देश में कोरोना महामारी को लेकर विश्वविद्यालय के अंतिम वर्ष की परीक्षाएं करवाने के खिलाफ दायर याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। अदालत ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के छह जुलाई के सर्कुलर को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने यूजीसी के दिशानिर्देशों को खत्म करने से इनकार करते हुए कहा कि राज्य के पास परीक्षा रद्द करने का अधिकार है, लेकिन बिना परीक्षा के छात्र पास नहीं होंगे।
30 सितंबर तक करानी होगी फाइनल परीक्षा
कोरोना महामारी के बीच देश भर के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में स्नातक कोर्सेज की अंतिम वर्ष की परीक्षाओं 30 सितंबर तक हर हाल में कराना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूजीसी के दिशा-निर्देशों को हरी झंडी दे दी. कोर्ट ने माना है कि राज्य सरकारें परीक्षा रद्द कर सकती हैं मगर यूजीसी बगैर परीक्षा के छात्रों को प्रोमोट कर डिग्री नहीं दे सकती. जानकारी के मुताबिक, कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यूजीसी की गाइडलांइस में कोई बदलाव नहीं होगा तथा कोर्ट इन्हें सही मानती है.
यूजीसी के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज नहीं सकते
यूजीसी ने कोर्ट को बताया था कि यह निर्देश छात्रों के लाभ के लिए है क्योंकि विश्वविद्यालयों को स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों (पीजी कोर्सेज) के लिए प्रवेश शुरू करना है और राज्य प्राधिकार यूजीसी के दिशा-निर्देशों को नजरअंदाज नहीं सकते हैं.
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