RBI (रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) ने रेपो रेट में 40 BPS की बढ़ोतरी की है। इसके बाद रेपो रेट अब 4.40 फीसदी हो गया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि, एमपीसी ने तत्काल प्रभाव से नीतिगत रेपो दरों में 40 बीपीएस की वृद्धि के लिए सर्वसम्मति से मतदान किया। जिसके बाद रेपो दर में वृद्धि करने का फैसला लिया गया है। उन्होंने कहा कि कमोडिटीज और वित्तीय बाजारों में कमी, अस्थिरता में लगातार वृद्धि देखी जा रही है।
इसके साथ ही, आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि आरबीआई मुद्रास्फीति पर अपने रुख के बारे में उदार बना हुआ है।
अपने लगभग आधे घंटे के संबोधन में, आरबीआई गवर्नर ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति अधिक रहने की उम्मीद है क्योंकि वैश्विक गेहूं की कमी से घरेलू गेहूं की कीमतों पर असर पड़ रहा है, भले ही घरेलू आपूर्ति आरामदायक बनी हुई है।
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट को आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है। बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है। ठीक वैसे ही बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ जाती है और वे भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से कर्ज लेते हैं। इस ऋण पर रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहते हैं।
रेपो रेट से आम आदमी पर क्या पड़ेगा है प्रभाव?
जब बैंकों को कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध होगा यानी रेपो रेट कम होगा तो वो भी अपने ग्राहकों को सस्ता कर्ज दे सकते हैं। और यदि रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाएगा तो बैंकों के लिए कर्ज लेना महंगा हो जाएगा और वे अपने ग्राहकों के लिए कर्ज महंगा कर देंगे। बता दें कि रिजर्व बैंक ने आखिरी बार 22 मई, 2020 को रेपो दरों में बदलाव किया था।
पिछले कुछ हफ्तों में हुई घटनाओं को देखते हुए आरबीआई का ‘आश्चर्यजनक कदम’ मेरे लिए कोई आश्चर्य की बात नहीं है। हमारी मुद्रा के मूल्य में अत्यधिक गिरावट को रोकने और वित्तीय स्थिरता की रक्षा के लिए केंद्रीय बैंक को ये कदम उठाने होंगे।”
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