अच्छे पैदावार से हुए हैं हौसले बुलंद, जानिए देश के अन्नदाता कैसे लड़ रहे हैं कोरोना से जंग ?

कोरोना संकट को लेकर देश में जारी लॉक डाउन के बीच अब जान की सुरक्षा के साथ-साथ जहान के लिए भी कवायद शुरू हो गई है। देश में विस्तारित दूसरे चरण का लॉक डाउन आज से शुरू हो गया। इस चरण में देश के प्रधानमंत्री ने जान के साथ जहान भी का मूल मंत्र दिया है। इस दिशा में लोगों का पेट भरने वाले हमारे अन्नदाता किसानों ने प्रधानमंत्री की इच्छा और उनके विश्वास को सार्थक करने के लिए फिर से खेत से अपना नाता जोड़ लिया है। संकट के इस दौर में ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए इसे अहम प्रयास माना जा सकता है।

यूं तो प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों के खाते में सीधे ₹2000 भेज कर उनकी परेशानी को दूर करने की कोशिश कर रही है लेकिन किसानों को खुद के अलावा देश की भी फिक्र है ताकि वह सरकार को भी संकट की इस घड़ी में मदद कर सकें।इसी परिप्रेक्ष्य में बिहार के किसानों ने स्वावलंबन की भावना का परिचय देते हुए अपना कृषि कार्य शुरू कर दिया है ।

वैसे दूसरे चरण के लॉक डाउन के दौरान केंद्र सरकार ने आज कुछ ढील रूपी रियायतों की घोषणा की है जिसमें कृषि कार्य भी शामिल है। इस शुभ अवसर का लाभ उठाने को किसान तैयार हैं। अभी खेतों में गेहूं की फसल लगी हुई है ।यह पक कर तैयार है। जब कटनी का समय आया तो कोरोना संक्रमण की वजह से कटनी का कार्य रुक गया। अपनी पूंजी और कड़ी मेहनत से तैयार गेहूं के फसल के भविष्य को लेकर किसान परेशान और दुखी हो गए क्योंकि इस बार राज्य में गेहूं की अच्छी फसल हुई है।

ऐसे में उम्मीद से लबरेज किसानों के लिए यह संकट दोहरी मार से कम नहीं थी। उनका तो निजी नुकसान होता ही साथ ही यह राष्ट्रीय नुकसान भी हो सकता था। बावजूद इसके उदास किसानों ने उम्मीद नहीं छोड़ी। उन्हें विश्वास था कि प्रधानमंत्री जब जान की फिकर कर रहे हैं तो जहान की भी फिक्र करेंगे, और ऐसा ही हुआ भी। उल्लेखनीय बात यह है कि खेतों में गेहूं के कटनी करते हुए भी हमारे अन्नदाता कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी सामाजिक दूरी बनाने के जरूरी निर्देश का पालन कर रहे ।

नहीं हो रही लॉक डाउन से परेशानी

पटना जिले का नौजवान किसान अजय कुमार खेतों में जाने की सरकार से मिली इजाजत से काफी खुश और उत्साहित हैं। इस बार इनके खेत में गेहूं की अच्छी फसल हुई है। अपने तीन अन्य सहयोगी किसानों के साथ यह सवेरे सवेरे गेहूं की कटाई के लिए खेत पहुंच गए ताकि बीच दोपहर में धूप के तीखापन में काम करने से बचा जा सके । पूरी तन्मयता और रफ्तार से ये लोग गेहूं की कटाई कर रहे हैं। इनकी भूमिका देश के प्रति इनकी जिम्मेदारी के भाव को दर्शाता है। अजय बताते हैं कि इस बार फसल ठीक-ठाक हुआ है । लॉक डाउन को सही बताते हुए इनका कहना है कि इस वजह से खेती कार्य में इन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं हो रही है । हां खास बात यह है कि खेत में काम करते वक्त भी इनके द्वारा सामाजिक दूरी बनाया जा रहा है ताकि कोरोना संक्रमण की कोई संभावना नहीं बने ।

जान है तो जहान है

बिहार के भागलपुर जिले में भी इस बार गेहूं की अच्छी पैदावार हुई है । खेतों में गेहूं की पकी बालियों ने यहां के किसानों को इस बार काफी उत्साहित किया है। अब कटनी की इजाजत मिली तो स्वाभाविक है कि किसानों का उत्साह दूना हो गया है और जब उत्साह दोगुना हो तो कोरोना से जंग में जज्बात मजबूत होगा ही। इसी जज्बे के साथ यहां के किसान इस संघर्ष में सरकार के निर्देशों का पालन करते हुए उसे यह भरोसा दिला रहे हैं कि लोगों के जीवन यापन के लिए उनके अन्न के भंडार को भी लोग भरेंगे । जिले के बाबूपुर गांव के रहने वाले किसान सुशील कुमार मंडल इसी भावना और उत्साह के साथ खेत में अपना पसीना बहाकर अपनी जिम्मेवारी निभा रहे हैं।

अपने खेत में निश्चिंत होकर गेहूं की कटाई कर रहे हैं ।उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी इस कार्य में नहीं हो रही है । लॉक डाउन की वजह से उन्हें प्रशासनिक असहयोग का भी सामना नहीं करना पड़ रहा है। इसके लिए वे सरकार के प्रयास की प्रशंसा करते हैं । वे खेत में दूरी बनाकर काम करते हैं ताकि कोरोना के खिलाफ सरकार के प्रयास में कोई बाधा नहीं पहुंचे। उनका सुझाव है कि सरकार का निर्देश हम सबों की हिफाज़त से ही तो जुड़ा है। इसलिए सभी को इसका पालन करना चाहिए क्योंकि जान है तभी तो जहान है ।

देश की सेवा के लिए गेहूं काट रहे हैं

यह देश यूं ही महान नहीं कहलाता।संकट की इस घड़ी में जब देश का किसान अपनी परेशानी भूलकर देश की फिक्र करे, तो ऐसे किसान पर देशवासी क्यों न गर्व करें करें। जी हां बिहार के सीतामढ़ी जिले के रुन्नीसैदपुर प्रखंड के माधवपुर गांव के रहने वाले हमारे अन्नदाता किसान मोहम्मद अंसारी अपने खेत में गेहूं की कटाई करते हुए कहते हैं कि देश सेवा के लिए उत्साह पूर्वक काम कर रहे हैं । जाहिर सी बात है कि उनकी सोच इस संकट में किसी को भूखा नहीं रहने देने से जुड़ी हुई है। खेत में अपने सहयोगियों के साथ दूरी बनाकर वे गेहूं की कटाई कर रहे हैं। कटी हुई बाली की थ्रेसिंग और उसे बोरिया में पैकिंग करने में उनकी तत्परता यही दर्शाती है कि अनाज जल्द से जल्द मंडी में जाए ताकि आज की स्थिति में लोगों को खाद्यान्न की किल्लत का सामना नहीं करना पड़े ।

मोहम्मद अंसारी बताते हैं कि उन्हें लॉक डाउन के दौरान किसी भी स्तर पर कोई कठिनाई नहीं हो रही है । वे कहते हैं कि प्रशासन उन्हें तंग नहीं करता। लेकिन वह खुद ही अपना काम करते हुए इस बात का विशेष ख्याल रखते हैं कि उनकी वजह से सरकार के दिशा निर्देश का किसी भी तरह का कोई उल्लंघन नहीं हो।