वैज्ञानिक दृष्टिकोण, टीकाकरण, आस्था और निस्वार्थ मानव सेवा से मिलेगी कोविड और मानसिक उलझनों से निजात — बोले धर्मगुरु

यूनिसेफ द्वारा आयोजित “आस्क द डॉक्टर” वेबिनार श्रृंखला में आज शनिवार को बिहार इंटर-फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन के धर्मगुरुओं द्वारा कोरोनाकाल में टीकाकरण और मानसिक स्वास्थ्य के महत्त्व पर चर्चा की गयी।
वेबिनार में राज्य के विभिन्न जिलों से करीब 200 प्रतिभागी जुड़े। यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन एवं इंदिरा गाँधी आयुर्विज्ञान संस्थान के तत्वावधान में आयोजित वेबिनार में प्रतिभागियों ने चिकित्सकों एवं विशेषज्ञों से अपने सवाल के जवाब पाया।

ध्यान और दवाई से किसी भी रोग से मुक्ति संभव- ब्रह्मकुमारी बी.के.ज्योति

वेबिनार में अपने संबोधन में ब्रह्मकुमारीज़ संस्था की सिस्टर बी.के.ज्योति ने बताया कि ध्यान और दवाई के समागम से किसी भी रोग से मुक्ति संभव है। कोरोनाकाल में बिहार इंटर-फेथ फोरम फॉर चिल्ड्रन के सदस्यों ने कोविड से बचाव, बच्चों को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने में अपनी भूमिका निभाई है। इसमें यूनिसेफ द्वारा समय समय पर आयोजित वेबिनार ने बच्चों को प्रेरित करने में उनकी मदद कीया है। सिस्टर ज्योति ने बताया कि हमने बच्चों में कलात्मक क्षमता का विकास किया है जिससे वे सृजनात्मक कार्यों में ध्यान लगाकर स्वस्थ रह पाएंगे।

जिस्म और रूह का संगम संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरुरी- सैयद शाह शमीमुद्दीन

वेबिनार को संबोधित करते हुए खानकाह मुनेमिया के प्रोफेसर सैयद शाह शमीमुद्दीन ने बताया कि जिस्म और रूह का संगम विपरीत परिस्थिति से लड़ने की हिम्मत देता है और इंसान को स्वस्थ रखता है। मजहब या धर्म से विज्ञान जुड़ा है और कोविड का टीका इसी विज्ञान की खोज है जिसे सभी को जरुर लगवाना चाहिए।

सैयद शाह शमीमुद्दीन ने बताया कि सरकार द्वारा धार्मिक जगहों पर टीकाकरण की शुरुआत एक सकारात्मक पहल है और इससे इन जगहों से जुड़े लोगों के मन में टीके को लेकर जुड़ी शंकाओं से निजात मिली है और धर्मगुरुओं के कहने पर लोग टीकाकरण के लिए आगे आ रहे हैं।

बच्चों का टीका पूर्णतः सुरक्षित- डॉ. राजेश वर्मा:


प्रतिभागियों द्वारा किशोरों के टीकाकरण पर पूछे सवाल पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ. राजेश वर्मा ने बताया कि 15 से 17 वर्ष के सभी बच्चों को कोविड का टीका जरुर लगवाना चाहिए। शोध एवं क्लिनिकल जांच के बाद ही टीका उपलब्ध कराया गया है और यह पुर्णतः सुरक्षित है।

मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता के प्रचार में धर्मगुरुओं की भूमिका अहम्- डॉ. राजेश कुमार


वेबिनार में अपने संबोधन में आईजीआईएमएस के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजेश कुमार ने कहा कि आबादी का एक बड़ा तबका धर्मगुरुओं की बात सुनता है और उनसे अपनी मन की बात साझा करता है। मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता एवं प्रचार करने में समुदाय को जागरूक करने में धर्मगुरुओं की भूमिका अहम् साबित हो सकती है। धर्मगुरुओं का समूह हाशिए पर रह रहे लोगों को गुणात्मक चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध कराने की महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकते हैं।

सिस्टर्स ऑफ़ नोट्रेडेम की सिस्टर ज्योतिषा ने भी प्रभु का नाम, प्रार्थना और चिकित्सा के जुड़ाव की महत्ता पर किया चर्चा और शुरुआत से ही बच्चों को मानसिक स्वास्थ्य, ध्यान और अध्यात्म की शिक्षा देने पर बल दिया।

आईजीआईएमएस की क्लिनिकल साइकोलोजिस्ट डॉ. प्रिया कुमारी ने धर्मगुरुओं को मानसिक अवसाद या डिप्रेशन के लक्षणों को पहचानने के बारे में बताया और कहा कि ऐसे लक्षणों वाले लोगों को तत्काल उपचार के लिए रेफर करें।

यूनिसेफ के स्वास्थ्य विशेषग्य डॉ. सिद्धार्थ रेड्डी ने बताया कि कोरोना का टीका लेने के बाद जो मामुली साइड इफ़ेक्ट होते हैं वे खुद से ठीक हो जाते हैं और इनसे डर कर टीका लेने में संकोच नहीं करें।

वेबिनार का संचालन निपुण गुप्ता, संचार विशेषग्य, यूनिसेफ एवं हेल्थ ऑफिसर डॉ. सरिता वर्मा ने किया। राज्य स्वास्थ्य समीति से डॉ. अविनाश पांडे ने भी वेबिनार में शिरकत कीया। वेबिनार में ज़िलों से जुड़े सभी धर्मों के प्रतिभागियों ने विशेषज्ञों एवं चिकित्सकों से अपने सवाल कर उनका जवाब पाया।