बिहार में मोबाइल टावर के विकास की राहों में रोड़ा बन बैठे है बिहार के ऑफिसर, कई आवेदनों को महीनो से लटकाए बैठे हैं।

बिहार के शहरी इलाकों में मोबाइल टावर लगाने और आप्टिकल फाइबर बिछाने के लिए दो हजार से अधिक आवेदन कई महीनो से पेंडिंग में पड़े हुए हैं। बिहार में करीब 90 प्रतिशत शहरी निकाय ऐसे भी हैं, जिन्होंने अभी तक एक भी आवेदन को स्वीकृत नहीं किया है।

मोबाइल टावर और आप्टिकल फाइबर बिछाने के आवेदन की अनसुनी करने से राज्य में राजस्व का भी नुकसान हो रहा। नगर विकास एवं आवास विभाग ने शहरी निकायों के इस रवैये पर आपत्ति जताई है और इसमें बिना देर करते हुए सुधार का निर्देश दिया है। इसको लेकर हुई समीक्षा बैठक के दौरान प्रधान सचिव आनंद किशोर ने शहरी निकायों के पदाधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया है कि आवेदनों को बेवजह पेंडिंग में न डाले। अगर आवेदन स्वीकृति के लायक नहीं है, तो उन्हें अस्वीकृत कर दें मगर लंबित आवेदनों की संख्या को जल्द से जल्द काम करें।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, राज्य के 141 शहरी निकायों में मोबाइल टावर व आप्टिकल फाइबर बिछाने के 2538 आवेदन अभी तक दिए जा चुके हैं। इसमें महज 48 आवेदनों को ही स्वीकृति दी गई है, जबकि 327 आवेदनों को अस्वीकृत कर दिया गया है। अभी 129 आवेदन प्रक्रियाधीन हैं जबकि 2034 आवेदन लंबित पड़े हुए हैं।


राज्य के 141 आवेदनों में से महज 14 आवेदनों को ही शहरी निकायों ने स्वीकृति दी है। इसमें सर्वाधिक 17 आवेदन मुजफ्फरपुर नगर निगम क्षेत्र में स्वीकृत किए गए हैं। इसके बाद फुलवारीशरीफ में पांच, भागलपुर में चार जबकि पटना, बिहटा और डेहरी डालमियानगर में तीन-तीन आवेदन स्वीकृत हुए हैं। रक्सौल, अरेराज, सुगौली, बगहा और मनिहारी में दो-दो जबकि बड़हिया, गोपालगंज और छपरा में महज एक-एक आवेदन को ही स्वीकृत मिल पाई है।

बिहार में नगर विकास एवं आवास विभाग ने अगस्त, 2020 में ही बिहार मोबाइल टावर आप्टिकल फाइबर केबल नियमावली लागू की थी। इसके तहत छह माह के भीतर मोबाइल टावर व आप्टिकल फाइबर के लिए आवेदन करना जरूरी कहा गया था। कई बार आवेदन की समय सीमा को बढ़ाया गया। आवेदन के साथ नगर पंचायत के लिए 16 हजार वहीं नगर परिषद के लिए 18 हजार और नगर निगम के लिए एकमुश्त 20 हजार रुपये शुल्क देने का प्रावधान भी किया गया है। इसके अलावा आवेदन स्वीकृत होने पर भूमि उपयोग के लिए प्रति वर्ग फीट की दर से शुल्क देना होता है। शहरी निकायों के पदाधिकारी आवेदनों की जांचकर एनओसी देते हैं। बिना अनुमति के टावर लगाने वालों पर जुर्माने का भी प्रावधान है।