प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी के नेताओं को 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत का नया मंत्र दिया…उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को पसमांदा और बोहरा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए कहा…

प्रधानमंत्री भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बोल रहे थे। उन्होंने भाजपा कार्यकर्ताओं और नेताओं को पसमांदा और बोहरा मुसलमानों को पार्टी से जोड़ने के लिए कहा। इसके लिए नेताओं को नसीहत भी दी। कहा कि मुस्लिम समाज के बारे में गलत बयानबाजी न करें। उन्होंने नेताओं को सभी धर्मों और जातियों को साथ लेकर चलने की बात कही।
आंकड़े भी बताते हैं कि भाजपा को बहुत कम मुस्लिम वोट मिलते हैं। ऐसे में पीएम मोदी का ये बयान सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है। सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ये पासमांदा और बोहरा मुसलमान हैं कौन, जिन्हें पीएम मोदी पार्टी से जोड़ने के लिए कह रहे? इनके आने से भाजपा को कितना फायदा होगा? आइए समझते हैं…

बोहरा मुसलमान कौन हैं? 

यूं तो मुसलमानों को दो हिस्सों में बांटा गया है। शिया और सुन्नी। लेकिन इनके अलावा इस्लाम को मानने वाले 72 और फिरके हैं। इन्हीं में से एक बोहरा मुस्लिम होते हैं। बोहरा मुसलमान शिया और सुन्नी दोनों होते हैं। देश में 25 लाख से ज्यादा बोहरा मुसलमानों की आबादी है। ये मुसलमान काफी पढ़े लिखे होते हैं। इनकी पहचान समृद्ध, संभ्रांत समुदाय के तौर पर होती है। बोहरा समुदाय के ज्यादातर मुसलमान व्यापारी होते हैं। भारत में ज्यादातर दाऊदी बोहरा हैं। ये महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बसते हैं।

कौन हैं पसमांदा मुसलमान? 

भारत में रहने वाले मुसलमानों में 15 फीसदी उच्च वर्ग के माने जाते हैं। जिन्हें अशरफ कहते हैं। इनके अलावा बाकि 85 फीसदी अरजाल, अजलाफ मुस्लिम पिछड़े हैं। इन्हें पसमांदा कहा जाता है। आंकड़े बताते हैं कि पसमांदा मुसलमानों की हालत समाज में बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे मुसलमान आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक हर तरह से पिछड़े और दबे हुए हैं।

बोहरा और पसमांदा मुसलमानों के जुड़ने से भाजपा को कितना फायदा? 

इसे समझने के लिए हमने मुस्लिम राजनीति की समझ रखने वाले प्रो. मुश्ताक से बात की। उन्होंने कहा, ‘भारत में जिस तरह से हिंदुओं में अलग-अलग जातियों का असर है, वैसा ही मुसलमानों में भी है। प्रो. मुश्ताक के अनुसार आर्थिक और सामाजिक तौर पर पिछड़े 85 फीसदी मुस्लिम शिक्षा, आर्थिक और सामाजिक हर स्तर पर काफी पीछे हैं। वहीं, बाकी 15 फीसदी मुसलमान आर्थिक और सामाजिक तौर पर काफी आगे निकल गए। अब भाजपा ने  आर्थिक तौर पर पिछड़े  मुसलमानों को टारगेट किया है। भाजपा की केंद्र और राज्य सरकार की कई योजनाओं में भी इन वर्ग से आने वाले मुसलमानों को काफी फायदा मिला है। ऐसे में अगर ये तबका भाजपा के साथ आता है तो भाजपा को इसका सबसे ज्यादा फायदा यूपी, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में होगा।