मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1 अणे मार्ग स्थित नेक संवाद से वीडियो कॉफ्रेंसिंग के माध्यम से पंचायती राज विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित ‘हर घर नल का जल’ निश्चय एवं ‘हर घर तक पक्की गली-नालियां’ निश्चय अंतर्गत विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं लोकार्पण किया। ‘हर घर नल का जल’ निश्चय योजना अंतर्गत बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा 11,501.86 करोड़ रूपये की लागत से 31,833 ग्रामीण वार्डों में 50,93,000 घरों में जलापूर्ति तथा पंचायती राज विभाग द्वारा 8,700 करोड़ रूपये की लागत से 55,003 ग्रामीण वार्डो में 88 लाख घरों में जलापूर्ति तथा बिहार के शहरी क्षेत्रों में नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा 228.87 करोड़ रूपये की लागत से 687 शहरी वार्डों में 2,01,791 घरों में जलापूर्ति के कार्य का उद्घाटन एवं लोकार्पण किया गया। वहीं ‘घर तक पक्की -गली नालियां’ निश्चय के अंतर्गत बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में पंचायती राज विभाग द्वारा 12,700 करोड़ रूपये की लागत से 1,13,902 ग्रामीण वार्डों में, बिहार के शहरी क्षेत्रों में नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा 585.78 करोड़ रूपये की लागत से 1898 शहरी वार्डों में योजनाओं का भी उद्घाटन एवं लोकार्पण किया गया।
हर घर नल का जल एवं हर घर तक पक्की गली-नालियों का क्रियान्वयन
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंचायती राज विभाग, नगर विकास एवं आवास विभाग, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग द्वारा संयुक्त रुप से आयोजित ‘हर घर नल का जल’ निश्चय एवं ‘हर घर तक पक्की गली-नालियां’ निश्चय अंतर्गत विभिन्न योजनाओं का उद्घाटन एवं लोकार्पण कार्यक्रम के लिए धन्यवाद देता हूं। यह कार्यक्रम 7 निश्चय योजना के अंतर्गत दो प्रमुख निश्चय हर घर नल का जल एवं हर घर तक पक्की गली-नालियों का निर्माण कर उसका क्रियान्वयन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2010 में यात्रा के दौरान मुंगेर जिले के अंतर्गत खैरा ग्राम जाने का मौका मिला था। वहां के लोगों ने फ्लोराइड के कारण हो रही परेशानी के बारे में जानकारी दी। भोजपुर जिले के बड़हरा पंचायत में भी जाने का मौका मिला था जो कि आर्सेनिक प्रभावित इलाका है। उसके पहले 2009 में विकास यात्रा के दौरान खगड़िया में आयरन प्रभावित पानी होने की जानकारी मिली। उन्होंने कहा कि इसका अध्ययन कराया गया और उसके बाद लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग ने काम करना शुरु किया लेकिन फॉरेस्ट विभाग से अनुमति नहीं लिए जाने के कारण थोड़ी विलंब हुई और वर्ष 2017 में खड़गपुर झील से पीने का पानी को शुद्ध कर पेयजल के रुप में लोगों तक पहुंचाया गया।
राज्य के 14 जिलों के 5085 वार्ड आर्सेनिक प्रभावित
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के 14 जिलों के 5085 वार्ड आर्सेनिक प्रभावित हैं, 11 जिले 3814 वार्ड फ्लोराइड प्रभावित हैं और 12 जिले 21,598 वार्ड आयरन प्रभावित हैं। कुल मिलाकर 31 जिलों के 30 हजार 419 वार्ड आर्सेनिक, फ्लोराइड एवं आयरन से प्रभावित हैं। इन सभी वार्डों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के लिए निंरतर काम किया जा रहा है। पहले लोगों को पेयजल कुआं और चापाकल से मिलता था लेकिन हमलोगों ने निश्चय किया कि अब हर घर तक शुद्ध पेयजल नल के माध्यम से पहुंचाएंगे और गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल हर हाल में मिलेगा। इस काम को विकेंद्री.त तरीके से किया गया। जिसमें मुखिया जी को भी अधिकार दिया गया। वार्ड के द्वारा वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति के माध्यम से इस काम को तेजी से किया गया। गुणवत्ता प्रभावित वार्डों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग को दी गई। इस काम को पूरा करने में काफी परेशानी हुई, बावजूद इसके काम को पूर्ण किया गया और जो बचे हुए काम हैं उसे भी अक्टूबर, 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। हमलोगों ने काम पूर्ण किया है लेकिन इसके मेंटेनेंस और देखभाल भी निरंतर करनी होगी। नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा कुल 3,370 वार्डों में से 1,421 वार्डों में कार्य पूरा कर लिया गया है। शेष बचे हुए काम को जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। केंद्र सरकार द्वारा 817 वार्डों में अमृत योजना के तहत लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराया जाएगा, जिसकी राशि मिल गई है और उस पर काम शुरु हो गया है।
2020 तक मिलेगी बिहारवासियों को शुद्ध पेयजल
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा वर्ष 2020 के अंत तक मिल जाएगी। जैसा कि बताया गया है कि पूरे देश में वर्ष 2024 तक तथा विश्व भर में 2030 तक इसका लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लोगों को पीने के लिए शुद्ध पानी उपलब्ध कराया जा रहा है। लोग इसका सदुपयोग करें, पानी का दुरुपयोग ना करें। कुछ लोग इस जल को पटवन एवं जानवरों के लिए भी उपयोग में लाते हैं, यह उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण के लिए भी कार्य किये जा रहे हैं। भू-जल के स्तर को मेंटेन रखने के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत 7 अवयव जल संरक्षण के लिए निर्धारित किए गए हैं, जिसके अंतर्गत तालाब, आहर, पईन, पोखर सार्वजनिक कुओं का जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। लोगों को पेयजल उपलब्ध कराने हेतु हर घर नल का जल योजना के साथ-साथ कुओं एवं चापाकल को भी मेंटेन रखेंगे। उन्होंने कहा कि सिंचाई के लिए बिजली आपूर्ति पर काम किया जा रहा है। हर घर शौचालय का भी काम पूरा किया जा रहा है। लोग शौचालय का उपयोग करें, खुले में शौच न जाएं। अगर खुले में शौच से मुक्ति मिल जाए और पीने के लिए स्वच्छ पानी उपलब्ध हो तो आज होने वाली 90 प्रतिशत बीमारियों से मुक्ति मिल जाएगी। शराब पीने से जो बीमारी फैलती थी, उसके लिए महिलाओं की मांग पर हमने शराबबंदी लागू किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों द्वारा कार्यान्वित एवं अनुरक्षित योजनाओं के लिए वार्षिक अनुरक्षण अनुदान 12 हजार रुपए से बढ़ाकर 24 हजार रुपए कर दिया गया है। अब वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समितियों को दिया जाने वाला अनुरक्षण अनुदान 1 हजार से बढ़ाकर 2 हजार रुपए प्रतिमाह हो गया। सभी उपभोक्ताओं को 30 रुपए का निर्धारित शुल्क भी देना चाहिए। पेयजल के अनुरक्षण कार्य में संबद्ध अनुरक्षकों को 500 रुपए प्रतिमाह की दर से दिए जाने वाले रिटेनर शुल्क को बढ़ाकर 1 हजार रूपये कर दिया गया है। ग्राम पंचायत, पेयजल निश्चय योजना के संचालन, रख रखाव एवं अनुरक्षण का कार्य ठीक ढंग से करते रहें।
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