अब बिहार के प्राचार्यों का कार्यकाल न्यूनतम होगा पांच साल, शिक्षा मंत्री ने स्वीकारा शिक्षा व्यवस्था में लापरवाही की बात।

बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य के सरकारी काॅलेजों में प्राचार्यों का कार्यकाल अब कम-से-कम पांच साल का होगा। इनका कार्यकाल पांच साल के लिए बढ़ाया जा सकता है यानी सरकारी कॉलेजों के प्राचार्य अधिकतम 10 साल तक अपने पद पर अब रह पायेंगे। इनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय सेवा आयोग की मदद से करायी जायेगी। तो वहीं विवि में तृतीय श्रेणी के पदों पर नियुक्ति की जिम्मेदारी राज्य कर्मचारी चयन आयोग को दिये जाने का फैसला लिया गया है। विवि कर्मियों को वेतन पोर्टल से जारी किया जायेगा। वह शुक्रवार को विवि शिक्षकों एवं शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन सत्यापन के लिए ”एंड ऑफ एंड सॉल्यूशन सॉफ्टवेयर” आधारित पोर्टल के लोकार्पण समारोह को संबाेधित कर रहे थे।

क्या कहते हैं शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय सेवा आयोग से एक साल में 4600 असिस्टेंट प्रोफेसरों का चयन करने के लिए कहा गया है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की रिक्तियों की सूची तक समय पर नहीं दे रहे। उच्च शिक्षण संस्थाओं में नामांकन की समुचित जानकारी नहीं दी जा रही। इस तरह की लापरवाही से राज्य को शर्मिंदा होना पड़ता है। उनके रवैये से हमारा सकल नामांकन अनुपात कम हो जाता है। इस रवैये काे सुधारना होगा।

इससे पहले शिक्षा विभाग के सचिव असंगबा चुबा आओ ने पे सत्यापन पोर्टल के बारे में बताया कि विवि के कर्मचारी और शिक्षकों को खुद लाॅग इन कर अपना वेतन भरना है। कॉलेज, विश्वविद्यालय से होते हुए वेतन कोषांग तक की मंजूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी। दावा-आपत्ति भी ऑनलाइन होगी। कर्मचारी को पे स्लिम इमेल से मिलेगी।

जीइआर 14.5% से बढ़ कर हुआ 20 प्रतिशत
अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने बताया कि विवि में तृतीय श्रेणी के शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति बिहार राज्य अधीनस्थ सेवा आयोग के जरिये कराये जाने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि बिहार के उच्च शिक्षण संस्थाओं का जीइआर 14.5% से बढ़ कर 20% हो गया है। कॉलेजों और विवि में औसत नामांकन 17 लाख थे, जो अब बढ़ कर 23 लाख हो गये हैं। ब्लॉक स्तर पर कॉलेज खोलने का निर्णय भी लिया गया है।