कुढ़नी उपचुनाव का रिजल्‍ट तय करेगा संजय जायसवाल का राजनीतिक भविष्‍य,दांव पर लगी है प्रतिष्‍ठा…..

बिहार की राजनीति में कुढ़नी उपचुनाव  कई मायने में अहम है। खासकर कुढ़नी चुनाव परिणाम भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल  का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। यही नहीं, पार्टी के अंदर चार महीने से टल रहे संगठनात्मक चुनाव की दिशा-दशा भी कुढ़नी की जनता ही तय करेगी। यानी 10 दिसंबर बाद भाजपा बिहार में संगठनात्मक चुनाव की घोषणा कर देगी। इसके तहत पहले मंडल अध्यक्षों और फिर जिलाध्यक्षों के मनोनयन की योजना है।

सभी वर्गों के वोटरों रिझाने  रणनीति …..

दरअसल, सीधे तौर पर वैश्य समुदाय से आने वाले जायसवाल की प्रतिष्ठा कुढ़नी में पार्टी प्रत्याशी केदार गुप्ता के साथ दांव लगी है। ऐसे में कुढ़नी चुनाव परिणाम के आधार पर ही पार्टी 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रदेश का चेहरा तय करेगी। यही वजह है कि भाजपा हर मौके और हर मंच का इस्तेमाल कर ज्यादा से ज्यादा मतदाताओं को रिझाने के मुहिम में लगी हुई है। भाजपा की रणनीति बिल्कुल साफ-साफ नजर आ रही है कि सभी वर्गों के मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क स्थापित किया जाए, बार-बार किया जाए और क्रम को निरंतर बनाए रखा जाए। इसी के तहत गांव-गांव में पार्टी समुदाय विशेष को लक्ष्य बनाकर नेताओं को भेज रही है।

खराब प्रदर्शन वाले प्रतिनिधि को हटाया जायेगा …

वर्तमान में पार्टी के रणनीतिकार, मंडल से लेकर जिलों तक के 50 से 70 प्रतिशत तक नुमाइंदों को बदलने की रणनीति तैयार कर रहे हैं। हालांकि कई तरह की कसौटी पर परखने के बाद पार्टी यह बदलाव करेगी। इसमें पार्टी व संगठन के प्रति समर्पण, सामाजिक समीकरण और जनता व कार्यकर्ताओं के बीच स्वीकार्यता और आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए लड़ाकू चेहरों पर दांव लाएगी।

उपचुनावों के कारण टलता रहा है संगठनात्मक चुनाव…..

बिहार भाजपा का संगठनात्मक चुनाव विभिन्न उपचुनावों के कारण टलता रहा है। पहले बोचहां फिर गोपालगंज व मोकामा और अब कुढ़नी उपचुनाव के कारण पार्टी शीर्ष नेतृत्व संगठनात्मक चुनाव टालता रहा है। जबकि, पार्टी संविधान के अनुसार जुलाई-अगस्त में मंडल और जिला अध्यक्षों का चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए था। यही नहीं, इससे पहले सदस्यता अभियान पूरा हो जाना चाहिए था, लेकिन कई कारणों से ऐसा नहीं हुआ।