जनवरी 2022 के पहले सप्ताह में उन शरणार्थियों को नागरिकता संशोधन कानून लागू होने का उपहार मिल सकता है जो वर्षों से भारत की नागरिकता पाने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि नागरिकता कानून को संसद ने 2020 में ही पारित किया था जिसके एक साल बाद भी इस कानून को अमल में नहीं लाया जा सका है, क्योंकि इसके नियम अभी तय नहीं किए जा सके हैं। मीडिया सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार ऐसा माना जा रहा है कि आखिरकार केंद्र ने अब सीएए पर अमल करने का मन बना लिया है।
ऐसा कहा जा रहा है कि यूपी सहित पांच राज्यों के चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार इस बात पर जोर दे रहा है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदुओं, सिखों, जैनियों, बौद्धों, पारसियों और ईसाइयों के साथ इंसाफ किया जाए। आपको बता दें कि सरकार से संघ नेतृत्व को पूरा भरोसा दिलाया गया है कि अब 10 जनवरी की समय सीमा को आगे बढ़ाने का अनुरोध नहीं किया जाएगा और इससे पहले नियम तय कर सीएए को भारत में लागू कर दिया जाएगा। सरकार ने यह कदम ऐसे समय पर उठाने का मन बनाया है जब भारत के उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस कानून के पारित होने के शुरुवात से ही मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग इसका विरोध करता रहा है। जिसके खिलाफ दिल्ली के शाहीनबाग में लम्बे समय तक आंदोलन भी चलाया गया था। सीएए लागू होने की स्थिति में इस वर्ग की प्रतिक्रिया और उसके सियासी असर पर विश्लेषकों की नजर रहेगी। नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 2-1-ख में प्रावधान है कि पासपोर्ट, वीजा और अन्य
कानून के नियम बनाने के लिए सरकार 3 बार ले चुकी है मोहलत
किसी कानून के नियम 6 माह में प्रकाशित हो जाने चाहिए ताकि उस कानून पर अमल हो सके। सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट यानी सीएए संसद से 11 दिसम्बर, 2019 को पारित हुआ अधिनियम 10 जनवरी 2020 को लागू हो गया। लेकिन नियम तय नहीं किए गए। इसके लिए केंद्र सरकार ने अक्टूबर 2020, फरवरी • 2021 और मई 2021 में संसद की सबोर्डिनेट लेजिसलेशन कमेटियों से एक्सटेंशन मांगे। अब 10 जनवरी, 2022 की डेडलाइन है। माना जा रहा है कि केंद्र एक्सटेंशन नहीं मांगेगा।
10 राज्य नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजनशिप (एनआरसी) के विरोध में प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं। लेकिन उनमें से किसी राज्य का सीधा विरोध सीएए को लेकर नहीं है। अतः सरकार को उम्मीद है कानून को लागू करने में राज्य भी अड़चन नहीं डालेंगे।
ट्रैवल दस्तावेज के बगैर प्रवासी भारत आते हैं या जिनका पासपोर्ट और वीजा एक्सपायर हो जाता है उन्हें अवैध प्रवासी माना जाएगा। सीएए मूल रूप से इस नियम में बदलाव के लिए लाया गया। बांग्लादेश बनने से कुछ समय पहले बड़ी संख्या में हिंदू शरणार्थी भारत आए थे। फिर बांग्लादेश बनने के बाद भी प्रताड़ित अल्पसंख्यक वहां से आते रहे हैं। ऐसे शरणार्थियों की संख्या 2-3 करोड़ से ऊपर है। बांग्लादेश बनने के 50 साल बाद उन्हें न्याय मिल सकेगा।
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