चिड़ियाघर पहुंच कर खिलखिलाए मायूस चेहरे, किलकारियों से गूंज उठा अजायबघर….


बघनोचा गाँव के बच्चों ने चिड़ियांघर पटना का भ्रमण किया। वैशाली जिले के सुदूर गांव बघनोचा स्थित सरोज सेवा संस्थान के 65 बच्चों ने ग्रीष्मकालीन छुट्टी का फायदा उठाकर संजय गांधी जैविक उद्यान पटना में बुधवार को जानवरों और पर्यावरण से रूबरू होकर आनंद उठाया। पिछले दो वर्षों से ये बच्चे अपने घरों में कैद थे कोरोना महामारी की वजह से।

अब स्थिति लगभग सामान्य हो गयी तो गर्मी की छुट्टियाँ शुरू हो गयी । ऐसे में संस्थान की तरफ से गाँव के बच्चों को पटना का शैक्षणिक भ्रमण कराने से उनके बौद्धिक विकास में चार चाँद लग रहा है। वरचुअस इंटरनेशनल स्कूल हाजीपुर के बसो के द्वारा ये बच्चे जाम का सामना करते हुए पटना पहुचे जहाँ सुमित कुमार और अभय कुमार ने इनका स्वागत किया।

भूतपूर्व एनसीसी कैडेटों द्वारा स्थापित संगठन उड़ान के संस्थापक धीरज कुमार और अभय कुमार ने गरमागरम बिरियानी खिलाकर बच्चों का दिल जीत लिया। विधान पार्षद माननीय देवेश चन्द्र ठाकुर ने पहले से ही अपने सहकर्मियों को भेजकर टिकट का बन्दोबस्त कर दिया था। चिड़ियां घर में जंगली जानवरों को देखकर बच्चे बहुत उत्साहित दिखे।

हाथी, बाघ,शेर, भालू, बंदर,लंगूर, गैंडा, चीता आदि को सामने देखकर उन्हे विश्वास नहीं हो रहा था कि ये सब वे सचमुच अपनी आंखों के सामने देख रहे हैं। बच्चो को देखकर बंदर भी अपने नटखट अंदाज में ठिठोली कर रहे थे। आम तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग शहर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते आर्थिक तंगी की वजह से। लेफ्टिनेंट कर्नल मनमोहन ठाकुर के प्रयास से पिछले पाँच वर्षों में इन बच्चों को शहरी वातावरण से अवगत कराया जा रहा है। शैक्षणिक भ्रमण का लाभ छात्र एवं छात्राओं को मिल रहा है। साथ ही हर उम्र के लोगों की जरूरतो को ध्यान में रखते हुए सेमिनार, जागरूकता अभियान आदि चलाया जाता है। चिड़ियांघर में जानवरों के बारे में वहां के कर्मचारियों द्वारा विस्तृत जानकारी दी गई । लगभग दो घंटे का वक्त बच्चों ने जानवरों को देखने में बिताये।

फिर उन्हे पेड़ पौधों की नर्सरी की ओर ले जाया गया जहाँ उन्हे तरह तरह के फूलों और पेड़ों की गुणवत्ता के बारे में बताया गया। पर्यावरण के ऊपर फिल्म देखकर बच्चे फूले नहीं समा रहे थे। प्रकृति के साथ रहने की शिक्षा लेकर ये बच्चे अपने गाँव वापस जाएँ इसका पूरा प्रयास किया गया। तरह तरह के पक्षियों, सांप आदि को देख बच्चे चकित थे। बाद में उन्होंने पटना स्थित नये संग्रहालय को भी देखा। अपने राज्य के ऐतिहासिक धरोहर को देखकर बच्चे बहुत खुश नजर आ रहे थे।

प्राचीन सभ्यता और संस्कृति से जूड़े वस्तुओ को बहुत ही सहेजकर रखा गया है। आंखों से देखने से जो सीख मिलती है उसकी कल्पना नहीं की जा सकती है। हमेशा के लिए 10 से 17 वर्ष के बच्चों के मन में चिड़ियां घर के जानवरों और संग्रहालय के अनोखे वस्तुओ की छवि बैठ गयी बची हुई गर्मी की छुट्टियाँ इन्ही की चर्चा करते हुए बिता लेंगे। रघुनाथ राय, रामचन्द्र पंडित, लालमोहन ठाकुर, कीर्ति प्रकाश, राकेश, उर्मिला, खुशबू, दीपक,ननकी पासवान, परमेश्वर,रौशन, विक्की कुमार, शशि आदि ने मिलकर पटना भ्रमण को यादगार बना दिया। ग्रामीणों ने संस्थान के इस प्रयास की सराहना की।