गंगा किनारे गए मरीन ड्राइव की तरह बनाए गए पथ ने शहर को रात में भ्रमण और पिकनिक का एक ठिकाना दे दिया…जानिये पूरी खबर….

गुलाबी ठंड में रंगबिरंगी रोशनी से जगमग जेपी गंगा पथ। रविवार की रात। लोगों की भीड़, मस्ती और गीत-संगीत के बीच यह इलाका अभी जगे होने का अहसास करा रहा है। यह राजधानी की बदलती जीवन शैली है। रेलवे स्टेशन को छोड़ शहर रात दस बजते-बजते शांत हो जाता था। अब इस पथ पर लोग महानगरों की तरह देर रात तक आनंद उठाते हैं, पर इसमें एक खतरा भी है। सड़क पर ही नृत्य-संगीत की मस्ती कभी कोई अनहोनी न बन जाए।

गाड़ियों के आवागमन में लेन का अनुशासन पूरी तरह टूटता दिखता रहा है। जिसकी जहां इच्छा, उधर से गाड़ी मोड़ ली, जबकि सड़क किनारे ही लोगों की भीड़ भी है। रविवार की रात जेपी गंगा पथ के रोटरी गोलंबर पर युवाओं की टोलियां थीं। लोग बड़ी संख्या में परिवार के साथ भी आए थे। यह बदलता पटना है। गंगा किनारे गए मरीन ड्राइव की तरह बनाए गए पथ ने शहर को रात में भ्रमण और पिकनिक का एक ठिकाना दे दिया है।

लोग वैन पर रूफटाप चलंत रेस्तरां का आनंद उठा रहे हैं। बच्चों के मनोरंजन के लिए बैट्री वाली गाड़ी भी है। यहां तक कि रात में घुड़सवारी भी। मोबाइल में हर क्षण के चित्र उतारे जा रहे हैं। इन सबके बीच सुरक्षा मानकों की कोई चिंता नहीं।

गर्मी हो या सर्दी, रोटरी गोलंबर से एलसीटी मोड़ तक पूरे दिन चाय और खानपान के स्टाल लगे रहते हैं, पर भीड़ रात की अपेक्षा कम रहती है। इस दौरान इन स्टालों पर वही गाड़ियां रुकती हैं, जो उस क्षेत्र से गुजर रही हों। ठंड के मौसम में छुट्टी के दिनों में लोग धूप निकलने के बाद भी यहां आकर आनंद उठाते हैं, पर रात की बात ही कुछ और है।

शाम ढलते ही पांच किलोमीटर के दायरे में फैली दुकानें आधे किलोमीटर में सिमट जाती हैं। कुछ दुकानदार तो शाम छह बजे के बाद ही स्टाल लगाते हैं। यही कारण है कि रात में जेपी गंगा पथ गुलजार नजर आता है। लोगों का कहना है कि महानगरों की तरह रात की संस्कृति यानी नाइट कल्चर अब पटना में भी विकसित हो रहा है। अभी परिवार के साथ रात में आने लायक यही एक जगह है।