न्यूयॉर्क पहुंचे भारतीय विदेश मंत्री s जयशंकर, संयुक्त राज्य के मसाचिव से आज करेंगे मुलाकात।

भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि इस सप्ताह भारत और अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू मंत्रीस्तरीय बैठक के दौरान मानवाधिकार के मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जब भी इस पर चर्चा होगी तो नयी दिल्ली बोलने से पीछे नहीं हटेगी। यहां अपनी यात्रा के समापन पर जयशंकर ने कहा कि इस बैठक में हमने मानवाधिकार के मुद्दे पर चर्चा नहीं की। यह बैठक मुख्य रूप से राजनीतिक-सैन्य मामलों पर केंद्रित थी। आपको बता दें कि विदेश मंत्री एस जयशंकर वाशिंगटन में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह के साथ भारत-अमेरिका टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए आए थे।

सोमवार को एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अमेरिका भारत में हो रहे कुछ हालिया चिंताजनक घटनाक्रम पर नजर बनाए है जिनमें कुछ सरकारी, पुलिस और जेल अधिकारियों की मानवाधिकार उल्लंघन की बढ़ती हुई घटनाएं शामिल हैं। एक सवाल के जवाब में जयशंकर ने कहा कि बैठक के दौरान मानवाधिकार के मुद्दे पर बात नहीं हुई लेकिन अतीत में इस पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा कि यह विषय पहले सामने आया था। यह तब सामने आया था, जब विदेश मंत्री ब्लिंकन भारत आए थे। मुझे लगता है कि अगर आप उसके बाद की प्रेस वार्ता को याद करे तो मैं इस तथ्य को लेकर बेहद मुखर था कि हमने इस मुद्दे पर चर्चा की और मुझे जो कहना था वह कहा।

न्यूयॉर्क पहुंचे जयशंकर, संरा महासचिव से करेंगे मुलाकात
इधर विदेश मंत्री एस. जयशंकर वाशिंगटन डीसी की अपनी यात्रा के बाद बुधवार रात न्यूयॉर्क पहुंचे। यहां वह गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस से मुलाकात करेंगे। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने न्यूयॉर्क में जयशंकर की अगवानी की। तिरुमूर्ति ने ट्वीट कर बताया कि न्यूयॉर्क दौरे पर जयशंकर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव से मुलाकात करेंगे। जयशंकर और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अपने अमेरिकी समकक्ष क्रमश: एंटोनी ब्लिंकन और लॉयड ऑस्टिन के साथ टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता में हिस्सा लेने के लिए वाशिंगटन डीसी पहुंचे थे। राजनाथ वार्ता के बाद अमेरिकी हिंद-प्रशांत कमान के मुख्यालय के दौरे के लिए वाशिंगटन डीसी से हवाई द्वीप रवाना हो गए। हवाई में अपने संक्षिप्त प्रवास के दौरान वह अमेरिका की प्रशांत सेना और प्रशांत वायुसेना के मुख्यालयों की भी यात्रा करेंगे।