प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को नीति आयोग गवर्निंग काउंसिल की 9वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे. गवर्निंग काउंसिल में सभी राज्यों राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्र शासित प्रदेशों के उप राज्यपाल और कई केंद्रीय मंत्री शामिल हैं. पीएम मोदी नीति आयोग के चेयरमैन हैं.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, कई विपक्षी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने बजट में भेदभाव का आरोप लगाते हुए बैठक के बहिष्कार का ऐलान किया है. बहिष्कार करने वाले मुख्यमंत्रियों में तमिलनाडु के सीएम एम के स्टालिन, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के साथ-साथ आम आदमी पार्टी की अगुवाई वाली पंजाब और दिल्ली सरकार शामिल हैं. इसके अलावा कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने भी बैठक में शामिल न होने का फैसला किया है.
बैठक में शामिल होंगी ममता बनर्जी
इसके उलट पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी बैठक में शामिल होंगी. बनर्जी ने कहा कि इन नेताओं की आवाज को एक साझा मंच पर उठाया जाना चाहिए. इसके साथ ममता ने मांग की कि नीति आयोग को खत्म कर देना चाहिए और फिर से योजना आयोग को फिर से बहाल किया जाना चाहिए.
इसी बीच बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद सस्मित पात्रा ने विपक्षी दलों के नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के निर्णय का समर्थन किया है और केंद्र पर राज्यों को बजट में उनका हिस्सा देने से इनकार करने का आरोप लगाया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सांसद महुआ मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य के हितों का ध्यान रखते हुए फैसला करेगी.
इसके उलट पश्चिम बंगाल की CM ममता बनर्जी बैठक में शामिल होंगी. बनर्जी ने कहा कि इन नेताओं की आवाज को एक साझा मंच पर उठाया जाना चाहिए. इसके साथ ममता ने मांग की कि नीति आयोग को खत्म कर देना चाहिए और फिर से योजना आयोग को फिर से बहाल किया जाना चाहिए.
इसी बीच बीजू जनता दल (बीजद) के सांसद सस्मित पात्रा ने विपक्षी दलों के नीति आयोग की बैठक का बहिष्कार करने के निर्णय का समर्थन किया है और केंद्र पर राज्यों को बजट में उनका हिस्सा देने से इनकार करने का आरोप लगाया है. झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) की सांसद महुआ मांझी ने कहा कि उनकी पार्टी राज्य के हितों का ध्यान रखते हुए फैसला करेगी.
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इस बैठक में विकसित भारत से जुड़े दृष्टिकोण पत्र पर चर्चा होगी. बयान के मुताबिक, इस बैठक का उद्देश्य केंद्र एवं राज्य सरकारों के बीच सहभागी संचालन और सहयोग को बढ़ावा देना, वितरण तंत्र को मजबूत करके ग्रामीण और शहरी दोनों आबादी के लिए जीवन की गुणवत्ता को बढ़ाना है. बैठक में पिछले साल दिसंबर में आयोजित मुख्य सचिवों के तीसरे राष्ट्रीय सम्मेलन की सिफारिशों पर भी गौर किया जाएगा.
इस समिट के दौरान पांच प्रमुख विषयों पेयजल पहुंच, मात्रा और गुणवत्ता; बिजली गुणवत्ता, दक्षता और विश्वसनीयता; स्वास्थ्य पहुंच, सामर्थ्य और देखभाल की गुणवत्ता; स्कूली शिक्षा पहुंच और गुणवत्ता और भूमि और संपत्ति पहुंच, डिजिटलीकरण, पंजीकरण और उत्परिवर्तन पर सिफारिशें की गईं थीं.
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