मकर संक्रांति को लेकर सजने लगे बाजार, जानिए कितनी पड़ने वाली है इस बार महंगाई की मार।

मकर सक्रांति को लेकर सजने लगे हैं बिहार की दुकानें। प्रत्येक वर्ष बिहार में 14 जनवरी को मनाया जाने वाला त्योहार मकर सक्रांति को लेकर बिहार के लोग उत्साहित दिख रहे है। मकर सक्रांति के मौके पर राज्य के दुकानें भी सज चुकी हैं।

कब मनाया जाता है मकर सक्रांति।

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। खगोलशास्त्र के मुताबिक देखें तो सूर्य जब दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं, या पृथ्वी का उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है उस दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। संक्रांति हर वर्ष 14 या 15 जनवरी को मनाया जाता है।

क्यों मनाया जाता है मकर सक्रांति।

सनातन मान्यताओं के मुताबिक मकर संक्रांति के दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्वयं उनके घर जाते हैं। चूंकि शनि देव मकर राशि के स्वामी हैं, उनके घर में सूर्य के प्रवेश मात्र से शनि का प्रभाव क्षीण हो जाता है। क्योंकि सूर्य के प्रकाश के सामने कोई नकारात्मकता नहीं टिक सकती है। मान्यता है कि मकर संक्रांति पर सूर्य की आराधना और इनसे संबंधित दान करने से सारे शनि जनित दोष दूर हो जाते हैं।

शास्त्रों के अनुसार मकर संक्रान्ति के दिन ही भगवान विष्णु के अंगूठे से निकली देवी गंगाजी भागीरथ के पीछे पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं और भगीरथ के पूर्वज महाराज सागर के पुत्रों को मुक्ति प्रदान हुआ था। इसीलिए इस दिन बंगाल के गंगासागर में कपिल मुनि के आश्रम पर एक विशाल मेला लगता है।

बिहार में मकर संक्रान्ति को खिचड़ी नाम से जाना जाता है। इस दिन उड़द, चावल, तिल, चिवड़ा, गौ, स्वर्ण, ऊनी वस्त्र, कम्बल आदि दान करने का अपना महत्त्व है।महाराष्ट्र में इस दिन सभी विवाहित महिलाएँ अपनी पहली संक्रान्ति पर कपास, तेल व नमक आदि चीजें अन्य सुहागिन महिलाओं को दान करती हैं। तिल-गूल नामक हलवे के बाँटने की प्रथा भी है। लोग एक दूसरे को तिल गुड़ देते हैं और देते समय बोलते हैं -“तिळ गूळ घ्या आणि गोड़ गोड़ बोला” अर्थात तिल गुड़ लो और मीठा-मीठा बोलो। इस दिन महिलाएँ आपस में तिल, गुड़, रोली और हल्दी बाँटती हैं।

किस राज्य में किस नाम से मनाया जाता है मकर सक्रांति।

• उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। चावल और दाल की खिचड़ी खाई और दान की जाती है। तिल और गुड़ के दान की परंपरा भी है।

• आंध्रप्रदेश में संक्रांति नाम से तीन दिन का पर्व मनाया जाता है। वहीं तमिलनाडु में खेती किसानी के प्रमुख पर्व के रूप में संक्रांति को पोंगल के नाम से मनाया जाता है। इस दिन घी में दाल चावल की खिचड़ी पकाई और खिलाई जाती है।

• गुजरात और राजस्थान में मकर संक्रांति को उत्तरायण पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दोनों ही राज्यों में बड़े धूम से पतंग उत्सव का आयोजन किया जाता है।

• महाराष्ट्र में भी इसे मकर संक्रांति या संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। यहां लोग गजक और तिल के लड्डू खाते एवं दान करते हैं। एक दूसरे को भेंट देकर शुभकामनाएं देते हैं।

•पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति के दिन हुगली नदी पर गंगा सागर मेले का आयोजन किया जाता है। तो असम में इसे भोगली बिहू के नाम से मनाया जाता है।

आपको बता दें कि कोरोना के बढ़ते मामलों और महंगाई के मार के बीच कल बिहार में मकर सक्रांति का त्योहार मनाया जानेवाला है। वर्षो से मनाए जा रहे इस त्योहार में हम दिन में चूड़ा,दही , गुड़ और तिलकुट खाते हैं वहीं शाम में खिचड़ी खाने की परंपरा रही है।

दुकानों में चूड़ा,दही गुड़ और तिलकुट के क्या दाम हैं इसको जानने के लिए हमने पटना के एक दुकानदार रंजीत कुमार से बात की जिसमे उन्होंने बताया कि मार्केट में कई तरह के तिलकुट मौजूद हैं अलग अलग तिलकुटों का उनके गुणवता के आधार पर अलग अलग कीमत है। उन्होंने बताया कि मार्केट में 180 रुपए किलो से लेकर 300 रुपए किलो तक के तिलकुट मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने दुकान पर गया की खास तिलकुट लेकर आए हैं। जिसकी कीमत 200 रुपए प्रति किलोग्राम है।

वही चूड़ा के दाम को लेकर उन्होंने कहा कि मार्केट में तीन तरह के चूड़ा मिल रहे हैं तीनों के दाम अलग अलग हैं। बासमती और कतरनी धानो का चूड़ा मार्केट में 60 रुपए किलो मिल रहा है वहीं अरवा चूड़े की कीमत 32 रुपया किलो है। वहीं गुड़ पहले के कीमत 40 रुपया पर ही मिल रहा है जबकि भूरा की कीमत 50 रुपया किलो है।

कोरोना को देखते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य सरकार ने मकर सक्रांति के त्योहारों पर लोगो को कोरोना के नियमों का पालन करने की अपील की है।