उद्धव सरकार के नेतृत्व में चल रही महाराष्ट्र की सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। कांग्रेस और शिवसेना के बीच तनातनी के बीच उद्धव ठाकरे ने अब एनसीपी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव मामले को एनआईए को सौंप दिया है जिससे एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार नाराज हो गए हैं। ऐसे में राज्य में महाविकास अघाड़ी सरकार के पांच साल के कार्यकाल पर भी सवाल उठने लगे हैं।
दरअसल, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भीमा-कोरेगांव केस की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंप दी हैं। ऐसा करते हुए उन्होंने अपनी सरकार के गृह मंत्रालय के फैसले को पलट दिया। राज्य के गृहमंत्री एनसीपी नेता अनिल देशमुख हैं और उन्होंने उद्धव के इस फैसले पर गहरी नाराजगी जताई है। अनिल देशमुख ने गुरुवार को कहा कि मुख्यमंत्री ने भीमा कोरेगांव मामले में उनके फैसले को पलट दिया है।
शरद पवार ने उद्धव पर साधा निशाना
उधर, उसी राज्य के मुख्य सचिव (गृह) संजय कुमार ने दावा किया कि राज्य के गृह विभाग को भीमा कोरेगांव केस एनआईए को सौंपने से कोई आपत्ति नहीं है। अब राज्य में महाविकास अघाड़ी बनाने में प्रमुख भूमिका निभाने वाले सुप्रीमो शरद पवार ने इस पूरे मामले को लेकर उद्धव ठाकरे पर निशाना साधा है। पवार ने कहा कि भीमा-कोरेगांव मामले की जांच एनआईए को सौंपने का फैसला ’असंवैधानिक’ है।
एनआईए को जांच सौंपना ठीक नहीं-पवार
कोल्हापुर में पत्रकारों से बातचीत में शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामले की जांच पुणे पुलिस से लेकर एनआईए को सौंपकर ठीक नहीं किया क्योंकि कानून-व्यवस्था राज्य सरकार का विषय है। एनसीपी चीफ शरद पवार ने कहा, ’मामले की जांच एनआईए को सौंपकर केंद्र सरकार ने ठीक नहीं किया और इससे भी ज्यादा गलत बात यह हुई कि राज्य सरकार ने इसका समर्थन किया।’
एनसीपी के मंसूबों पर उद्धव ने फेरा पानी
पवार ने कहा, ’भीमा-कोरेगांव मामले में महाराष्ट्र पुलिस के कुछ अधिकारियों का व्यवहार आपत्तिजनक था। मैं चाहता था कि इन अधिकारियों के व्यवहार की भी जांच की जाए। लेकिन जिस दिन सुबह महाराष्ट्र सरकार के मंत्रियों ने पुलिस अधिकारियों से मुलाकात की, उसी दिन शाम को 3 बजे केंद्र ने पूरे मामले को एनआईए को सौंप दिया। संविधान के मुताबिक यह गलत है क्योंकि आपराधिक जांच राज्य के क्षेत्राधिकार में आता है।’
बता दें कि दो साल पहले भीमा-कोरेगांव में दलितों के एक कार्यक्रम के दौरान जमकर हिंसा हुई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। राज्य में सरकार बदलने के बाद एनसीपी ने संकेत दिए थे कि पूरे मामले की नए सिरे से जांच की जाएगी। उधर, एल्गार परिषद मामले की सुनवाई कर रही पुणे की एक अदालत ने एक आदेश पारित करते हुए यह मुकदमा मुंबई की विशेष एनआईए अदालत को सौंप दिया और सरकार ने कहा था कि उसे अदालत के इस फैसले पर कोई आपत्ति नहीं है।
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