पीएम मोदी ने अवधी भाषा में छुए तमाम स्थानीय मुद्दे, भाजपा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिए चाहती है अपना असर बढ़ाना?

लखनऊ, भाजपा ने पहले पूरब से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री देते हुए देश के साथ प्रदेश की सत्ता हासिल की थी। अब 2022 के चुनाव में भाजपा पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के जरिए अपना असर बढ़ाना चाहती है। दरअसल यूपी के सिंहासन तक पहुंचने का रास्ता पूर्वांचल से ही होकर जाता है। पिछले तीन चुनावों से प्रदेश में बन रहीं पूर्ण बहुमत की सरकारें इसकी गवाह हैं।

पहले बसपा, सपा और फिर भाजपा ने इसी रास्ते से सत्ता के ताले की चाबी हासिल की थी। यही कारण है कि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के खुलने के साथ पूरब का सियासी घमासान भी रफ्तार पकड़ चुका है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के उद्घाटन के साथ ही भाजपा ने सूबे की सत्ता में वापसी के लिए एक बड़ा दांव खेल दिया है। यूं तो यह एक्सप्रेस-वे नौ जिलों से गुजरता है लेकिन सही मायने में इसका असर पूरब के तकरीबन 28 जिलों पर है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लखनऊ से गाजीपुर तक बनाए गए पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे लोकार्पण के वक्त खुद भी ‘वोकल फार लोकल’ के अंदाज में नजर आए।

मालूम हो कि इन इलाकों में करीब 160 से अधिक विधानसभा सीटें हैं। वर्ष 2007 में पूर्ण बहुमत हासिल करने वाली बसपा को इस इलाके से तकरीबन 100 सीटें मिली थीं। वहीं 2012 में स्पष्ट बहुमत पाने वाले सपा की जीत का द्वार भी पूर्वी उत्तर प्रदेश ही बना था। सपा को तब करीब 110 सीटें इस इलाके से मिली थीं। अब 2017 के चुनावी नतीजों पर नजर डालें तो भाजपा ने इस सबको पीछे छोड़ते हुए पूर्वांचल की लगभग 115 सीटें हासिल की थीं।

सुलतानपुर के कूड़ेभार क्षेत्र में पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के किनारे उन्होंने जो ‘लोकल एक्सप्रेस’ दौड़ाई, वह विपक्ष को ठोकर मारते हुए स्थानीय नागरिकों को भावनात्मक डोर से बांधे इतिहास का भी सफर कराती चली।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने चिर-परिचित अंदाज में जनसभा में आई भीड़ का अभिवादन किया। चूंकि कार्यक्रम स्थल (सुल्तानपुर) अवध क्षेत्र में आता है, इसलिए संबोधन की शुरुआत अवधी भाषा में ही की। भारत माता के जयकारे के साथ बोले- ‘जवने धरती पर हनुमानजी कालनेमि के बध किए रहय, ऊ धरती के लोगन के हम पांव लागित है। 1857 के लड़ाइन मा हियां के लोग अंग्रेजन का छट्ठी का दूध याद दिवाय दिहै रहै। कोयरीपुर के युद्ध भला के भुलाय सकत है। आज यह पावन धरती के पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे की सौगात मिलत बा। जिहके आप सभै बहुत दिनन से अगोरत रहीं। आप सबका बहुत बहुत बधाई।’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुंह से यह शब्द सुनकर भीड़ जैसे उत्साह और अपनेपन से भर गई। इसकी पुष्टि वहां गूंजना शुरू हुए ‘मोदी-मोदी’ के नारे ने की। इसके बाद तमाम बातें हुईं और एक बार मोदी फिर स्थानीय भावनाओं से जुड़े और जनता को जोड़ा। उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र की याद दिलाई। बोले कि सुलतानपुर के सपूत श्रीपति मिश्र के साथ क्या किया? बिना किसी दल का नाम लिए बोले कि परिवार के दरबारियों ने उनको अपमानित किया। ऐसे कर्मयोगियों का अपमान यूपी के लोग कभी नहीं भूल सकते। आज प्रदेश की सरकार आमजन को अपना परिवार मानकर काम कर रही है। इस प्रसंग के जरिये पीएम नरेन्द्र मोदी ने कांग्रेस को निशाने पर लिया। जनता को याद दिलाया कि 1982 में कैसे अचानक तत्कालीन मुख्यमंत्री श्रीपति मिश्र से कांग्रेस आलाकमान ने इस्तीफा ले लिया था।

सपा भी पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के राजनैतिक महत्व को बखूबी समझती है। यही कारण है कि अखिलेश यादव किसी हाल में इस पर अपना दावा छोड़ना नहीं चाहते। हालांकि प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में न सिर्फ अखिलेश को निशाने पर रखा बल्कि साफ तौर पर जता दिया कि पूर्वांचल के विकास का रास्ता भाजपा सरकार ने ही खोला है और पूर्वांचल लगातार उनकी प्राथमिकता में है।

अपने पूरे भाषण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने न किसी नेता का नाम लिया और न ही दल का, लेकिन संदर्भों की खुराक सबके लिए लाए थे। उन्होंने 14 करोड़ कोरोनारोधी टीके के लिए प्रदेशवासियों को बधाई देने के बहाने सपा मुखिया अखिलेश यादव के उस बयान की याद ताजा कर दी, जो उन्होंने भारत निर्मित वैक्सीन को लेकर दिया था। उसे भाजपा का टीका बताया था। प्रधानमंत्री ने प्रदेशवासियों से कहा कि स्वदेशी वैक्सीन के खिलाफ किसी राजनीतिक षड्यंत्र को आप लोगों ने टिकने नहीं दिया। यूपी की जनता आगे भी इन्हें परास्त करती रहेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनता को यह महसूस कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी कि उत्तर प्रदेश से उनका जुड़ाव कितना मजबूत है। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के साथ ही उन्होंने बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस-वे, बलिया लिंक एक्सप्रेस-वे और गंगा एक्सप्रेस-वे की चर्चा की तो उनकी कुल लंबाई के साथ ही उनसे लाभान्वित होने जा रहे शहरों के नाम भी एक रट में ले डाले। इससे पहले साफ कर चुके थे कि वह किताब से पढ़कर नहीं बोल रहे। बताया कि वह वाराणसी से ही सांसद हैं, इसलिए प्रदेश से रिश्ता मजबूत है।