वायुसेना प्रमुख ने उड़ायी तेजस, सीमा पर तनाव के बीच स्क्वाड्रन ‘फ्लाइंग बुलेट’ वायुसेना में शामिल

भारतीय सीमा पर चीन और नेपाल से चल रहे तनाव के बीच आज स्वदेशी विमान तेजस का दूसरा स्क्वॉड्रन वायुसेना में शामिल हो गया है। इस स्क्वाड्रन को फ्लाइंग बुलेट्स नाम दिया गया है। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने सुलूर एयरबेस से इसकी शुरुआत की। वायुसेना प्रमुख ने खुद तेजस लड़ाकू विमान में उड़ान भरी।

वायुसेना में शामिल होने से सेना की ताकत में इजाफा

तेजस देश में विकसित लड़ाकू विमान है और इसके वायुसेना में शामिल होने से सेना की ताकत में इजाफा होगा। एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने अब तक राफेल लड़ाकू विमान सहित 28 से ज्यादा प्रकार के लड़ाकू और परिवहन विमानों को उड़ाया है। एयर मार्शल भदौरिया प्रायोगिक टेस्ट पायलट होने के साथ कैट ‘ए’ कैटेगरी के क्वालिफाइड फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और पायलट अटैक इंस्ट्रक्टर भी हैं।

वायु सेना ने पहले ही 40 तेजस विमानों का दिया है ऑर्डर

इस कार्यक्रम का आयोजन बुधवार को तमिलनाडु के कोयंबटूर के पास सुलूर एयरफोर्स स्टेशन पर किया गया। यह स्क्वाड्रन एलसीए तेजस विमान से लैस है। तेजस विमानों वाली भारतीय वायु सेना की यह दूसरी स्क्वाड्रन है। तेजस चौथी पीढ़ी का लड़ाकू विमान है जिसे एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी और हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) द्वारा विकसित किया गया है। भारतीय वायु सेना ने पहले ही 40 तेजस विमानों का ऑर्डर दिया है और जल्दी ही एचएएल को 83 और विमानों का ऑर्डर दिया जा सकता है जिसमें लगभग 38,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे।

1965 में हुई थी वायु सेना की 18वीं स्क्वाड्रन की स्थापना

वायु सेना की 18वीं स्क्वाड्रन की स्थापना 1965 में की गई थी और इसका आदर्श वाक्य है ‘तीव्र और निर्भय।’ पाकिस्तान के साथ 1971 के युद्ध में सक्रिय भूमिका निभाने वाली इस स्क्वाड्रन को 15 अप्रैल 2016 को सेवा मुक्त कर दिया गया था और इससे पहले इसमें मिग-27 विमान शामिल थे। स्क्वाड्रन को एक अप्रैल 2020 को पुनः शुरू किया गया। इस स्क्वाड्रन को नवंबर 2015 में राष्ट्रपति द्वारा ध्वज प्रदान किया गया था।

 

बता दें कि, स्क्वाड्रन की कमी से जूझ रही वायुसेना को इस साल 36 राफेल लड़ाकू विमानों की पहली खेप फ्रांस से मिलने जा रही है। वहीं, तेजस की एक नई स्क्वाड्रन का शामिल होना राहत भरी खबर है।