रिटायर्ड डीएसपी जब एफआईआर करने पहुंचे थाने, एफआईआर लिखने की जगह थाने ने दिया सुझाव बच्चे है जाने दीजिए…..

बिहार में लाचार पुलिस और खूंखार अपराधीयों का गठबंधन कितना मजबूत हो चुका है कि इसकी गवाही रिटायर्ड पुलिसकर्मी की शिकायत भी थाने में दर्ज नहीं होने का मामला बयां कर रहा है। यह घटना राजधानी पटना से सामने आयी है। पटना के राजीव नगर में बदमाशों ने एक रिटायर्ड डीएसपी से जमकर मारपीट की। रिटायर्ड डीएसपी नरेश प्रसाद शर्मा जब केस दर्ज कराने के लिए थाने गए, तो वहां भी पुलिस ने उनकी मदद नहीं की और केस दर्ज करने से इनकार कर दिया।

अभद्र व्यवहार का किया प्रयोग….
बताया जाता है कि राजीवनगर थानांतर्गत जयप्रकाश नगर नाले के पास रविवार को रोडरेज के दौरान कुछ युवकों ने रिटायर्ड डीएसपी की बुरी तरह से पिटाई कर दी थी। रिटायर्ड डीएसपी अपनी कार में बैठे थे। पहले तो बदमाश युवकों ने उनकी कार को टक्कर मारी। उसके बाद फोनकर अपने कुछ बदमाश दोस्तों को वहां बुला लिया और फिर डीएसपी की जमकर पिटाई कर दी। बदमाशों ने उनपर जमकर लाठियां बरसाई।

घटना के बाद नरेश प्रसाद शर्मा सीधे राजीवनगर थाने पहुंचे। रिटायर डीएसपी ने मारपीट करने वाले दो युवकों को खुद ही पकड़ लिया और उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया। हैरानी की बात तो यह है कि थाने पहुंचे तो मुंशी और अन्य पुलिसकर्मी ने आरोपियों को बच्चा बताते हुए मामले की सुलह कर लेने की बात की। थाने में कोई भी कार्रवाई करने के लिए तैयार नहीं हुआ, जिसके बाद दोनों युवकों को थाने से छोड़ दिया गया।

युवकों के खिलाफ नामजद केस दर्ज
यह सब देख नरेश प्रसाद विधि व्यवस्था संजय कुमार के पास गये तब जाकर मामला शांत हुआ। उन्होंने युवकों के खिलाफ नामजद केस दर्ज करवाया है। बता दें कि नरेश प्रसाद शर्मा अपने इंस्पेक्टर के कार्यकाल में ढाई साल सचिवालय थाने के थानेदार रह चुके हैं।

इसको किया नामजद
डीएसपी ने आरोप लगाया है कि राजीव नगर का रहने वाला आर्यन राज नाम के युवक ने पहले उनकी कार में टक्कर मारी। जब वह आशियाना फेज वन स्थित अपने घर से जयप्रकाश नाला के बगल से होते हुए पाटलिपुत्र की ओर जा रहे थे। नरेश ने जब टक्कर मारने का विरोध किया तो आर्यन राज ने फोन कर अपने साथियों को बुलाकर रिटायर्ड डीएसपी नरेश के साथ मारपीट की।

गौरतलब है कि लंबे समय तक जिस समाज के रक्षा के लिए डीएसपी महोदय ने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा समाज को दिया। उसके साथ ऐसा बर्ताव करना कतई मानवीय व्यवहार और आदर्श आचरण का प्रमाण नहीं है। गुस्सा के बाहर भी एक दुनिया है। प्रेम और विनम्रता से बढ़कर कुछ नहीं। अगर आपको जीवन में एक आदर्शवान समाज का निर्माण करना है तो आपको भी आदर्श पुरुष/ स्त्री बनना होगा।