DURGA POOJA 2020 : कोलकता के मूर्ति कारीगरों को रोटी का संकट, 3000 करोड़ का कारोबार चौपट, नहीं मिल रहे ऑर्डर

विश्वप्रसिद्ध कोलकता की दुर्गापूजा की तैयारियां अमूमन 7-8 महीने पहले हीं शुरू हो जाया करती थी, लेकिन इस बार चौतरफा सन्नाटा पसरा है। पूजा समितियों के लोगों को पूजा के स्वरूप को लेकर चिंता है। चिंता ये भी कि कोरोना महामारी के कारण पूजा की भव्यता इस बार पहले जैसा नहीं होगी।

दीवारों पर लिखी इबारत अभी से दिख रही

जतिन दास पार्क, हाजरा क्रॉसिंग की 75 साल पुरानी दुर्गा पूजा की शुरुआत नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने कोलकाता म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के दलितों के लिए की थी। तब उन्हें पूजा में शरीक नहीं होने दिया जाता था। यहां आज भी पूजा होती है। लेकिन, इस बार कोरोना के कारण आकार छोटा होगा। कारोबारी कहते हैं कि हमें दीवार पर लिखी इबारत अभी से दिख रही है।

आयोजन को लेकर सरकार को पत्र

पूजा का रूप क्या होगा, अभी तय नहीं है, क्योंकि 150 पूजा समितियों के संगठन वेस्ट बंगाल दुर्गा पूजा फोरम ने राज्य सरकार को आयोजन के स्वरूप तय करने को लेकर पत्र लिखा है। ताकि समय रहते जरूरी एहतियात बरत लिए जाए। लेकिन, अभी सरकार का जवाब नहीं आया है।

कोरोना के कारण कम गये आर्डर

मूर्ति निर्माण के लिए प्रसिद्ध कोलाकाता की कुम्हार टोली में शिल्पकारों के संगठन ‘कुम्हारटोली मृत शिल्प संस्कृति समिति’, के बाहर टंगे फ्लेक्स पर ’लाल’ अक्षरों में लिखा है ’फॉरेनर्स नॉट अलाउड’।’फॉरेनर्स’ की बात इसलिए कि दूसरे देशों में भी यहां के कारीगरों की पारंपरिक ढंग से बनाई मूर्तियों की मांग है और हर साल बड़े पैमाने पर विदेशी यहां मूर्तियों का आर्डर देने आते हैं।

विदेशों से मिलने वाले ऑर्डर ठप

जय दुर्गा भंडार के कौशिक घोष बताते हैं कि फरवरी-मार्च से ही फॉरेन से आर्डर बुक होने लगते थे। उसी समय हमें दो आर्डर मिले, उसके बाद एक भी नहीं। घोष, फाइबर से बनी मूर्तियां विदेश भेजते हैं। अभी कुछ दिन पहले ही उन्होंने 1 मूर्ति ऑस्ट्रेलिया और दूसरी कनाडा भेजी है। कीमत 2 से 2.5 लाख रुपए मिली। उन्होंने ऐसी ही सात मूर्तियां इस उम्मीद में तैयार कर रखीं हैं कि शायद सिंगापुर या दुबई से आने वाले दिनों में कोई ऑनलाइन या टेलीफोन पर आर्डर आ जाए।
कहें तो कोविड महामारी ने हमारे जनजीवन को अस्त-व्यस्त किया हीं है, इसके कारण हमारी वर्षों पुरानी परंपराएं भी टूट रही है।