बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत कुल 32 आरोपियों को बरी कर दिया गया. कोर्ट के इस फैसले पर AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत कई लोगों ने सवाल खड़े किए. हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि क्या किसी जादू से मूर्ति रखी गई थी, क्या जादू से ही ताले खुले थे, क्या फिर जादू से ही मस्जिद गिर गई. उन्होंने कहा कि कोर्ट का फैसला देश के लिए काला दिन है. ये बताना चाहिए कि जब इतने महीने से तैयारी हो रही थी, तो फिर सब अचानक कैसे हो गया.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि जब बाबरी मस्जिद तोड़ी गई तो लोग मिठाई बांट रहे थे, खुशियां मना रहे थे. ओवैसी ने यह भी आरोप लगाया कि उमा भारती ने नारे लगाए थे, ‘एक धक्का और दो, बाबरी मस्जिद तोड़ दो’.
पूरे मामलों में मुसलमानों को इंसाफ नहीं मिला
ओवैसी ने कहा कि इस पूरे मामलों में मुसलमानों को इंसाफ नहीं मिला. सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि कल्याण सिंह ने कहा था कि रोक बनाने पर है, गिराने पर नहीं. ओवैसी ने आरोप लगाया कि 5 दिसंबर की रात को विनय कटियार के घर पर बैठक हुई थी, जिसमें लालकृष्ण आडवाणी भी शामिल थे.
फैसला पूरी तरह सबूतों और कानून के खिलाफ
वहीं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा है कि वो इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे. उन्होंने कहा कि फैसला पूरी तरह सबूतों और कानून के खिलाफ है. 1994 से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट सब कहते रहे हैं कि यह क्राइम हुआ है और सभी लोग साजिश के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में रहे हैं. जिलानी ने कहा कि पुलिस के आला अफसर और मीडिया के लोगों ने इन सभी को नामजद किया था और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दूसरे लोग कहते थे कि ‘एक धक्का और दो बाबरी मस्जिद तोड़ दो’.
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