डॉक्टरों की शहादत से कोरोना की जंग आप नहीं जीत सकते!

बढ़ते कोरोना संक्रमण और उनसे होने वाली मौत के साथ अब ये विभिन्न कोरोना प्रहरी के साथ डॉक्टरों को भी अपनी गिरफ्त में ले रहा है। जहाँ देश में कुल 37,776 मामलों में से मरने वालों की संख्या बढ़कर हुई 1223 हो गई तो आज बिहार में कोरोना वायरस के आज कुछ नए मामलों के साथ कुल मामले 481 हो गए हैं। देखने को ये मिल रहा कि अब यहाँ भी धीरे धीरे मौत के ऑकड़े में बढ़ोतरी हो रही है। आज लॉकडाउन के बाद हम अपने घरों में खुद को सुरक्षित मान रहे तो दूसरी ओर अपनी जान जोखिम में डाल कर स्वास्थ कर्मी लोगों का इलाज कर रहे हैं अगर कुछ एक मामले को छोड़ दें तो ये कहना गलत नहीं होगा एक बड़ी संख्या में लोग स्वास्थ भी हो रहे हैं और इनकी ही वजह से अपने घर भी लौट रहे है।

चिंताजनक है, स्वास्थ्यकर्मी भी कोरोना से प्रभावित हो रहे हैं

बिहार सरकार के स्वास्थ विभाग के सचिव के द्वारा ट्विट की गयी पिछली जानकारी अनुसार अभी तक बिहार में 87 कन्टेनमेंट जोन के साथ खबर लिखने तक का अकड़ा कुल 478 कोरोना पॉजिटिव है, शायद यही कारण रहा है कि बिहार सरकार स्वास्थ विभाग ने अपने आदेश जिसमे सभी चिकित्सा पदाधिकारी एवं स्वास्थ कर्मी के अवकाश को 30 अप्रैल तक रद्द किया था इसे अब महामारी के नियंत्रण के उदेश्य से 31 मई तक बढ़ा दिया है। लेकिन इन सभों के बीच सबसे परेशान करने वाली खबर देश के विभिन्न हिस्से से सामने आ रही है वो है वो है स्वास्थ कर्मियों के कोरोना संक्रमित होने की। पिछले दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने बताया है, “दिल्ली में 4.11% स्वास्थ्यकर्मी (13 पैरामेडिक्स, 26 नर्स, 24 फील्ड वर्कर्स, 33 डॉक्टर) कोरोना वायरस संक्रमण से प्रभावित हैं। यह चिंताजनक है।” उन्होंने कहा कि वर्तमान में दिल्ली में तकरीबन 100 कोरोना हॉटस्पॉट्स हैं और यह नंबर नीचे जाना चाहिए। गौरतलब है, दिल्ली में कोरोना संक्रमण के 3,515 मामले सामने आ चुके हैं। ज़ाहिर है कहीं न कहीं चूक तो हुई है ऐसे में विभिन्न डॉक्टरों एवं स्वास्थ कर्मियों द्वारा सरकार से गुहार लगाना कि हमें पर्याप्त सुविधा मुहैया करें गलत नहीं है

‘स्वास्थ्य कर्मियों को चार गुना ज़्यादा ख़तरा होता है’

जानकारों कि माने तो , “किसी भी ख़तरनाक बीमारी के वक्त स्वास्थ्य कर्मी आम लोगों के मुक़ाबले चार गुना ज़्यादा ख़तरे का सामना कर रहे होते हैं। दूसरा ख़तरा स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार को होता है। ये ज़रूरी है कि जब आप घर जाते हैं तो कोई वायरस लेकर घर ना जाएं, नहीं तो आपका परिवार भी संक्रमित हो सकता है। यही वजह है रही है कि ज़यादा टार डॉक्टर सेल्फ आइसोलेशन में परिवार से दूर हूं।”

साथही “जिस प्रकार मामले बढ़ रहे हैं ऐसे में डॉक्टरों के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं। और ये सवाल भी उठता है कि अगर मरीज़ों का इलाज करने वाले लोग ही बीमार पड़ जाएंगे, तो मरीज़ों को कौन देखेगा? इसलिए ज़रूरी है कि डॉक्टर की सेहत ठीक रहे। ये तभी हो सकता है जब डॉक्टर्स को पीपीई किट एवं दुसरी प्रयाप्त सुविधा भी मिले।”

कोरोनावायरस को कंट्रोल करने के लिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने नई गाइडलाइन जारी की है। पिछले शुक्रवार रात को जारी एडवाइजरी में बताया कोरोना पीड़ित के सम्पर्क में आए लोगों को लक्षण न दिखने के बावजूद अगले 5-14 दिन में अंदर जांच कराने की जरूरत है। आईसीएमआर ने 5 ऐसी स्थितियां बताई हैं जब तत्काल जांच कराने की जरूरत है। जैसे कि किसी कोरोना मरीज से मिले हैं तो लक्षण न दिखने के बावजूद उससे सम्पर्क के 5 से 4 दिन के अंदर जांच जरूर कराएं। साथही यदि ऐसे लोग जो कोरोना से पीड़ित मरीजों और इनकी देखभाल करने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के घर या बिल्डिंग में रह रहें हैं तो सावधानी नहीं बरत रहे हैं। इन्हें जांच की जरूरत है भले लक्षण दिखें या नहीं।

यदि बात दिल्ली, उत्तर प्रदेश एवं अन्य कई राज्यों की करें तो वहां मेडिकल स्टॉफ के परिवारों की सुरक्षा के लिए एक बड़ा कदम उठाया गया है। जिला प्रशासन द्वारा डॉक्टरों के रहने का इंतजाम निजी होटलों में किया है। लेकिन यदि बात बिहार की करें तो दैनिक भास्कर, नवादा में 17 अप्रैल को छपी एक खबर के अनुसार यहाँ जिला प्रशासन एवं सरकार का बर्ताव बिलकुल विपरीत है जहाँ सुविधा तो दूर सारे नियमों की भी अनदेखी की जा रही है। इनमें 3 डॉक्टर दूसरे जिले में ड्यूटी करने आते हैं जो रोस्टर के अनुसार से ड्यूटी करने के बाद वापस घर चले जाते हैं। इन तमाम चुनौतियां के साथ-साथ काम करते वक्त डॉक्टर शारीरिक और मानसिक तौर पर भी मुश्किल स्थितियों से जूझ रहे हैं।  वैसे आज पटना के पीएमसीएच के 8 डॉक्टरों पर बड़ी कार्रवाई की गई है। बताया जा रहा है कि डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 एपिडेमिक डिजीज एक्ट 1897 की धाराओं के तहत 8 डॉक्टरों को निलंबित किया गया है। ये सभी डॉक्टर की आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी लगाई गई थी। जिसका उन्होंने विरोध किया था और मेडिसिन विभाग में जाकर हंगामा किया था। जिसको लेकर पीएमसीएच प्रशासन ने करवाई करते हुए आठों डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया। आखिर क्यों न हो यदि मंत्री मंगल पाण्डेय जी की माने तो देश में 10 लाख पंजीकृत डॉक्टर हैं जिनमें बिहार में पंजीकृत डॉक्टरों की संख्या केवल 40,043 है। परन्तु वर्तमान में, यदि मेडिकल कॉलेज में कार्यरत डॉक्टर को मिला कर भी, राज्य में लगभग केवल 6,830 डॉक्टर ही काम कर रहे हैं।

वैसे अभी तक देश में कोरोना वायरस के सबसे ज्यादा मरीज मुंबई से हैं। लेकिन, शहर में कोरोना से जंग लड़ने वाले डॉक्टरों ,नर्सों और बाकी मेडिकल स्टाफ की संख्या कम होती जा रही है। कुछ लोग संक्रमित हो चुके हैं और कई ने कोरोना के खौफ एवं दूसरा कारण बता काम पर आना छोड़ दिया है। बीएमसी लगातार डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की भर्ती के इंतजार में है, जबकि उसे जरूरत के मुताबिक डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ नहीं मिल पा रहे हैं। मौजूदा स्थिति ये भी बताई जा रही है कि कई अस्पतालों में तो हाउसकीपिंग स्टाफ की भी किल्लत होने लगी है। जिन लोगों के पास अस्पतालों की निगरानी का जिम्मा है, वह कहते हैं कि आखिर कब तक वह स्टाफ को काम पर आने के लिए मनाते रहेंगे।

मुंबई में कम पड़ रही है कोरोना योद्धाओं की गिनती

कोरोना वायरस से जंग में मुंबई में डॉक्टरों और नर्सों की भारी कमी महसूस की जा रही है। मुंबई मिरर में छपी एक खबर के मुताबिक बीएमसी और निजी अस्पतालों को मिलाकर 500 स्वास्थ्यकर्मी जिनमें डॉक्टर, नर्स और पारामेडिक्स स्टाफ शामिल हैं, वो खुद ही कोविड-19 से संक्रमित हो चुके हैं। सेवेन हिल्स अस्पताल में तैनात एक अधिकारी के मुताबिक उन्हें बहुत ज्यादा डॉक्टरों और नर्सों की जरूरत है। उनके मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने ये है कि जो स्टाफ मौजूद हैं कम से कम वह भी काम पर आते रहें। ऐसे स्थिति उस समय में हो रही है, जब मुंबई में रोजाना मरीजों की तादाद काफी बढ़ रही है। मुंबई में मरीजों की रफ्तार किस रप्तार से बढ़ रही है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अकेले पिछले गुरुवार को ही एक हज़ार से ज्यादा नए मरीज मिलने के साथ कुल मरीजों का आंकड़ा दस हजार के पार कर गया।

डॉक्टरों-मेडिकल स्टाफ को बड़े पैमाने और मोटी सैलरी पर जॉब का ऑफर

मुंबई इस समय डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ की कितनी भारी किल्लत झेल रहा है
इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि सिर्फ सेवेन हिल्स अस्पताल को कोरोना से लड़ने के लिए इस वक्त 30 सीनियर कंसल्टेंट, 10 एनेसथेटिस्ट्स, तीन नेफ्रोलॉजिस्ट, एक न्यूरोलॉजिस्ट, एक कार्डियोलॉजिस्ट, 9 एसिस्टेंट मेडिकल ऑफिसर और 400 अतिरिक्त नर्सों की दरकार है। सबको तीन महीने के लिए फिक्स सैलरी पर कॉन्ट्रैक्ट का ऑफर दिया जा रहा है। मसलन, कंसल्टेंट को 3।5 लाख रुपये महीने, एमबीबीएस डॉक्टरों को 80 हजार, बीएएमएस को 60 हजार, बीएचएमएस को 50 हजार, नर्सों को 30 हजार और वॉर्ड ब्वॉय को 20 हजार रुपये । 450 बेड वाला यह अस्पताल आज लगभग पूरा भरा हुआ है। पिछले महीने बीएमसी ने कहा था कि वह सेवेन हिल्स अस्पताल को महानगर के सबसे बड़े कोविड-19 अस्पताल में परिवर्तित करेगा, जिसमें 1,500 बेड होंगे, लेकिन मेडिकल स्टाफ की कमी के चलते यह काम नहीं हो पा रहा है। उधर रिलायंस ग्रुप ने भी कॉर्पोरेट सोशल रेस्पॉन्सिबिलिटी के तहत यहां जो 30 आईसीयू बेड सेट किया है, उसका भी उपयोग स्टाफ की किल्लत के चलते नहीं हो पा रहा है और यह अस्पताल उन्हीं 8 आईसीयू बेड का इस्तेमाल कर रहा है, जो उसके पास पहले से ही था।