ओवैसी के बढ़ते बर्चसब को लेकर नीतीश सरकार ने खेला बड़ा मुस्लिम कार्ड….

एआईएमआईएम  चीफ असदुद्दीन ओवैसी  आज से 2 दिनों के दौरे पर बिहार में मौजूद रहेंगे। ओवैसी सीमांचल इलाके में 2 दिनों तक पदयात्रा के बहाने अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इससे पहले ही नीतीश सरकार ने अल्पसंख्यकों को राहत देने का बड़ा मुस्लिम कार्ड  खेल दिया है। सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों और अधिकारियों को नीतीश सरकार ने एक बड़ा तोहफा दिया है। रमजान के महीने में मुस्लिम कर्मी 1 घंटे पहले कार्यालय आ सकते हैं और 1 घंटे पहले कार्यालय से  घर जा सकते हैं।

ड्यूटी के समय में किए गए इस बदलाव का फैसला केवल 1 साल के लिए नहीं है बल्कि इसे स्थाई कर दिया गया है। बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक इस सुविधा का लाभ सरकार के स्थाई और संविदा पर काम करने वाले सभी कर्मियों के अलावा आउटसोर्सिंग कर्मियों को भी मिलेगा। सरकार की ओर से यह दावा किया गया है कि इससे  सरकारी कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ेगा ।

दरअसल लोकसभा चुनाव 2024 और विधानसभा चुनाव 2025 के पहले बिहार में सभी दलों की सियासी गतिविधियां तेज होते देख नीतीश कुमार ने यह फैसला लिया है। सीमांचल इलाके की सीटों पर पक्ष विपक्ष की निगाहें टिकी हुई हैं। अभी हाल ही में सीमांचल में महागठबंधन की तरफ से एक बड़ी रैली की गई थी। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि ओवैसी के दो दिवसीय सीमांचल अभियान से सबसे ज्यादा संकट राजद और जदयू को होने वाला है। आरजेडी मुसलमानों को अपना पारंपरिक वोट बैंक मानती है जेडीयू भी मुस्लिम वोट को लेकर काफी सचेत है। मुस्लिम वोटरों के बीच जदयू की पकड़ भी रही है। लेकिन, ओवैसी की राजनीति का एकमात्र आधार जिस तरीके से मुसलमानों के हक की लड़ाई है वैसे में राजद और जदयू के लिए मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।

वहीं बिहार सरकार के फैसले पर बिहार में सियासत भी तेज हो गई है। भाजपा ने बिहार सरकार के फैसले को तुष्टिकरण से जोड़ते हुए मांग रखी है कि चैत्र नवरात्र में भी श्रद्धालुओं को मुस्लिम कर्मचारियों की तरह कार्यालय आने और जाने में रियायत दी जाए।