तक कि इलाकों ेमें खनन और निर्माण कार्य के लिए इन ग्राम सभाओं की इजाजत जरूरी थी।

जून 2018 में पूर्व लोकसभा स्पीकर करिया मुंडा के गांव चांड डीह और घाघरा गांव में पुलिस और अधिकारियों के बीच हिंसक झड़पें हुईं थी। इसके बाद पुलिस ने पत्थलगड़ी समर्थकों पर कई जमानो ंके अपहरण कर देने का आरोप भी लगाया। बाद में पुलिस ने इनके खिलाफ विशेष अभियान चलाया और कई थानों ने देश द्रोह की एफआईआर दर्ज की । वैसे आदिवासी समाज में जमीन के सीमांकन के लिए या फिर किसी मृत व्यक्ति की याद में और खास घटनाओं को याद रखने के लिए बड़े-बड़े पत्थर गाड़ने का प्रचलन सालों से रहा है। सामूहिक मान्यताओं को सार्वजनिक करने के लिए भी पत्थलगड़ी किया जाता है।

हेमंत ने वापस किए मुकदमे

झारखंड में हेमंत सोरेन की सराकार बनते हीं पत्थलगड़ी समर्थकों के प्रति नर्म रूख अपनाया गया। हेमंत सोरेन ने अपनी पहली कैबिनेट में 2017 और 2018 के पत्थलगड़ी आंदोलन में शामिल लोगों हुए मुकदमें वापस लेने के आदेश दिये।