जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाये जाने पर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि दोनों नेताओं पर पीएसए से मैं हैरान हूं। आरोपों के बिना किसी पर कार्रवाई लोकतंत्र का सबसे घटिया कदम है. जब अन्यायपूर्ण कानून पारित किए जाते हैं या अन्यायपूर्ण कानून लागू किए जाते हैं, तो लोगों के पास शांति से विरोध करने के अलावा क्या विकल्प होता है?
उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ़्ती और अन्य लोगों के खिलाफ पब्लिक सेफ्टी एक्ट के क्रूर आह्वान से हैरान और परेशान हूं।
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) February 7, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए पी. चिदंबरम ने कहा, ’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि विरोध प्रदर्शन से अराजकता होगी और संसद-विधानसभाओं द्वारा पारित कानूनों का पालन करना होगा. वह इतिहास और महात्मा गांधी, मार्टिन लूथर किंग और नेल्सन मंडेला के प्रेरक उदाहरणों को भूल गए हैं. शांतिपूर्ण प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा के माध्यम से अन्यायपूर्ण कानूनों का विरोध किया जाना चाहिए. यह सत्याग्रह है.’
धारा 370 हटने के बाद से हिरासत में दोनों नेता
इन लोगों की 6 महीने की एहतियातन हिरासत अवधि बृहस्पतिवार को खत्म हो रही थी. अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही दोनों पूर्व मुख्यमंत्री हिरासत में हैं. वहीं पीएसए लागू होने के साथ ही दोनों नेताओं को बिना ट्रायल के तीन महीने की जेल भी हो सकती है।
अधिकारियों ने यह जानकारी देते हुए बताया कि पुलिस की मौजूदगी में मजिस्ट्रेट ने उस बंगले में जाकर महबूबा को पीएसए के तहत कार्रवाई का आदेश सौंपा जहां उन्हें नजरबंद रखा गया है. उन्होंने बताया कि उमर अब्दुल्ला के खिलाफ भी पीएसए के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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