30 जनवरी 1948 का वो दिन… जिस दिन देश ने आजादी के महानायक, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को खो दिया। शाम के पांच बजे थे और जगह था दिल्ली का बिड़ला हाउस। हर दिन की तरह महात्मा गांधी प्रार्थना करने बिड़ला हाउस पहुंचे थे। उनका एक हाथ आभा बेन तो दूसरा हाथ मनु बेन के कंधे पर था। उस दिन गांधीजी को वहां आने में थोड़ी देर हो गई थी।
गांधीजी जब बिड़ला हाउस पहुंचे, तब उन्हें गुरबचन सिंह लेने आए। गांधीजी अंदर प्रार्थना स्थल की तरफ चले गए। गांधीजी ने फिर अपने दोनों हाथ जोड़े और भीड़ का अभिवादन किया। तभी भीड़ में से एक व्यक्ति निकलकर गांधीजी के सामने आया। जिसका नाम नाथूराम गोडसे था। नाथूराम ने दोनों हाथ जोड़ रखे थे और हाथों के बीच में रिवॉल्वर छिपा रखी थी। कुछ ही सेकंड में नाथूराम ने रिवॉल्वर तानी और एक के बाद एक तीन गोलियां गांधीजी पर चला दीं। गांधीजी के मुंह से ’हे राम…’ निकला और वे जमीन पर गिर पड़े। गांधीजी को अंदर ले जाया गया, लेकिन थोड़ी ही देर में डॉक्टरों ने गांधीजी को मृत घोषित कर दिया।
कौन था गोड्से ?
महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोड्से का नाम तो आप सभी ने सुना होगा, लेकिन हम आपको बताते हैं कि आखिर गोड्से कौन था और उसका यह नाम कैसे पड़ा ?
नाथूराम का जन्म 19 मई 1910 और मृत्यु 15 नवम्बर 1949 को हुई थी। दरअसल नाथूराम के घर में उनसे पहले जितने लड़के पैदा हुए, सभी की अकाल मौत हो जाती थी। इसे देखते हुए जब नथू पैदा हुए तो परिवार ने उन्हें लड़कियों की तरह पाला। उन्हें बकायदा नथ तक पहनाई गई थी। इसी नथ के कारण उनका नाम नथूराम पड़ गया था जो आगे चलकर अंग्रेजी की स्पेलिंग के कारण नाथूराम हो गया था।
गांधी की हत्या में ये भी थे शामिल
महात्मा गांधी की हत्या में नाथूराम गोड़से अकेले नहीं थे। दिल्ली के लाल किले में चले मुकदमे में न्यायाधीश आत्मचरण की अदालत ने नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी की सजा सुनाई थी। बाकी पांच लोगों विष्णु करकरे, मदनलाल पाहवा, शंकर किस्तैया, गोपाल गोडसे और दत्तारिह परचुरे को उम्रकैद की सजा मिली थी। बाद में हाईकोर्ट ने किस्तैया और परचुरे को हत्या के आरोप से बरी कर दिया था।
गोड्से ने इस वजह से मारी गोली
अदालत में चले ट्रायल के दौरान नाथूराम ने गांधी की हत्या की बात स्वीकार कर ली थी। कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए गोडसे ने कहा था कि गांधी जी ने देश की जो सेवा की है, मैं उसका आदर करता हूँ। उन पर गोली चलाने से पूर्व मैं उनके सम्मान में इसीलिए नतमस्तक हुआ था। किंतु जनता को धोखा देकर पूज्य मातृभूमि के विभाजन का अधिकार किसी बड़े से बड़े महात्मा को भी नहीं है। गांधी जी ने देश को छल कर देश के टुकड़े कर दिए। ऐसा कोई न्यायालय या कानून नहीं था, जिसके आधार पर ऐसे अपराधी को दंड दिया जा सकता, इसीलिए मैंने गांधी को गोली मारी।
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