लॉक डाउन की ये हिम्मत देती कहानियॉ जरूर पढ़े

भारत जैसे बड़े देश में पूरी तरह लॉकडाउन की स्थिति में सबकी जरूरतों का ख्याल रखना सरकार के लिए आसान टास्क नहीं माना जा सकता। लेकिन जिस तरह से खास तौर पर बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक रूप से कमजोर लोगों का ख्याल भारत सरकार रख रही है , इससे वहां के लोगों में एक नई उम्मीद और भरोसे का संचार हुआ है। और इससे लाभान्वित लोग खुद व्यक्त कर रहे हैं । इसका फायदा लॉक डाउन में यहां के लोगों के पूर्ण सहयोग के रूप में सामने आ रहा है। केंद्र सरकार अपनी विभिन्न लोक कल्याणकारी योजनाओं को तत्परता पूर्वक कार्यान्वित करते हुए जरूरतमंदों को त्वरित गति से लाभ पहुंचा रही है और इसका ही प्रतिफल है कि लॉक डाउन के इस परेशानी वाले दौर में बिहार के विभिन्न जिलों में जरूरतमंदों की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति हो पा रही है।

सरकार बनी उमा देवी का सहारा

मुंगेर जिले के वासुदेवपुर गांव में बुजुर्ग उमा देवी अपने पति के साथ रहती हैं। खपरैल का साधारण घर है इनका। इनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। लॉक डाउन की वजह से इस बुजुर्ग दंपत्ति को भी कई तरह की परेशानियां झेलनी पड़ रही है। लेकिन सरकार के इसी फैसले में सबकी भलाई है इसलिए साथ तो देना ही चाहिए और ये लोग साथ दे भी रहे हैं। पैसे की तंगी के बीच उज्जवला योजना से मिला गैस कनेक्शन भोजन बनाने का सहारा था । पैसे की तंगी के बीच गैस खत्म हो गया। इसी बीच उन्हें जानकारी मिली कि केंद्र सरकार ने गैस के लिए खाते में पैसे भेज दिए हैं । उमा देवी खुशी के भाव प्रकट करते हुए कहती हैं कि रू844 मिले हैं। अब घर में चूल्हा जलेगा और हम खाना खा सकेंगे । इसे अहम सहयोग मानती हुई ये खास तौर पर प्रधानमंत्री के प्रति इसके लिए आभार प्रकट करती हैं।

पेंशन की रकम ने किया अमृत का काम

वृद्धावस्था पेंशन के सहारे अपनी जरूरतों की पूर्ति करने वालों के लिए लॉकडाउन के दौरान कितनी परेशानी हो सकती है, इसे समझा जा सकता है। पेंशन की रकम हमारे सीनियर सिटीजन के लिए बड़ा सहारा होता है । केंद्र सरकार ने इसे समझते हुए त्वरित कदम उठाते हुए पेंशन की राशि जारी कर दी। इस राशि रूपी सहयोग को गया जिले के मीराबिगहा गांव के निवासी रघुनंदन मिस्त्री अमृत मानते हैं। इन्हें वृद्धावस्था पेंशन मिलता है।

इनकी चिंता यह थी कि जब लॉक डाउन हो गया तो अब विभिन्न स्तरों पर परेशानी झेल रही सरकार इनकी चिंता क्यों करेगी? ऐसे में इनका गुजारा कैसे होगा? लेकिन इनकी चिंता उस वक्त गैर वाजिब साबित हुई जब इन्हें पेंशन की रकम मिल गई। यह कहते हैं कि मुसीबत की इस घड़ी में यह सरकारी सहायता उनके लिए अमृत का काम किया है और इसके लिए केंद्र सरकार धन्यवाद की पात्र है।

इन किसानों की लौटी रौनक

सरकार ने हमारी सुन ली
यूं तो इस वक्त किसी भी जरूरतमंद के लिए सरकारी सहायता काफी मायने रखती है ,क्योंकि लोगों की लॉकडाउन के इस संकटपूर्ण दौर में आजीविका के साधन रुक गए हैं । लेकिन हमारे अन्नदाता किसानों के लिए यह सहायता विशेष महत्व रखती है क्योंकि इससे उनकी रोटी और खेती दोनों का जुड़ाव होता है। मधुबनी जिले के अंतर्गत घोंघरिया प्रखंड के तिलक गांव के रहने वाले किसान रामदेव शाह और पटना जिले के फतुहा थाना अंतर्गत भोजपुर गांव के कुमार को प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत रू2000 उनके खाते में भेज दिए गए हैं ।इन दोनों किसानों के परिवार के भरण-पोषण का मुख्य आधार कृषि कार्य ही है । लॉकडाउन की लंबी अवधि में सब कुछ बंद हो जाने से उनकी जमा पूंजी भी समाप्त हो गई थी। अब इनकी चिंता घर में रोटी की व्यवस्था के साथ अपनी खेती की बंद पड़ी गतिविधि को शुरू करने के लिए आर्थिक स्रोत की व्यवस्था करना था। लेकिन केंद्र सरकार ने इनकी इस चिंता को दूर कर दिया । किसान कुमार बताते हैं कि हमारी परेशानी संकट के इस समय में जिस तरह से प्रधानमंत्री जी ने दूर कर दिया है, इसके लिए मैं उनके प्रति धन्यवाद ज्ञापित करता हूं ।

अब नहीं रहना पड़ेगा भूखे

मेहनत मजदूरी करके रोज अपने घर परिवार के लिए भोजन की व्यवस्था करने वालों की परेशानी इस लॉक डाउन में काफी बढ़ गई है । जब मजदूरी का काम ही नहीं मिले तो राशन की व्यवस्था भला कैसे की जा सकती है । गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करने वाली एक बड़ी आबादी के लिए यह एक आम समस्या मानी जाती रही है । इसे ध्यान में रखकर सरकार ने अंत्योदय योजना के जरिए ऐसे परिवारों को संरक्षण देने की कोशिश की है। तकलीफ में केंद्र सरकार इस योजना के लाभुकों को खाद्यान्न उपलब्ध करा रही है । ऐसे ही एक परिवार के मुखिया हैं कृष्ण देव मंडल । यह मधुबनी जिला के अंतर्गत घोघरिया प्रखंड के गढ़वा गांव के निवासी हैं ।इन्हें इस योजना के तहत राशन मिला है ।कृष्ण देव मंडल बताते हैं कि वे डीलर के पास गए थे तो उन्होंने बताया कि अप्रैल महीने का राशन भी इन्हें 5 दिनों के अंदर मिल जाएगा। परेशानी के इस दौर में अन्न के रूप में केंद्र सरकार के सहयोग से ये काफी खुश हैं और इनके मन में यह विश्वास मजबूत हो गया है कि वाकई केंद्र सरकार को इनके जैसे अति जरूरतमंदों की फिक्र कहीं ज्यादा है।