कोरोना की जंग में हार गए गरीबों के मसीहा डॉक्टर केएम इस्माईल, दोस्त बोले- ऐसा शख्स नहीं देखा

देश में कोरोना वायरस से अबतक  600 से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. लोगों का इलाज कर रहे डॉक्टर भी इस संक्रमण का शिकार हो रहे हैं और उनमें से कुछ काल के गाल में समा गए. महाराष्ट्र में कई डॉक्टर और कर्मी कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए। लेकिन कुछ ऐसी ही कहानी है कुरनूल (Kurnool) के डॉक्टर इस्माईल की. जो डॉ. इस्माईल अपने रोगियों के बीच 2 रुपये वाले डॉक्टर के नाम से जाने जाते थे. दुनिया से उनके अलविदा कहने पर उनके जानने वालों ने कहा कि ऐसा शख्स नहीं देखा.

मरीजों की लगी रहती थी कतार

Covid-19 के चलते डॉ. केएम इस्माईल हुसैन ने कुछ हफ्ते पहले आंध्र प्रदेश स्थित कुरनूल के अपने अस्पताल में काम करना बंद कर दिया. उनके दोस्त शफथ अहमद खान ने बताया कि ‘वह हमेशा इतना सुलभ और लोकप्रिय थे कि उनके घर के बाहर मरीजों की कतार लगी रहती थी. वह कभी भी किसी भी कारण से मरीज को देखने से मना नहीं करते थे. एक हफ्ते के बाद मजबूरी के चलते वह अस्पताल में काम करने के लिए गए,’

COVID-19 रोगी के संपर्क में आए होंगे डॉ. इस्माईल

डॉ. इस्माईल ने 14 अप्रैल को अंतिम सांस ली. अगले दिन उनके टेस्ट से पता चला कि वह कोरोना संक्रमण के शिकार हुए थे. अधिकारियों ने कहा कि वह किसी COVID-19 रोगी के संपर्क में आए होंगे, क्योंकि वह COVID-19 रेड-ज़ोन में काम कर रहे थे.

76 साल में जारी रखी लोगों की सेवा

डॉ. इस्माईल कुछ महीने पहले 5 दिसंबर को 76 वर्ष के हो गए थे, लेकिन जो उन्हें अच्छी तरह से नहीं जानता था वह आश्चर्यचकित है कि उन्होंने इस उम्र में भी अपने रोगियों को देखना जारी रखा. केवल कुरनूल से ही नहीं, बल्कि तेलंगाना के गडवाल और कर्नाटक के रायचुर जैसे आस-पास के जिलों से आने वाले मरीजों के साथ ही डॉक्टर कई लोगों के बीच प्रिय थे. जो मरीज महंगा इलाज नहीं करा सकते थे, उनके बीच वह काफी लोकप्रिय थे।

मुस्लिम समुदाय में लोकप्रिय थे डॉ. इस्माईल

द न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट के अनुसार 45 वर्षों से इस्माईल के परिवार से जुड़े अब्दुल राउफ ने कहा, ‘पहले लोग अक्सर उसे सिर्फ दो रुपये देते थे. काम पर अपने अंतिम दिनों के दौरान लोग 10 या 20 रुपये या जो कुछ भी खर्च कर सकते थे वह सहर्ष स्वीकार कर लेते थे. यहां तक कि अगर कोई पैसे नहीं दे सकता था तो उसे कोई दिक्कत नहीं होती थी. 90 के दशक से ही उन्हें 2 रुपये वाला डॉक्टर कहा जाता है क्योंकि बहुत से लोगों का मानना था कि उनके द्वारा दी गई चिकित्सकीय सलाह के लिए यह उनकी फीस थी

.’शफथ ने कहा कि ‘डॉ. इस्माईल की लोकप्रियता कुरनूल के मुस्लिम समुदाय में बहुत अधिक थी. उन्होंने कहा कि डॉक्टर ने शहर में जैन और मारवाड़ी समुदायों सहित कई हिंदू परिवारों की भी सेवा की. कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या आने पर मैं खुद हैदराबाद से अक्सर उनके पास जाता था.’

लगभग 25 साल पहले लिए थे VRS

कुरनूल मेडिकल कॉलेज (केएमसी) से एमबीबीएस और एमडी पूरा करने के बाद डॉ इस्माईल ने लगभग 25 साल पहले VRS लेने और अपना खुदा का नर्सिंग होम शुरू करने से पहले फैकल्टी मेंबर और सुपरीटेंडेंट थे.15 अप्रैल को उनका कोविड-19 टेस्ट पॉजिटिव आने के बाद केएम को सील कर दिया गया. साथ ही अस्पताल के कर्मचारियों और हाल ही में उनके संपर्क में रोगियों को आइसोलेशन में भेज दिया गया. उनकी पत्नी और बेटे सहित उनके परिवार के छह सदस्य कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं. उनके बाद परिवार में उनकी पत्नी, तीन बेटियां और एक बेटा है.