क्या आप जानते हैं आतंकवाद को खत्म करने के लिए भारत के इस कानून के बारे में…..?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के विकाश में कितने तत्पर हैं इस बात की गवाही उनका कार्यकाल बखूबी दे रहा है।

किसी भी देश के विकाश के लिए पहली और मुख्य आवश्यक शर्त है उस देश का बेहतर कानून व्यवस्था, उस देश की एकता और अखंडता तथा उस देश की सुरक्षा।

भारत के प्रधानमंत्री के शासनकाल में देश में ऐसे कई निर्णय लिए गए हैं।जिनसे आनेवाला भारत का भविष्य नई बुलंदियों को छू लेगा।इसी एक निर्णय और भारत के विकाश के लिए आवश्यक पहली और मुख्य शर्तों में से एक है UAPAकानून में हुआ परिवर्तन। UAPA की फुल फॉर्म है Unlawful Activities(Prevention)Act यानी आतंकवाद निरोधी क़ानून। इस कानून की मदद से देश के सुरक्षा एजेंसियों को एक नई शक्ति मिल गयी है जिसमें सुरक्षा एजेंसियां किसी व्यक्ति के जांच के आधार पर उसे आंतकवादी घोषित कर सकती है।

यहां ध्यान देने योग्य बात यह है की इस कानून को भारतीय संसद के द्वारा 1967 में बनाया गया था। हालांकि, वर्ष 2004, 2008, 2012 और 2019 में इस कानून में बदलाव किए गए। लेकिन 2019 के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट ने इस कानून के संशोधन में कठोर प्रावधान जोडा हैं। भारतीय रक्षा विशेषज्ञ इसे आतंकवाद के खिलाफ, देश की एकजुटता और अखंडता को मजबूती देने वाला बताते हैं। 2019 के संशोधनों में एक महत्वपूर्ण बात यह है कि इस कानून के तहत सरकार किसी संगठन या संस्थाओं को ही नहीं बल्कि किसी व्यक्ति विशेष को भी आतंकी घोषित कर सकती है। दरअसल, देश में अघोषित तौर पर फैले हुए कई आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ने के लिए यह प्रावधान संशोधित किए गए थे। पहले के कानून के तहत आतंकी संगठनों से जुड़ाव रखने वाली संस्थाओं पर तो प्रतिबंध लगाए जा सकते थे, मगर उनके संचालक या सदस्य बच निकलते थे। कुछ समय बाद वे नए नाम से नया संगठन या नई संस्था बना लेते थे।

इस खतरे को भांपते हुए 2019 में केंद्र सरकार ने 1967 के बने हुए गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम में कठोर संशोधन किए। जिसके बाद से आतंकी संगठनों से किसी भी तरह का जुड़ाव रखने वाली संस्थाओं के साथ ही उनके संचालक और सदस्य भी प्रतिबंध के दायरे में आ गए। इसके साथ ही सुरक्षा एजेंसियां शक होने की स्थिति में उन्हें आतंकी भी घोषित कर सकती है। आतंकवाद के खिलाफ इसे और कड़ा कानून बनाया गया है जिसे गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम संशोधन बिल के जरिये संसोधित किया गया था।

विधेयक की खास बातें

  • आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने की आशंका के आधार पर किसी अकेले व्यक्ति को आतंकी घोषित किया जा सकता है। जिससे देश में आतंकी गतिविधियों का सहयोग करने वाले लोगो की पहचान हो सकेगी और ऐसे लोगो को उचित सजा मिल पाएगा। जिससे आनेवाला भारत आतंकवाद मुक्त हो सकेगा।
  • आतंकियों की आर्थिक और वैचारिक मदद करने वालों और आतंकवाद के सिद्धांत का प्रचार करने वालों को आतंकवादी घोषित किया जा सकेगा। इससे भारत में पनपने वाले आतंकवादी संगठनों की कमर टूट जायेगी। किसी भी संगठन का रीढ़ अर्थ होता है और जब देश के आतंकी संगठनों के पास पैसे ही नही रहेंगे फिर देश में आतंकवाद की घटनाओं में कमी आयेगी। खास कर जम्मू और कश्मीर के लिए यह संशोधन काफी उपयोगी होगा। जहां कई आतंकवादी संगठन टेरर फंडिंग के जरिए मासूम युवाओं को बहलाती है और देश विरोधी काम करने पर मजबूर करती है।
  • आतंकवाद के मामले में एनआईए का इंस्पेक्टर स्तर का अधिकारी भी जांच कर सकेगा। जिसके कारण देश में तेजी से आतंकी संगठनों पर नकेल कसी जा सकेगी।
  • आतंकवादी गतिविधि पर संपत्ति जब्त करने से पहले एनआईए को अपने महानिदेशक से मंजूरी लेनी होगी। जिसके कारण न्याय में निष्पक्षता की विश्वसनीयता बनी रहेगी।