‘वित्तीय सेवाओं पर कोविड-19 का प्रभाव’ विषय पर पटना में वेबिनार आयोजित, वित्तीय सेवा क्षेत्र के विशेषज्ञ कुमार ज्योति ने क्या कहा, पढ़िये

बिहार की राजधानी पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस के अर्थशास्त्र विभाग और आईक्यूएसी विभाग के संयुक्त तत्वाधान में वित्तीय सेवाओं पर कोविड-19 का प्रभाव’ पर अंतराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। इस वेबिनार में मुख्य वक्ता के तौर पर वित्तीय सेवा क्षेत्र विशेषज्ञ और बार्विक बिजनेस स्कूल, लंदन के एग्जीक्यूटिव एम०बी०ए० एवं वरीय परियोजना प्रबंधक, कुमार ज्योति ने आज के विषय “वित्तीय सेवाओं पर कोविड-19 का प्रभाव” पर प्रकाश डाला।

वित्तीय सेवा क्षेत्र में इन उपायों से दूर होगा संकट-कुमार ज्योति

कुमार ज्योति ने कहा कि कोविड-19 से उत्पन्न तनाव और चुनौतियों का सामना करने के लिए वित्तीय सेवा क्षेत्र में उत्पादकता वृद्धि, प्रौद्योगिक सक्षमता, ग्राहकों को जोड़ना, जीवंत प्रणाली और साझेदारी बनाना, सामाजिक उत्तरदायित्व अतःस्थापन और जोखिम प्रबंधन प्रक्रिया पर ध्यान देना होगा और वित्तीय सेवा क्षेत्र में यह परिवर्तन आने लगा है। बैंकिंग क्षेत्र परिवर्तनात्मक हो गया है। यूके इंश्योरेंस इंडस्ट्री का विश्व में चौथा स्थान है और यूके की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है। उन्होंने बताया कि इंश्योरेंस सेक्टर का कोविड-19 में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है क्योंकि रोजगार सृजन का कार्य करते हैं। इतना ही नहीं अर्थव्यवस्था के पूर्ति श्रृंखला को भी सहारा देता है। यह घरेलू कंपनियों की कार्यविधि और सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का सूचक राष्ट्रीय आय में अत्यंत गिरावट और शुद्ध लाभ है। इसीलिए उन्होंने आय और शुद्ध लाभ पर कोविड-19 के प्रत्याशित प्रभाव की चर्चा की। सभी वित्तीय संस्थाएं एक दूसरे से संबंधित वित्तीय प्रणाली पर कोविड-19 के दीर्घ कालिक प्रभाव से निपटने के लिए अत्यधिक अस्थिर परिचालन वातावरण में अपनी योग्यता के अनुसार योजनाएं बना रहे हैं।

कोविड-19 ने वित्तीय सेवा उद्योग को जड़ से हिला दिया-प्रो. शांडिल्य


इस वेबीनार के संरक्षक और प्रधानाचार्य प्रोफेसर डॉ० तपन कुमार शांडिल्य ने अपने उद्घाटन भाषण में अतिथियों का स्वागत करते हुए यह बताया कि दुनिया भर में वित्तीय बाजारों पर कोरोना वायरस का असर पड़ा है। इसने स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था से जुड़ी चिंताएं बढ़ा दी हैं। बाजार में गिरावट ने निवेशकों को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि उन्हें क्या करना चाहिए। कोविड-19 एक ऐसी चुनौती है जिसने वित्तीय सेवा उद्योग के जड़ को हिला दिया है और मांग में गिरावट, निम्न आय, उत्पादन बंदी आदि ने बैंकों के व्यापार को प्रभावित किया है। उन्होंने बताया कि वित्तीय सेवाएं वित्त उद्योग द्वारा प्रदान की जाने वाली आर्थिक सेवाएं हैं, जिनमें कई प्रकार के व्यवसाय शामिल होते हैं जो धन का प्रबंधन करते हैं।

इस चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है-डॉ. रश्मि अखौरी

प्रोफेसर डॉ० रश्मि अखौरी, संयोजक और अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग ने विषय प्रवेश में बताया कि कोरोना वायरस के चलते देश में चल रहे लॉकडाउन की वजह से बैंक और फाइनेंशियल सेवाओं को भी भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसीलिए इस चुनौती को एक अवसर के रूप में बदला जा सकता है। वर्तमान परिस्थिति से सीखते हुए भारतीय उद्योग क्षेत्र स्वदेशी उत्पादन में सहभागिता को बढ़ाकर अपने प्रतियोगियों के 40प्रतिशत बाजार के हिस्से को अपने कब्जे में कर सकते हैं। वर्तमान परिस्थिति में तनाव होते हुए भी जोखिम प्रबंधन, मजबूत संग्रह नीतियों, कीमत में प्रभावी नियंत्रण, तकनीकी का अचूक प्रयोग इत्यादि वित्तीय सेवा संस्थाओं को इस चुनौती का सामना करने में सहायक होंगे।

आर्थिक धोखे से बचने के लिए हमें दूसरा उपाय ढूंढना होगा-प्रो. मृदुला कुमारी

प्रोफेसर मृदुला कुमारी, अर्थशास्त्र विभाग ने अपने समीक्षात्मक अवलोकन में यह बताया कि यह महामारी ऐसे वक्त में आई है जबकि वित्तीय क्षेत्र पर दबाव के कारण पहले से ही भारतीय इकोनामी सुस्ती की मार झेल रही थी, कोरोना वायरस के कारण इस पर और दबाव बढ़ा है। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति होने पर भी हमारे ग्रामीण क्षेत्र तक यह क्रांति नहीं पहुंच पाई है, यह भी हमारे सामने एक समस्या है। दूसरी बात उन्होंने कहा कि हमें आर्थिक धोखे से बचने के लिए कुछ जरूरी सुरक्षा उपाय करने होंगे और जहां तक सोशल डिस्टेंसिंग की बात है तो वह भी एक चुनौती है क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में जहां बैंक छोटे-छोटे जगहों पर काम करते हैं, वहां सोशल डिस्टेंसिंग एक विकट समस्या है। इन सारे मुद्दों पर सरकार का ध्यान आकर्षित करना अत्यंत आवश्यक है।

 

खुले सत्र में प्रोफेसर बैकुंठ राय, प्रोफेसर राकेश कुमार सिंह, प्रोफेसर अरविंद कुमार नाग, सौरभ, ऋषभ राज, अमित, मिसेज घोष, इत्यादि लोगों ने प्रश्न पूछे और इस व्याख्यान को मनोहर तथा ज्ञानवर्धक बना दिया। इस सभा की समाप्ति प्रोफेसर डॉ० संतोष कुमार, समन्वयक, आइ०क्यू०ए०सी०, के धन्यवाद ज्ञापन से हुई। आज के व्याख्यान में अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर उमेश प्रसाद, डॉ० प्रवीण कुमार, प्रोफेसर के० एन० यादव, प्रोफेसर रमेश चौधरी, प्रोफेसर संजय कुमार पांडे, डॉ० बैकुंठ राय, प्रोफेसर विवेक कुमार, प्रोफेसर सलोनी, प्रोफेसर कीर्ति, प्रोफेसर सुनीता लाल, प्रोफेसर जय मंगल देव, प्रोफेसर इम्तियाज हसन, प्रोफेसर पद्मीनी प्रसाद, प्रोफेसर राकेश कुमार सिंह, प्रोफेसर अरविंद कुमार नाग और प्रोफेसर बिंदु सिंह इत्यादि भी उपस्थित थे। अर्थशास्त्र विभाग और अन्य विभागों के छात्र एवं छात्राओं के सहभागिता से इस व्याख्यान का सफलतापूर्वक समापन हुआ।