कयास लगाए जा रहे हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 14 जनवरी को ‘खरमास’ के अशुभ महीने की समाप्ति के बाद मंत्रिमंडल विस्तार कर सकते हैं।
दरअसल, ये अटकलें मंगलवार को आए उपेंद्र कुशवाहा के उस बयान के बाद लगनी शुरू हुईं हैं, जिसमें उन्होंने सरकार में शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी। अपने बयान में कुशवाहा ने कहा था, ‘मैं जनता की सेवा करने के लिए राजनीति में आया हूं। स्पष्ट तौर पर कोई पावर में इसलिए रहना चाहता है, ताकि वह लोगों की सेवा कर सके।’
सियासी गलियारों में यह भी चर्चा है कि उपेंद्र कुशवाहा की नजर बिहार सरकार में डिप्टी सीएम की पोस्ट पर है। उनके हालिया बयान से भी माना जा रहा है कि वे नीतीश सरकार में पद चाहते हैं। बता दें कि कुशवाहा मानव संसाधन विकास विभाग के पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री रह चुके हैं। कुशवाहा पिछले साल ही महागठबंधन में शामिल हुए थे। उन्होंने अपनी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का जनता दल यूनाइटेड में विलय कर दिया था।
बिहार में कांग्रेस ने भी नीतीश सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। दरअसल, कांग्रेस नीतीश कैबिनेट में दो और पद चाहती है। सबसे पुरानी पार्टी के पास फिलहाल बिहार सरकार में सिर्फ दो मंत्री पद हैं।
माना जा रहा है कि कुशवाहा के नीतीश मंत्रिमंडल में शामिल होने में राजद बन सकती है बाधा…
बिहार में RJD के पास फिलहाल 79 विधायक हैं। इस समय राजद महागठबंधन में शामिल सबसे बड़ी पार्टी है। तेजस्वी यादव सरकार में इस दल का नेतृत्व करते हुए फिलहाल डिप्टी सीएम का पद संभाल रहे हैं। ऐसे में अगर उपेंद्र कुशवाहा को भी उपमुख्यमंत्री का पद दे दिया जाता है तो इसे राजद के लिहाज से ठीक नहीं माना जाएगा।
बिहार के महागठबंधन में शामिल दलों में जनता दल यूनाइटेड के पास 45 विधायक, कांग्रेस के पास 19, भाकपा माले के पास 12, हम के पास 4, भाकपा के पास 2 और माकपा के पास 2 विधायक हैं।
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