पटना, पटना हाई कोर्ट (Patna High Court) ने साइबर क्राइम के ठग को पकड़े जाने के मामले में कड़ा रुख अपनाया है। हाई कोर्ट ने साइबर क्रिमिनल, यचिकाकर्ता शिव कुमार की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि इन दिनों इस प्रकार के अपराध समाज में अनियंत्रित हो गए हैं। लोगों को फोन करके अपराधी उनसे बैंक आदि के डिटेल्स लेकर ठगी कर रहे हैं। मामले पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। न्यायाधीश संदीप कुमार ने याचिकाकर्ता की अग्रिम जमानत याचिका को खारिज करते हुए उसे एक सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया है।
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हालांकि कोर्ट ने निर्धारित समय में आत्मसमर्पण नहीं करने की स्थिति में नवादा के पुलिस अधीक्षक को इस मामले में याचिकाकर्ता समेत इस मामले के सभी अभियुक्तों की गिरफ्तारी के लिए जरूरी कार्यवाही का आदेश दिया है।
नवादा के पुलिस अधीक्षक को केस के अनुसंधान अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने को कहा है कि आखिर इस मामले के अभियुक्तों की गिरफ्तारी अभी तक क्यों नहीं की गई है, जबकि यह मामला 2020 का है।
कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस तरह के अपराध वारीसलीगंज पुलिस थाना क्षेत्र में अनियंत्रित ढंग से फैला हुआ है। कोर्ट नवादा को दूसरा जामताड़ा होने की अनुमति नहीं दे सकता है। याचिकाकर्ता के पास से कथित तौर पर 28 पृष्टों के डाटाबेस में आम लोगों को ठगने के लिए मोबाइल फोन नंबर पाया गया था।
साइबर अपराधियों का गढ़ है झारखंड का जामताड़ा एवं हरयाणा का मेवात
बता दें कि झारखंड के जामताड़ा एवं हरयाणा का मेवात को साइबर क्रिमिनलों को गढ़ कहा जाता है। देश में कहीं साइबर क्राइम होने पर पुलिस के रडार पर पहला नाम जामताड़ा एवं मेवात का ही आता है। घने जंगलों से घिरे जामताड़ा में कई ऐसे साइबर अपराधी हैं जो करोड़ों की संपत्ति के मालिक बन गए हैं। यूपीआइ पेमेंट, केवाइसी अपग्रेड करने के नाम पर या बैंकों के अलग-अलग फर्जी एप बनाकर ये अपराधी ठगी करते हैं। स्थिति यह है कि ठगी का जामताड़ा माड्यूल बिहार-झारखंड ही नहीं, देश के कई राज्यों के लोगों को निशाना बना चुका है।
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