रूस S-400 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम को लेकर तुर्की अमेरिका के रवैए को लेकर नाराज चल रहा है। तुर्की के रक्षा मंत्री हुलुसी अकर ने हुर्रियत अखबार से बातचीत में कहा है कि अमेरिका रूस से S-400 सिस्टम की खरीद के मामले में तुर्की और भारत के प्रति अलग-अलग नीतियों का पालन करता है। अगर अमेरिका तुर्की की सच्ची दोस्ती, ताकत और गठबंधन पर ध्यान देता तो चीजें आसान हो जातीं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका S-400 को लेकर भारत के लिए एक ‘अपवाद’ बनाने को तैयार दिख रहा है और उन प्रतिबंधों को लागू करने से परहेज कर सकता है जो तुर्की पर S-400 की खरीद पर लगाए गए थे।
2018 में S-400 डील पर हुआ था साइन
बता दें कि नई दिल्ली ने 2015 में रूसी S-400 सिस्टम की खरीदने की योजना की घोषणा की थी। अक्टूबर 2018 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे पर S-400 सिस्टम के पांच रेजिमेंट की डिलीवरी पर 5।4 बिलियन डॉलर के अनुबंध पर साइन किए गए थे। दिसंबर 2021 में भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने जानकारी दी थी कि S-400 सिस्टम की डिलीवरी शुरू हो चुकी है।
अमेरिका ने दी थी भारत को धमकी!
इसके बाद रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा था कि रूसी-भारतीय सहयोग को कमजोर करने के अमेरिकी कोशिशों के बावजूद यह सौदा योजनाओं के अनुसार लागू किया जा रहा था। S-400 सौदे ने वाशिंगटन को इतना नाराज कर दिया था कि अमेरिका ने 2017 काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेंक्शंस एक्ट (CAATSA) का उपयोग करके प्रतिबंधों की धमकियों के साथ रूस से हथियार और सैन्य हार्डवेयर प्राप्त करने वाले देशों को डराना शुरू कर दिया। हालांकि नई दिल्ली ने अमेरिका से साफ कहा है कि वह S-400 पर पीछे नहीं हटने वाला।
S-400 के बारे में जानिए
S-400 दुनिया के सबसे एडवांस्ड एयर डिफेंस सिस्टम में से माना जाता है। यह एक लंबी दूरी की सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम है। S-400 में ड्रोन, मिसाइल, रॉकेट और यहां तक कि लड़ाकू जेट सहित लगभग सभी तरह के हवाई हमलों से बचाने की क्षमता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि यह एक साथ 400 किलोमीटर दूरी तक 72 टारगेट को एक साथ तबाह कर सकती है। भारत इस एयर डिफेंस सिस्टम को चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमान के हमलों के काट के तौर पर देख रहा है।
You must be logged in to post a comment.