बिहार के समस्तीपुर में ‘केले के रेसें’ से बन रहा है मास्क, जानें कीमत और खासियत ?

केले के रेशें से बना यह मास्क कोई एन-95 मास्क तो नहीं है, लेकिन दावा है कि कोरोना बचाने में बहुत कारगर सिद्ध होगा। बिहार के समस्तीपुर में बड़े पैमाने पर इस मास्क का निर्माण हो रहा है। जब इस मास्क की खासियत के बारे में विशेषज्ञों से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि ईको फ्रेंडली, एंटी बैक्टीरियल होने के साथ हीं वेदरप्रूफ भी है। इस मास्क को धोने के बाद दोबारा भी पहना जा सकता है।

ऐसे बनता है यह नेचुरल मास्क

मास्क बनाने की प्रक्रिया की बात करें तो सबसे पहले केले के तने को पहले प्रोसेस कर रेशा निकाला जाता है। फिर हैंडलूम से कपड़ा बनाया जाता है। मास्क की सिलाई के दौरान पहले लेयर में कॉटन और दूसरे में रेशे का कपड़ा लगाया जाता है। इसे धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है। एक मास्क बनाने में 20 से 25 रुपये खर्च आ रहा। मास्क का ब्रांड नेम ’बनाफेसो्य रखा गया है।

सांस फूलने की कम होगी समस्या

फिजिशियन डॉ. आरके सिंह कहते हैं कि केले के तने के जूस में एंटी बैक्टीरियल तत्व रहता है। इस तरह का मास्क लगाने से सांस फूलने जैसी समस्या कम होगी। कोरोना से बचाव के लिए यह बेहतर विकल्प है। सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. डीके शर्मा ने बताया कि केले के रेशे से बना कपड़ा बॉयोडिग्रेडेबल और हाइजीनिक है। इसका मास्क इस्तेमाल के बाद मिट्टी में डाल देने से जल्द गल जाएगा। इससे संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा।

ऑनलाइन बिक्री के लिए अमेजन से बात चल रही है

इस मास्क को बनाने वाली समस्तीपुर के मो

हिउद्दीनगर की पूजा सिंह ने पांच साल पहले केले के तने के रेशे पर काम की शुरुआत की थी। बेंगलुरु से फैशन डिजाइनिंग करने के बाद वर्ष 2010 में तमिलनाडु जाकर यह कार्य सीखा था। वहीं से रेशा निकालने वाली मशीन भी मंगाई। यहां उससे कपड़ा बनाती हैं। वह बताती हैं कि कोरोना के चलते जब शुरुआत में लोग मास्क को लेकर परेशान थे, तब यह विचार आया।

सीएम के पास भेजा गया है सैंपल

फिलहाल सैंपल के रूप में 25 मास्क तैयार किया गया है। टीम के साथ प्रतिदिन तीन हजार मास्क बनाने की योजना है। दुकानों के अलावा ऑनलाइन बिक्री के लिए अमेजन से बात चल रही है। मास्क का नमूना मुख्यमंत्री कार्यालय भी भेजा है। ज्ञात हो कि केला पर उद्योग स्थापित करने को लेकर एक कार्यक्रम में मार्च 2015 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पूजा को सम्मानित कर चुके हैं। अगर मास्क के इस तकनीक को प्रमाणित कर दिया जाता है, तो बिहार के लिए यह गर्व की बात होगी।