लॉक डाउन में : सफलता और मुस्कुराहटों की ये कहनी जरूर पढ़ें

कोरौना वैश्विक महामारी से निजात पाने के लिए अपनी ढेर सारी परेशानियों को झेलते हुए बिहार के लोग एकजुट होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर लॉक डाउन के तहत घरों में हैं । एक दूसरे से दूरी बनाकर रखने से ही इसके संक्रमण के फैलाव को रोका जा सकता है। इस वजह से विशेष तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की आजीविका के स्रोत ठहर से गए हैं ऐसे में जाहिर सी बात है कि आर्थिक रूप से कमजोर गरीब परिवारों के घर में खाने पीने का संकट उत्पन्न होगा। लेकिन इस कठिनाई को लॉक डाउन लागू करते वक्त ही केंद्र सरकार ने समझ लिया था और इसके लिए आवश्यक प्रबंध कर लिए गए।
स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि संकट की इस घड़ी में ऐसे गरीब परिवारों की मूल जरूरतों की पूर्ति के लिए सरकार हरसंभव कदम उठाएगी और इसी के तहत प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना एवं प्रधानमंत्री किसान निधि योजना सहित अन्य कई अहम योजनाओं के जरिए इन परिवारों को सहयोग प्रदान किया जा रहा है , जो लॉक डाउन के कारण अपने घर में दो वक्त की रोटी के इंतजाम को लेकर ही परेशान और चिंता में डूबे हुए थे । संकट की इस घड़ी में सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास के मूल मंत्र पर आधारित केंद्र के इस सेवा भाव से टूटे दिलों में उम्मीद जगी है और मुरझाए चेहरे खिल उठे हैं।

चंपारण की नसरीन का जल उठा चुल्हा

पूर्वी चंपारण जिले की रहने वाली नसरीन खातून काफी परेशान थी । लॉकडाउन की वजह से कामकाज बंद हो गया । घर में आमदनी के स्रोत बंद होने से खाने की परेशानी हो गई। किसी तरह राशन का प्रबंध हुआ तो समस्या चूल्हे की आ गई क्योंकि गैस सिलेंडर कैसे बढ़ाएं ? किसी ने सूचना दी कि केंद्र सरकार ने उज्जवला योजना के लाभार्थियों के लिए अप्रैल से जून महीने तक यानी 3 महीने के लिए मुफ्त एलपीजी सिलेंडर की व्यवस्था कर दी है । इसके लिए खाते में पैसा भी भेज दिया गया है।

नसरीन की चिंता हुई दूर

नसीम के लिए ये सूचना काफी मायने रखती थी । वह बिना विलंब किए खाते से रु.840 निकाल लायी। वह कहती है, अब इससे घर में चूल्हा जलेगा और मेरा परिवार रोटी खाएगा। परेशानी दूर करने के लिए आनंदित होकर वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति शुक्रिया अदा करती है ।

मुस्कुरा उठी भागलपुर की कंचन

कुछ ऐसी ही खुशियां भागलपुर के वार्ड नंबर 18 की रहने वाली कंचन देवी के घर भी आई। इनके खाते में भी गैस सिलेंडर खरीद के लिए राशि आ गई है। वह कहती हैं कि अब मैं भी केंद्र सरकार से मिले पैसे से गैस सिलेंडर ले आऊंगी। इनके चेहरे का भाव बताता है कि संकट के समय में इतनी जल्दी सरकारी मदद मिलना असाधारण बात है और इसका मतलब तो यही हुआ कि सरकार पूरी शिद्दत से गरीबों की तकलीफ को दूर करने में लगी हुई है।

पटना के अन्नदाता को मिला साथ

अपनी मेहनत से सबका पेट भरने वाले हमारे अन्नदाता किसान भी लॉक डाउन की वजह से खेतों से दूर बैठे हुए हैं । ऐसे में उनके भरण-पोषण की फिक्र भी केंद्र सरकार को है। प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के तहत निबंधित किसानों के खाते में सीधे रु. 2000 डाले गए हैं। पटना जिले के गोनपुरा गांव के रहने वाले किसान अशोक कुमार शर्मा को भी यह सहायता राशि मिली है। खेती किसानी से जुड़े सभी कार्य बंद होने के इस विकट समय में इस आर्थिक सहयोग को वे काफी उपयोगी मानते हैं । इसके लिए प्रधानमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए अशोक शर्मा कहते हैं कि इस पैसे से वह घर की अहम जरूरतों की पूर्ति करेंगे।

इनकी परेशानी हुई दूर ,घर पहुंचा राशन

अब कैसे घर के लोगों को दो वक्त की रोटी मिलेगी? इस सवाल से लॉक डाउन की इस अवधि में युवा विनोद चौपाल परेशान था । दरभंगा जिले के घनश्यामपुर थाना क्षेत्र में रहने वाले इस ग्रामीण युवक की घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। लॉकडाउन के कारण कामकाज भी बंद हो गया। इस परिवार को बस सरकार के सहयोग की उम्मीद बची थी । विनोद चौपाल बताते हैं कि प्रधानमंत्री ने जिस तरह हम गरीबों को सहयोग का भरोसा दिलाया, उसे पूरा भी कर दिया । कोरोना संकट के इस समय में इस परिवार को बकौल विनोद चौहान 5 किलोग्राम चावल मिला है । इनके घर में खाते में रु.500 भी आया है । इस राशि से यह नमक तेल एवं मसाला खरीदेंगे । जब खाने का सरकार ने घर बैठे ही कर दिया इंतजाम तो फिर कोरोना से बचाव के लिए घर में ही रहने में क्यों हो परेशानी? इसी विश्वास के साथ विनोद लॉक डाउन के नियमों का पालन कर रहे हैं।

दरभंगा के पवन के चेहरे खीलें

दरभंगा जिले के ही कसरैर गांव के रहने वाले पवन कुमार झा के घर में राशन खत्म हो गया था । आर्थिक अभाव में बड़ी मुश्किल से यह अपने परिवार का भरण पोषण करते रहे हैं । उन्हें क्या पता था कि कोरोना का ऐसा संकट आएगा कि सब कुछ ठहर जाएगा । खैर राशन खत्म होने के बाद यह काफी परेशान रहने लगे। इसी बीच गांव में खबर आई कि डीलर की दुकान से राशन मिलेगा । यह अगले दिन दुकान पर पहुंचे तो इन्हें चार यूनिट के कार्ड पर 20 किलो अनाज मिला। इन्हें खुशी इस बात की है कि सरकार का सहयोग इन्हें ऐसे वक्त में मिला जब इसकी इन्हें काफी जरूरत थी । सरकार के इस सहयोग से यह आनंदित तो दिखे ही साथ ही इनकी बातों में विश्वास की ताकत भी थी । मतलब यह कि जब सरकार संकट में लोगों के साथ इस मजबूती से खड़ी है , तो फिर कोरोना के खिलाफ यह जंग क्यों कमजोर पड़ेगी